बोले गोरखपुर: ट्रैफिक सिग्नल, साइनएज व फुट ओवरब्रिज से रुकेंगे हादसे
Gorakhpur News - गोरखपुर के मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के सामने अक्सर दुर्घटनाएं होती हैं। कई छात्रों की जान जा चुकी है। प्रशासन द्वारा कोई स्थायी उपाय नहीं किए गए हैं। हाल ही में एक तेज रफ्तार कार की...

Gorakhpur news: गोरखपुर-देवरिया मार्ग पर स्थित मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के सामने आए दिन दुर्घटनाएं होती रहती हैं। इन दुर्घटनाओं में इस तकनीकी शिक्षण संस्थान ने अपने कई होनहार छात्र खोए हैं। आस-पास के लोगों के साथ ही बाहरी भी कई लोगों ने अपनी जान गंवाई है। हाईवे होने के कारण इस सड़क पर दिन-रात हैवी ट्रैफिक रहता है। प्रशासन द्वारा यह एक्सीडेंटल जोन घोषित है, फिर भी वे उपाय आज तक नहीं किए गए, जो दशकों पहले हो जाने चाहिए थे। वहां न कोई ट्रैफिक सिग्नल है, न साइनएज और न ही कोई पुलिसकर्मी तैनात रहता है। फुट ओवरब्रिज की मांग भी करीब सवा साल से पेंडिंग है। गोरखपुर। बीते 12 फरवरी की आधी रात कूड़ाघाट की तरफ से चौरीचौरा जाते समय तेज रफ्तार कार एमएमएमयूटी गेट के सामने ऊंचे स्पीड ब्रेकर के कारण अनियंत्रित हो गई और उछलकर दूर स्थित खंभे से टकरा गई। इस दुर्घटना में कार में सवार उमेश यादव की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि दो अन्य युवक गंभीर रूप से घायल हो गए। इस दुर्घटना की भयावहता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि कार का दरवाजा काटकर शव निकालना पड़ा था। दुर्घटना में मरा युवक अपने चचेरे भाई की शादी में जा रहा था। इस खबर से जश्न का माहौल मातम में बदल गया। इस घटना के बाद जागे प्रशासन ने कई कवायद किए। एमएमएमयूटी गेट के सामने लगे दोनों तरफ के ऊंचे स्पीड ब्रेकर नीचे किए गए। करीब 20 मीटर तक सड़क पर पीली पट्टी लगाई। अस्थाई रूप से बैरिकेडिंग की गई। एमएमएमयूटी गेट के सामने यह कोई पहली घटना नहीं थी। एमएमएमयूटी की चारदीवारी के बाहर दुर्घटना बहुल क्षेत्र होने के कारण जो कवायद प्रशासन को वर्षों पहले करनी चाहिए थी, वह नहीं किए गए हैं। अपने कई होनहार खो चुका है एमएमएमयूटी: इस वजह से एमएमएमयूटी ने भी अपने कई होनहारों को खोया है। सितंबर 2022 में विश्वविद्यालय के मेस के कर्मचारी की गेट के पास ही सड़क दुर्घटना में मौत हो गई थी। नवंबर 2022 में बीटेक मैकेनिकल के छात्र अलीशेर अली की सड़क दुर्घटना में मौत हो गई थी। अप्रैल 2023 में सड़क दुर्घटना में एमबीए की छात्रा साक्षी कुमारी की मौत हो गई। वर्ष 2012-13 में भी तेज रफ्तार वाहन चालक ने रात के समय कॉलेज के पुराने गेट के सामने दो छात्रों को रौंद दिया था। दोनों छात्रों की मौत हो गई थी। भागते समय रानीडीहा में भी एक व्यक्ति को टक्कर मार दी थी। इस तरह की दुर्घटनाओं की लंबी फेहरिस्त है। दुर्घटनाओं के बाद प्रशासन फौरी तौर पर कुछ उपाय तो करता है लेकिन स्थाई उपाय न कर बाद में भूल जाता है। नतीजतन आए दिन वहां दुर्घटना होती रहती है।
6500 से अधिक है छात्र संख्या
एमएमएमयूटी में करीब 6500 छात्र-छात्राएं पढ़ते हैं। इनमें से करीब आधे छात्र-छात्राएं बाहर रहते हैं, जबकि आधे विश्वविद्यालय के छात्रावासों में। इसे देखते हुए एमएमएमयूटी प्रशासन समय-समय पर चिंता जाहिर करता रहा है लेकिन दुर्घटनाएं होने पर ही प्रशासन कुछ समय के लिए जगता है।
समय-समय पर उठती रही हैं ये मांगें
