निरस्त मानचित्रों के आवेदन पर जीडीए में कड़ी निगरानी
Gorakhpur News - गोरखपुर विकास प्राधिकरण द्वारा वर्ष 2024-25 और 2025-26 में निरस्त हुए 80 भवन मानचित्रों की समीक्षा की गई। अभियंताओं को निरस्त होने के कारण बताने का निर्देश दिया गया है। शुल्क न जमा होना, भू-प्रयोग में...
गोरखपुर, मुख्य संवाददाता। गोरखपुर विकास प्राधिकरण (जीडीए) द्वारा उत्तर प्रदेश ऑनलाइन भवन योजना अनुमोदन प्रणाली (यूपीओबीपीएएस) पोर्टल पर वर्ष 2024-25 एवं 2025-26 में निरस्त हुए मानचित्रों की समीक्षा हो रही है। संबंधित अभियंताओं को निरस्त हुए एक-एक आवेदन के निरस्त होने की वजह बतानी पड़ रही है। प्राधिकरण की यह कवायद मानचित्र आवेदकों के हितों के संरक्षण, प्राधिकरण की आय में बढ़ोत्तरी एवं मानचित्र स्वीकृति के प्रति संबंधित अभियंताओं को जवाबदेह बनाने और मनमानी पर लगाम लगाने की है। इसी कड़ी में प्राधिकरण सचिव प्रखर उत्तम की अध्यक्षता में निरस्त हुए 80 भवन मानचित्रों की समीक्षा की गई। बैठक में तीनों जिम्मेदार अभियंताओं ने अपने-अपने क्षेत्र के निरस्त मानचित्रों पर कार्रवाई की स्थिति की जानकारी दी।
अवर अभियंता मनीष त्रिपाठी को सौंपे गए 27 मानचित्रों में से 17 आवेदकों ने पुनः आवेदन करने का आश्वासन दिया है। एक प्रकरण में प्लॉट रोड वाइडनिंग में समाप्त हो गया है, जबकि अन्य मामलों में शुल्क न जमा होना, भू-प्रयोग में विसंगति, एनएचआई से अनापत्ति न मिलना और पूर्वनिर्माण जैसी बाधाएं निरस्तीकरण की वजह बताई गई। वहीं, अवर अभियंता प्रभात कुमार ने बताया कि उनके अधीन निरस्त 27 में से 03 मानचित्र दोबारा पास हो चुके हैं और एक में ₹2.34 लाख का शुल्क भी जमा हो चुका है। 15 आवेदकों ने पुनः आवेदन की मंशा जताई है, हालांकि कुछ मानचित्र विवाद, गलत मोबाइल नंबर या संपर्क न हो पाने के कारण लम्बित हैं। उधर अवर अभियंता रोहित पाठक ने बताया कि उनके 28 में से कुछ मानचित्र महायोजना की सड़कों या भू-प्रयोग में फंसे हैं। 04 आवेदकों से संपर्क नहीं हो पाया जबकि चार ने कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया। तीन आवेदकों ने पुनः आवेदन किया है, जिनमें से एक का मानचित्र स्वीकृत हो गया है। बैठक में प्रभारी मुख्य अभियंता किशन सिंह, सहायक अभियंता राजबहादुर सिंह, संजीव तिवारी, अवर अभियंता रोहित पाठक, मनीष त्रिपाठी, प्रभात कुमार, दीपक कुमार गुप्ता, संजू साव, पूनम यादव, सुश्री अनुपमा उपस्थित रहीं। शुल्क जमा न होने के कारण निरस्त हुए 17 मानचित्र इन 80 निरस्त मानचित्र के अलावा बैठक में यह भी सामने आया कि पूर्व में चिन्हित 17 ऐसे मानचित्र थे जो सिर्फ शुल्क न जमा होने के कारण निरस्त हुए थे। तकनीकी सहायक प्रशांत ने बताया कि इनमें से आठ आवेदकों ने जल्द शुल्क जमा करने की बात कही है। 04 मानचित्र आवेदक 100 वर्ग मीटर से कम क्षेत्रफल होने के कारण छूट प्राप्त होने का इंतजार किया जा रहा है। आईडी के दुरुपयोग पर चेतावनी प्रभारी मुख्य अभियंता किशन सिंह ने यह भी बताया कि कुछ मामलों में आर्किटेक्ट्स की लॉगिन आईडी का उपयोग अन्य लोग कर रहे हैं। इस पर नाराजगी जताते प्राधिकरण सचिव प्रखर उत्तम ने निर्देश दिया गया कि ऐसे सभी आर्किटेक्ट्स की सूची बनाकर उन्हें सूचित किया जाए कि वे अपनी आईडी का सुरक्षित उपयोग सुनिश्चित करें, अन्यथा उनके विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी। जिम्मेदार आर्किटेक्ट्स पर होगी निगरानी प्राधिकरण ने यह भी तय किया कि जिन आर्किटेक्ट्स के सबसे अधिक मानचित्र निरस्त हो रहे हैं, उनकी पहचान कर उन्हें चेतावनी पत्र भेजा जाएगा। उन्हें यह स्पष्ट किया जाएगा कि बार-बार निरस्त होने वाले मानचित्र प्राधिकरण की छवि को नुकसान पहुंचा रहे हैं और वे अपनी जिम्मेदारी निभाएं।
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