Railway Vendors Demand Social Security and Minimum Wages Amid Rising Inflation बोले हरदोई: कांट्रैक्टर के रहमोकरम पर हमें काम इलाज संग मिले न्यूनतम वेतनमान, Hardoi Hindi News - Hindustan
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बोले हरदोई: कांट्रैक्टर के रहमोकरम पर हमें काम इलाज संग मिले न्यूनतम वेतनमान

Hardoi News - हरदोई के रेलवे वेंडरों ने अपनी समस्याओं को लेकर आवाज उठाई है। उन्होंने बताया कि उन्हें रेलवे द्वारा कोई सामाजिक सुरक्षा सुविधा नहीं दी जा रही है। वेंडरों ने स्वास्थ्य सुविधाओं, बीमा, और न्यूनतम वेतन...

Newswrap हिन्दुस्तान, हरदोईMon, 19 May 2025 02:24 PM
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बोले हरदोई: कांट्रैक्टर के रहमोकरम पर हमें काम इलाज संग मिले न्यूनतम वेतनमान

हरदोई। रेलवे स्टेशन और ट्रेनों में खानपान की सेवाएं दे रहे वेंडरों ने अपनी समस्याओं को लेकर आवाज बुलंद की। सभी ने एकसुर में कहा कि वे सालों से रेल यात्रियों को भोजन, मेडिकल, स्नैक्स आदि मुहैया करा रहे हैं पर उनके लिए कोई भी सामाजिक सुरक्षा सुविधा नहीं बनाई गई है। रेलवे ने उन्हें कांट्रैक्टर के भरोसे छोड़ रखा है। वे चाहते हैं कि रेलवे कुलियों की तरह उन्हें भी अपनाए। चिकित्सा, बीमा और वर्दी जैसी मूलभूत सुविधाएं दी जाएं। उन्हें कमीशन के साथ ही न्यूनतम वेतनमान के दायरे में लाया जाए। आपके अपने अखबार ‘हिन्दुस्तान से चर्चा के दौरान वेंडरों ने समस्या बताते हुए उनके निदान के सुझाव भी दिए।