विश्वविद्यालय प्रशासन समय-समय पर स्पीड ब्रेकर, ट्रैफिक सिग्नल, साइनएज, ट्रैफिक पुलिस, फुट ओवर ब्रिज, लाइटिंग और मार्किंग आदि की मांग करता रहा है। समय-समय पर अपने छात्रों की दुर्घटनाओं का उल्लेख भी करता रहा है। ये उपाय कर दिए जाते तो वहां दुर्घटनाओं का सिलसिला थम जाता।
बाउंड्री के सामने तीन कट से भी हादसे
एमएमएमयूटी के सामने फोरलेन होने के कारण प्राय: वाहनों की रफ्तार तेज ही रहती है। रोड के सामने विश्वविद्यालय की बाउंड्री के दोनों छोर के बीच में कुल तीन कट हैं। पहला, एमएमएमयूटी के पुराने गेट के सामने, दूसरा, नए गेट के सामने और तीसरा, नाइलिट के सामने। पुराने गेट और मुख्य गेट के सामने छात्र-छात्राओं के अलावा हजारों बाहरी लोग प्रति दिन सड़क पार करते हैं।
फुट ओवरब्रिज है अहम विकल्प
आवासीय विश्वविद्यालय होने से एमएमएमयूटी परिसर में छात्रों के साथ ही शिक्षक-कर्मचारियों के साथ उनके अभिभावक व बच्चे भी रहते हैं। वाहनों की तेज रफ्तार के कारण सड़क पार करते समय सभी को कई बार कई-कई मिनट तक किनारे खड़े होकर इंतजार करना पड़ता है। ऐसे में फुट ओवरब्रिज बेहतर विकल्प है। विवि प्रशासन इसकी मांग भी करता रहा है लेकिन प्रशासन ने इस मुद्दे की संवेदनशीलता को गंभीरता से नहीं लिया।
ज्यादातर दुर्घटनाएं शाम या रात को
एमएमएमयूटी के सामने सड़क सुरक्षा के व्यापक इंतजाम की मांग ऐसे ही नहीं उठती रही है। यहां हुई दुर्घटनाओं को याद कर लोग दहल उठते हैं। यहां ज्यादातर दुर्घटनाएं शाम या फिर रात में होती हैं। व्यापक सड़क सुरक्षा के इंतजाम नहीं होने को ही छात्र इसका जिम्मेदार मानते हैं।शाम को दोनों किनारों पर वाहनों का अवैध कब्जा होता है। विद्यार्थी कई बार जान जोखिम में डालकर सड़क पार करते हैं।
शिकायतें
सड़क पार करने के लिए कई बार जान जोखिम में डालते हैं।
दुर्घटना के बाद किए गए उपाय स्थाई हों, और सुविधा बढ़े।
एमएमएमयूटी की बाउंड्री के बाहर दोनों तरफ अतिक्रमण है।
कैंपस में अच्छी सड़कें होने के कारण छात्र फर्राटे भरते हैं।
स्पीड पर कोई लिमिट नहीं होने से खतरा बना रहता है।
सुझाव
विश्वविद्यालय मुख्य द्वार के पास फुट ओवरब्रिज बने।
स्पीड स्लो रखने के लिए जगह-जगह साइन बोर्ड लगें।
एमएमएमयूटी-नाइलिट के बीच से अतिक्रमण हटे।
कैंपस में भी कुछ जगहों पर स्पीड ब्रेकर लगाया जाए
जगह-जगह सीसीटीवी कैमरे लगा स्पीड की निगरानी हो
बोले शिक्षक और छात्र
फुट ओवरब्रिज की प्रति दिन देखभाल न हो तो वह बेकार हो जाता है। कई जगहों पर ‘एफओबी शोपीस बनकर रह गया है। सिग्नल , साइनएज, स्पीड ब्रेकर और पुलिस की तैनाती बेहतर है।
-प्रो. वीके गिरि, अधिष्ठाता, छात्र मामले
समय के साथ लोगों को अपनी मानसिकता बदलनी होगी। सड़क पर वाहन चलाते समय या सड़क पार करते धैर्य जरूरी है। पुलिस बैरिकेडिंग अच्छा विकल्प है। सामने से सभी अतिक्रमण हटाना जरूरी है।
-डॉ धीरेन्द्र सिंह, असिस्टेंट प्रोफेसर
विश्वविद्यालय की बाउंड्री से सटे क्षेत्र को स्लो ट्रैफिक जोन घोषित किया जाए। लिमिट अधिक होने पर वाहनों का चालान सुनिश्चित किया जाए। उचित व्यवस्था न होने के कारण आए दिन दुर्घटनाएं होती हैं।
-डॉ अवधेश कुमार, एसोसिट प्रोफेसर
गेट के सामने ट्रैफिक सिग्नल बहुत जरूरी है। विवि के बाहर कहीं भी साइन बोर्ड नहीं है, जबकि संस्थानों के बाहर यह अनिवार्य रूप से होना चाहिए। अचानक ब्रेक लेने पर भी दुर्घटनाएं होती हैं।
-अनुकृति शर्मा, शोधार्थी, इलेक्ट्रिकल
