बोले हरदोई: हमारा वेतन समय से मिल जाए.. गारंटी नहीं
Hardoi News - हरदोई में मनरेगा के संविदा कर्मचारियों को समय पर मानदेय नहीं मिल रहा है, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति खराब हो रही है। कई कर्मचारी ईपीएफ कटौती की जमा राशि न मिलने से चिंतित हैं। आयुष्मान कार्ड का लाभ भी...

हरदोई। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) में श्रमिकों को 100 दिन की रोजगार की गारंटी तो है पर संविदा पर तैनात एपीओ, तकनीकी सहायक, कंप्यूटर ऑपरेटर और रोजगार सेवकों को समय से मानदेय मिल जाए, इसकी कोई गारंटी नहीं है। यह हाल तब है, जब ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोजगारी खत्म करने को लेकर केंद्र सरकार की ओर से शुरू की गई सबसे बड़ी योजनाओं में यह शामिल है। इस योजना के क्रियान्वयन की पूरी जिम्मेदारी इन्हीं कर्मियों पर है। आपके अपने अखबार ‘हिन्दुस्तान से चर्चा के दौरान मनरेगा कर्मचारियों का दर्द उभरकर सामने आया। कहा, कई-कई दिन तक मानदेय न मिलने से कई दिक्कतों से दो-चार होना पड़ता है। हर छह महीने में समस्याओं को लेकर अधिकारियों को बैठक करनी चाहिए। शिकायत करने पर सिर्फ आश्वासन ही मिलता है पर उसका निस्तारण आज तक न हो सका है। मानदेय मिलने का समय निश्चित किया जाए।
हरदोई में 19 विकास खंड मुख्यालय, 1293 ग्राम पंचायतों के साथ ही जिला मुख्यालय पर विकास भवन में मनरेगा के तहत संविदा कर्मचारी कार्यरत हैं। आपके अपने अखबार ‘हिन्दुस्तान से बातचीत के दौरान एपीओ सौरभ रस्तोगी बताते हैं कि मनरेगा में कार्मिकों को समय से और पर्याप्त भुगतान न होना बड़ी समस्या है। कई बार तो छह-छह महीने हो जाते हैं पर कार्मिकों को मानदेय नहीं मिलता है। हमारा वेतन समय से मिल जाए... इसकी गारंटी नहीं है। तकनीकी सहायक अनुराग मिश्रा बताते हैं कि तकनीकी सहायकों का मानदेय सामग्री अंश के साथ जोड़ दिया गया है, जबकि अन्य संविदा कर्मचारियों का मानदेय प्रशासनिक मद से दिया जाता है। सरकार को चाहिए वो कर्मचारियों के लिए एक समान नीति बनाए और समय से मानदेय उपलब्ध करवाना सुनिश्चित करे। तकनीकी सहायकों को भी मनरेगा की प्रशासनिक मद से ही भुगतान दिया जाए। विकास खंड मुख्यालयों के साथ ग्राम पंचायत में कार्यरत मनरेगा कर्मियों की समस्याओं को लेकर छह महीने में कम से कम एक बार विभागीय अधिकारी बैठक करें। विभाग में एक हेल्प डेस्क भी बनाई जाए, जिससे जिलास्तर पर मनरेगा के कार्य कराने के दौरान आने वाली दिक्कतों को कर्मचारी सामने रख सकें। महीने की एक से सात तारीख के मध्य तक मासिक मानदेय का भुगतान हर महीने दिया जाए ताकि समय से बच्चों की फीस और गृहस्थी के सामान का भुगतान कर सकें। अभी दुकानदारों से उधार लेकर काम चलाना पड़ता है। मनेरगा कर्मियों का कहना है कि गांवों के विकास के लिए वे लोग काम कर रहे हैं पर खुद की समस्याओं का निराकरण करा पाने में फेल साबित हो रहे हैं। जिम्मेदारों के सामने कई बार समस्याएं उठाई पर आश्वासन के अलावा कुछ नहीं मिला। जनप्रतिनिधि भी उनकी ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं।
ईपीएफ कटौती जमा न होने से बढ़ी चिंता : मनरेगा कर्मियों के ईपीएफ खातों में कटौती की धनराशि जमा नहीं होने से कर्मचारी अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं। ऐसे कई संविदा कर्मचारी हैं जो समस्याओं से जूझते हुए दिवंगत हो चुके हैं। ईपीएफ धनराशि जमा न होने से कर्मियों के परिजनों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है। एपीओ, तकनीकी सहायकों, कंप्यूटर ऑपरेटर और अन्य कर्मियों की ईपीएफ धनराशि नियमित रूप से जमा की जाए।
आयुष्मान कार्ड का नहीं मिल रहा लाभ : मनरेगा में तैनात संविदाकर्मियों को आयुष्मान योजना का लाभ नहीं मिल रहा है, जिससे इलाज में दिक्कत होती है। मनरेगा कार्मिकों को अनिवार्य रूप से आयुष्मान कार्ड उपलब्ध करवाए जाएं। शासन-प्रशासन को समझना चाहिए कि संविदा कर्मचारी किन परिस्थितियों में काम कर रहे हैं। अगर कुछ दिन मानदेय न मिले तो फाकाकशी की नौबत आ जाती है। अल्प मानदेय भोगी कर्मचारियों को राशन कार्ड भी उपलब्ध करवाना चाहिए ताकि वे भी आसान से अपने परिवार का जीविकोपार्जन कर सकें। सबसे बड़ी समस्या स्वास्थ्य को लेकर होती है।