बताया कि आयुष्मान कार्ड बनवाकर उन्हें भी स्वास्थ्य सुविधा का लाभ दिया जाए। सभी वेंडर्स को न्यूूनतम वेतन के दायरे में लाया जाए, ताकि महंगाई के दौर में अपना घर आसानी से चला सकें। रलवे यात्रियों को उनकी सीट तक हर खाने-पीने की चीजें पहुंचाने वाले वेंडर खुद मुसीबतों से दो-चार हैं। कई तरह की दिक्कतें झेल रहे इन वेंडरों की सुनने वाला कोई नहीं है। रेलवे ने तो इनको कांट्रैक्टर के हवाले कर दिया है। साथ ही वेंडरों की नौकरी की भी कोई गारंटी नहीं। उनका कहना है कि बीमार पड़ने पर खुद की जेब से खर्च करना पड़ता है। आपके अपने अखबार ‘हिन्दुस्तान से बातचीत के दौरान मुरारी गुप्ता कहते हैं कि कांट्रैक्टर के रहमोकरम पर हमें काम मिलता है पर अब महंगाई को देखते हुए आयुष्मान कार्ड संग न्यूनतम वेतनमान मिलना चाहिए। लखनऊ-मुरादाबाद रेलवे ट्रैक पर ए ग्रेड स्टेशन हरदोई रेलवे स्टेशन पर 33 जोड़ी ट्रेनें रुकती हैं। यहां स्टेशन पर खानपान की सुविधा के लिए 11 स्टॉल लगाए गए हैं। वेंडरों का कहना है कि प्रत्येक स्टॉल पर सात वेंडर काम करने को अधिकृत हैं। वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट योजना के तहत हैंडलूम के एक स्टॉल पर भी दो वेंडर कार्यरत हैं। इस तरह कुल 79 वेंडर काम कर रहे हैं। वेडर्स को सुविधाओं और सामाजिक सुरक्षा को लेकर चलाई जा रही योजनाओं से लाभान्वित करने की जिम्मेदारी कांट्रैक्टर के जिम्मे है। पर कांट्रैक्टर अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन नहीं कर रहे हैं। ठेकेदारों के रहमोकरम पर काम कर रहे: रेलवे वेंडर बताते हैं कि वे लोग ठेकेदारों के रहमोकरम पर काम कर रहे हैं। अपने हक की बात भी कहो तो ठेकेदार अनसुनी कर देते हैं। वेंडर भले ही दो साल से काम कर रहा हो या पांच साल से उसको हटाने में एक मिनट का भी समय नहीं लगता है। वेंडर मुकुल कहते हैं वेंडर्स को लेकर रेलवे की ओर से तैयार नियमावली में उनके स्वास्थ्य परीक्षण, साफ कपड़े पहनना, दाढ़ी बना कर रखना एवं हाईजीन के सभी नियमों का पालन करना है। इसके लिए उन्हें ठेकेदार की ओर से सुविधाएं उपलब्ध करवाई जानी चाहिए। ताकि इन सब चीजों के लिए अपने पास से न खर्च करना पड़े। सारा खर्च अपनी जेब से उठाना पड़ता: मुरारी गुप्ता, गोविंद जायसवाल, संतोष, गुड्डू गुप्ता बताते हैं कि यह सारा खर्च हमें अपनी जेब से उठाना पड़ता है। वेंडर रजनीश और मुकेश ने बताया कि अगर वह कभी बीमार हो जाएं तो इलाज का खर्च उनको खुद से करना पड़ता है। काम बंद होने पर मिलने वाला कमीशन भी नहीं मिलता है। कम से कम इलाज का पैसा तो मिलना चाहिए। हो सके तो रेलवे चिकित्सालयों में ही इलाज की सुविधा दे दी जाए। काम बंद होने पर भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड में पंजीकृत श्रमिकों की भांति बीमारी भत्ता भी दिया जाना चाहिए। महंगाई के दौरान मानदेय भी बढ़ना चाहिए। साथ ही स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए आयुष्मान कार्ड भी कैंप लगवाकर बनवाना चाहिए। शिकायतें 1. चिकित्सा सुविधा का अभाव है। बीमार होने पर इलाज का पूरा खर्च खुद उठाना पड़ता है। 2. किसी दुर्घटना या बीमारी की स्थिति में बीमा का कोई लाभ नहीं मिलता है। 3. यूनिफॉर्म, हाईजीन सामग्री, मेंटिनेंस खर्च वेंडर्स को खुद उठाना होता है। 4. न्यूनतम वेतनमान तय नहीं है। कमीशन आधारित अस्थिर आमदनी से काम चलता है। 5. ठेकेदार मनमर्जी से निकाल देते हैं। कोई सेवा सुरक्षा नहीं है। 6. रेल यात्रा में टिकट लेना पड़ता है। पास की कोई सुविधा नहीं मिलती। 7. बीमार पड़ने पर कोई भत्ता या राहत नहीं दी जाती है। इससे जमा पूंजी खर्च हो जाती है। समाधान 1. रेलवे चिकित्सालय में मुफ्त इलाज की सुविधा वेंडर्स को भी दी जाए। 2. चिकित्सा और दुर्घटना बीमा योजनाओं में वेंडर्स को शामिल किया जाए। 3. वर्दी, हाईजीन किट और जरूरी सामग्री का खर्च रेलवे वहन करे। 4. सभी वेंडर्स को न्यूनतम वेतन के दायरे में लाया जाए, जिससे खर्च चल सके। 5. स्थायी सेवा सुरक्षा व्यवस्था बनाई जाए। ठेकेदारों की मनमानी रोकी जाए। 6. वेंडर्स को भी आने-जाने के लिए रेलवे पास जारी किए जाएं। 7. बीमारी के समय भत्ता, निर्माण मजदूरों की तर्ज पर, प्रदान किया जाए। बोले वेंडर रेलवे वेंडर्स के लिए कोई सुरक्षा नहीं मुहैया कराई जाती है। हम ठेकेदारों की मनमानी पर जी रहे हैं। - मुकुल हमारी यूनिफॉर्म, हाईजीन सामग्री का खर्च खुद उठाना पड़ता है। कोई सुविधा नहीं मिलती। -मुरारी गुप्ता हम साफ-सफाई के सभी नियमों का पालन करते हैं, फिर भी कोई सम्मान या सुविधा नहीं है। -गोविंद जायसवाल बीमार होने पर इलाज का खर्च खुद उठाना पड़ता है। कोई विभागीय सुविधा नहीं मिल पा रही है। -संतोष दिन रात सेवा के बाद भी कोई बीमा या सुरक्षा की सुविधा नहीं मिलती। इलाज का इंजाम किया जाए। -गुड्डू गुप्ता रेलवे हमें कांट्रैक्टर के भरोसे छोड़ देता है, न सुनवाई होती है, न सुविधा। पीएम आवास योजना का लाभ मिले। - पप्पू गुप्ता छोटी सी गलती पर भी हटा देते हैं। ऐसा नहीं होना चाहिए। आयुष्मान कार्ड के लिए पात्र माना जाए। - बाबूराम रेलवे को चाहिए कि कुलियों की तरह हमें भी पास और पहचान पत्र दें। योजनाओं का लाभ मिले। -योगेंद्र काम करते वक्त बीमार हो जाएं तो इलाज का पैसा खुद देना पड़ता है। आयुष्मान कार्ड बनाए जाएं। -कुलदीप सिंह छह महीने में कम से कम एक बार जिम्मेदार बैठक करें। समस्याएं सुनें। जो वाजिब हों उनका समाधान हो। -अजय गुप्ता भविष्य अनिश्चित है। रेलवे को हमारी सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए। ताकि तनावमुक्त रहें। -शिव गोपाल बीमारी में न इलाज मिलता है, न कोई भत्ता। स्वास्थ्य विभाग कैंप लगाकर हेल्थ चेकअप कराए। - रजनीश बोले जिम्मेदार वेंडर्स नियम कानून के दायरे में अपना कार्य करें। उचित मूल्य पर खाद्य एवं पेय सामग्री का विक्रय करें। साफ सफाई रखें। ड्रेस पहनकर कार्य करें। अगर कोई कांट्रैक्टर उनके साथ गलत व्यवहार कर रहा है। शर्तों का उल्लंघन कर रहा है तो उन्हें जानकारी दें। -अंबुज मिश्रा, सीएमआई

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