मजदूरों का 50 करोड़ से अधिक बकाया, चार महीने से नहीं हुआ भुगतान
Gorakhpur News - गोरखपुर में मनरेगा योजना के तहत मजदूरों का 50 करोड़ रुपये से अधिक का बकाया है। पिछले साल दिसंबर में अंतिम भुगतान के बाद नए विकास कार्य ठप हो गए हैं। चुनाव के नजदीक आने पर प्रधानों ने अपनी जेब से...

गोरखपुर, वरिष्ठ संवाददाता गांवों में 100 दिन की रोजगार गारंटी को लेकर शुरू हुई मनरेगा योजना करोड़ों रुपये के बकाया को लेकर बेपटरी हो चुकी है। गोरखपुर जिले के 1273 ग्राम पंचायतों में मजदूरों का 50 करोड़ रुपये से अधिक का बकाया है। विभाग द्वारा अंतिम भुगतान पिछले साल 13 दिसम्बर को हुआ है। बकाया को लेकर ग्राम पंचायतों में नये विकास कार्य लगभग ठप हो गए हैं। अब जब चुनाव को सिर्फ एक साल बचे हुए हैं, तमाम प्रधानों ने अपनी जेब से कईयों को भुगतान का रिस्क भी ले लिया है।
मनरेगा मजदूरों को एक दिन की 237 रुपये मजदूरी मिलती है। सरकार ने पहली अप्रैल से 252 रुपये मजदूरी देने की घोषणा की है। राष्ट्रीय पंचायती राज ग्राम प्रधान संगठन के जिलाध्यक्ष सत्यपाल सिंह जंगल कौड़िया ब्लाक में गाड़ाडीह के प्रधान हैं। गांव में 6 लाख से अधिक की मजदूरी बकाया है। इसी ब्लाक के एक गांव में 26 लाख से अधिक का बकाया है। विभाग के पोर्टल पर मजदूरी की संख्या खुद दिक्कत की गवाही दे रहा है। आम दिनों में प्रतिदिन 40 से 60 हजार मजदूर पूरे जिले में विभिन्न विकास कार्य में काम करते हैं। लेकिन इन दिनों यह संख्या 20 हजार भी नहीं पार कर रही है।जिलाध्यक्ष का कहना है कि ग्राम पंचायतों में 2 से 70 लाख रुपये तक की मजदूरी बकाया है। प्रतिदिन में 30 से 40 प्रधान फोन का बकाया मजदूरी के भुगतान को लेकर सवाल कर रहे हैं। गांव में नये काम को शुरू करना भी मुश्किल हो गया है। बकाया के चलते गांव में नया काम नहीं शुरू हो रहा है।
चुनाव की तैयारी में अपनी जेब से दे दिया रकम
पंचायत चुनाव वर्ष 2026 के शुरुआत में प्रस्तावित है। ऐसे में गांव में वर्तमान प्रधान से लेकर भावी उम्मीदवार ग्रामीणों को रिझाने का कोई मौका नहीं चूक रहे हैं। वोट बैंक खिसकने के खतरे को देखते हुए तमाम प्रधानों ने अपने पास से बकाया मजदूरी दे दी है। खजनी ब्लाक के एक प्रधान का कहना है कि रुपये मजदूर के खाते में आएगा। चुनावी माहौल में उससे रुपये वापस करना भी मुश्किल लग रहा है। सर्वाधिक मुश्किल गोरखपुर शहर से सटे ग्राम पंचायतों का है। खोराबार ब्लाक के एक प्रधान का कहना है कि शहर में 500 से 550 रुपये मजदूरी है। ऐसे में गांव में 235 रुपये में मजदूर मिलना मुश्किल है। ऐसे में कमजोर, बीमार के साथ महिलाएं ही मनरेगा में मजदूरी कर रही है। इनका भुगतान रोका जाना विवाद करा रहा है। डीसी मनरेगा रघुनाथ सिंह का कहना है कि स्थानीय स्तर पर मजदूरों के भुगतान को लेकर सारी औपचारिकता पूरी है। जल्द से जल्द भुगतान हो इसके लिए शासन को अवगत कराया गया है। इसी सप्ताह भुगतान शुरू होने की उम्मीद है।
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