आलोक अस्थाना के मुताबिक ईपीएफ की समस्या का पिछले कई सालों से निस्तारण नहीं हो पाया है। संडीला और थावां में दो रोजगार सेवक साथियों की असमय मौत हो गई। ईपीएफ की समस्या का निस्तारण न होने के कारण उन अभागों के परिवार आर्थिक लाभ से वंचित रह गए। यदि सरकारी लाभ मिलता तो परिवार में बच्चों को आगे पढ़ने में सहायक होता। इनका कहना है कि ऐसा नहीं हे कि अपनी मांगों को लेकर आवाज न उठाई। हर तरफ गुहार लगाई पर किसी ने भी इसे पूरा करने की जहमत नहीं उठाई।
शिकायत
1. समय पर मानदेय भुगतान नहीं होता। सामग्री अंश से भुगतान होने के कारण देरी होती है।
2. ईपीएफ कटौती जमा न होने भविष्य में अनिश्चितता बनी रहती है।
3. आयुष्मान कार्ड नहीं बनाए गए हैं, आर्थिक तंगी के कारण स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं मिल पातीं।
4. संविदा कर्मियों की नौकरी अस्थायी है जिससे भविष्य को लेकर असुरक्षा बनी रहती है।
5. कार्यभार अधिक लेकिन स्टाफ कम है, जिससे काम प्रभावित होता है।
6. मजदूरी और सामग्री भुगतान में देरी होती है, इससे योजना प्रभावित होती है।
7. मानक के अनुरूप वेतनवृद्धि नहीं की जाती है, संविदा कर्मचारियों को प्रमोशन का लाभ भी नहीं मिलता।
समाधान
1. प्रशासनिक मद से मानदेय भुगतान किया जाए जिससे समय पर वेतन मिल सके।
2. ईपीएफ का नियमित अंशदान जमा किया जाए ताकि भविष्य में अनिश्चितता न रहे।
3. मनरेगा कार्मिकों को प्राथमिकता से आयुष्मान कार्ड दिए जाएं ताकि कर्मियों को चिकित्सा सुविधाएं मिल सके।
4. संविदा कर्मियों को स्थायी करने की नीति बने, जिससे कर्मचारियों का भविष्य सुरक्षित हो।
5. नए पदों का सृजन किया जाए जिससे कार्यभार संतुलित हो।
6. भुगतान प्रक्रिया पारदर्शी और सरल हो ताकि मजदूरों और आपूर्तिकर्ताओं का भुगतान हो।
7. योग्यता के अनुसार प्रमोशन और वेतनवृद्धि दी जाए, जिससे कर्मियों का मनोबल बढ़ेगा।
बोले मनरेगा कर्मी
समय से मानदेय न मिलने पर आर्थिक संकट का सामना करना पड़ता है। हर दूसरे तीसरे माह यही स्थिति आ जाती है। -नागेश सिंह, मल्लावां
ग्राम पंचायत की आबादी श्रमिकों और कार्यों के अनुसार ग्राम पंचायत वार बजट आवंटित हो। -धर्मेंद्र सिंह, तकनीकी सहायक
कर्मचारियों को आयुष्मान योजना का लाभ न मिल पाने से कई साथी इलाज के अभाव में दम तोड़ चुके हैं। -अजय विक्रम सिंह, तकनीकी सहायक
संविदाकर्मियों की नौकरी अस्थायी होने से अपने व परिवार के भविष्य को लेकर असुरक्षा बनी रहती है। -अनुराग मिश्रा, तकनीकी सहायक
महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना में मानदेय और सामग्री भुगतान में देरी से योजना की गुणवत्ता पर असर पड़ता है। -शम्मी सोनकर
महंगाई दर के अनुपात में मानदेय वृद्धि न होना एक गंभीर समस्या है। महंगाई बढ़ने संग जीवन यापन मुश्किल होता जा रहा है। -विनोद सक्सेना, एपीओ
तकनीकी सहायकों का भुगतान सामग्री अंश का भुगतान होने पर देय होता है। इस नियम से मानदेय मिलने में देरी होती है। -राजू गौतम, एपीओ
हम भी सरकार का काम करते हैं, हमें कम मानदेय क्यों मिलता है। सभी कर्मियों के लिए एक समान वेतन नीति बने। - इमरान सिद्दीकी, अहिरोरी
ईपीएफ का नियमित अंशदान खाते में जमा किया जाए। इससे कर्मियों के भविष्य को सुरक्षित किया जा सकता है। -कमलेश, ऑपरेटर टड़ियांवा
हर माह विभागाध्यक्ष एवं तीसरे माह में डीएम संग बैठक का नियम है पर सुनवाई न कर शासनादेश का उल्लंघन है। -दीपक अवस्थी, कोथावां
कर्मचारियों के पदों के सापेक्ष नियुक्ति न होने से हमेशा ही कार्यभार अधिक रहता है। स्टाफ कम होने से योजनाओं की गुणवत्ता प्रभावित होती है। -अतुल राय, एपीओ
संविदा कर्मियों को स्वास्थ्य सुविधाएं और राशन कार्ड मिलना जरूरी है ताकि बीमार होने पर खुद का और अपना उपचार करवा सकें। -मो. जाबिर, बेहन्दर
बोले जिम्मेदार
मनरेगा कर्मियों से वार्ता की जाएगी। स्थानीय स्तर पर उनकी जो भी समस्याएं हैं उन्हें सुनकर समाधान कराया जाएगा। शासन स्तर से जो समस्याएं हल हो सकती हैं उसके लिए पत्राचार किया जाएगा। -रवि प्रकाश सिंह, उपायुक्त मनरेगा
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