मेन गेट के सामने दुर्घटनाएं रोकने के लिए कई काम करने होंगे। फुट ओवरब्रिज भी इनमें से एक है। ट्रैफिक नियमों के प्रति जागरूकता जरूरी है। साइन बोर्ड लग जाएं तो लोग दूर से ही सतर्क रहेंगे।
-निकिता प्रजापति, शोधार्थी, इलेक्ट्रिकल
सभी के लिए जरूरी है कि वे सेफ्टी प्रोटोकॉल का पालन करें। बाइक से जा रहे हैं तो हेलमेट पहनें, कार से हैं तो सीट बेल्ट लगाएं। बैरिकेडिंग और पुलिसकर्मियों को तैनाती से हादसे रूक सकते हैं।
-अपर्णा शुक्ला, छात्रा, इलेक्ट्रिकल
सभी के लिए जरूरी है कि वे सेफ्टी प्रोटोकॉल का पालन करें। बाइक से जा रहे हैं तो हेलमेट पहनें, कार से हैं तो सीट बेल्ट लगाएं। बैरिकेडिंग और पुलिसकर्मियों को तैनाती से हादसे रूक सकते हैं।
-अपर्णा शुक्ला, छात्रा, इलेक्ट्रिकल
शिक्षण संस्थान होने के कारण ट्रैफिक सिग्नल जरूरी है। आज जो स्पीड ब्रेकर लगा है, यह पहले लगा होता तो कई हादसे नहीं हुए होते। अतिक्रमण हटाकर पैदल यात्रियों के लिए प्लेटफार्म बनाया जाए।
-डॉ नवदीप सिंह, अ.प्रो. इलेक्ट्रिकल
इस रोड पर तीन से चार किलोमीटर लंबे फ्लाईओवर की जरूरत है। फ्लाईओवर बन जाने से वाहनों का लोड कम हो जाएगा। कूड़ाघाट से लेकर सूबा बाजार तक में होने वाली दुर्घटनाएं खत्म हो जाएंगी।
-डॉ केबी सहाय, असिस्टेंट प्रोफेसर
फुट ओवरब्रिज अच्छा रहेगा। इससे सड़क पार करने वालों के पास विकल्प होगा। वाहन चालकों को इस क्षेत्र में स्पीड मेंटेन रखने की जरूरत है। विवि के सामने जगह-जगह साइन बोर्ड लगे।
-अनुष्का मल्ल, छात्रा, बीटेक, सीएस
कैमरा माड्यूल लगाकर पुलिस निगरानी करे। आईओटी के जरिए स्पीड सेंसर को चालान से कनेक्ट किया जाए। इससे कोई भी लिमिट से अधिक स्पीड से चलेगा तो ऑटोमेटिक चालान कट जाएगा।
-आशी अवस्थी, छात्रा, बीटेक
स्पीड कम होने से एक्सीडेंट की आशंका कम रहेगी। फुट ओवरब्रिज भी एक बेहतर विकल्प है। ट्रैफिक पुलिस की मौजूदगी देखने भर से लोग नियम से वाहन चलाएंगे।
-नमरा उस्मान, छात्रा, बीटेक
विश्वविद्यालय के सामने गतिसीमा निर्धारित हो। यह दुर्घटना बहुल क्षेत्र है, इसका साइनएज डिवाइडर पर जगह-जगह लगे। जेब्रा क्रॉसिंग बने। ट्रैफिक पुलिस की तैनाती परमानेंट के लिए की जाए।
-विवेक विश्वकर्मा, छात्र
जिसे दूर जाना है वे ही प्राय: तेज गाड़ी चलाते हैं। घनी आबादी होने के कारण सर्विस लेन भी बने। लोगों को भी माइंड सेट बदलने की जरूरत है। स्पीड लिमिट तय हो। फुट ओवरब्रिज बनाया जाए।
-आलोक मौर्या, छात्र
बोले जिम्मेदार
विश्वविद्यालय के दोनों गेट के सामने डिवाइडर पर दोनों तरफ डीपर सिग्नल लाइट के लिए सम्बंधित विभाग को लिखा गया है। यदि वे अनुमति दें तो विवि प्रशासन अपने मद से भी सिग्नल लाइट लगवा सकता है। सिग्नल दोनों तरफ ऊंचा होने पर दूर से ही दिखेगा। इससे लोग अलर्ट रहेंगे। फुट ओवरब्रिज के लिए भी पीडब्ल्यूडी को रिमाइंडर भेजा गया है। डिवाइडर के बीच में ग्रीन पट्टी लगाकर ट्रैफिक साइनएज जरूरी है।
-प्रो. जय प्रकाश सैनी, कुलपति, एमएमएमयूटी
एमएमएमयूटी के सामने फुट ओवरब्रिज बनाने के लिए पिछले साल स्मार्ट सिटी परियोजना में तीन करोड़ रुपये का प्रस्ताव शासन को भेज गया है। लेकिन स्वीकृति नहीं मिली। राज्य स्मार्ट सिटी में अब भी कुछ धनराशि शेष बची है। पुन: प्रस्ताव बना कर जनहित में फुट ओवरब्रिज का निर्माण का प्रस्ताव भेजा जाएगा।
- गौरव सिंह सोगरवाल, नगर आयुक्त, गोरखपुर
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