एक ही दिन तीन कहानियों के साथ 17 दिनों के मंचन का सफर शुरू
Lucknow News - लखनऊ में मंचकृति समिति द्वारा 17 दिनों तक महिलाओं की कहानियों का नाट्य मंचन किया जा रहा है। पहले दिन 'ग्रहण', 'मेरी चिड़िया उसकी चिड़िया' और 'गरीबनी का पति' नाटक प्रस्तुत किए गए। नाटक में शिक्षिका,...

-मंचकृति की ओर से 17 दिनों तक लगातार किया जा रहा है महिला की कहानियों का मंचन -पहले दिन ग्रहण, मेरी चिड़िया उसकी चिड़िया और गरीबनी का पति का मंचन
लखनऊ, कार्यालय संवाददाता
मंचकृति समिति की ओर से 17 दिनों में पचास कहानियों का नाट्य मंचन किया जायेगा। जिसकी शुरुआत सोमवार को संत गाडगे प्रेक्षागृह में हो गई। नाट्य उत्सव के पहले दिन तीन कहानियों को मंच पर प्रस्तुत किया गया। जिसमें संध्या दीप रस्तोगी की लिखी कहानी मेरी चिडिय़ा उसकी चिडिय़ा, नीलम राकेश की कहानी ग्रहण और रीता केके.अग्रवाल की कहानी गरीबनी का पति का मंचन किया गया।
मंचकृति के नाट्य उत्सव में सोमवार को सबसे पहले संध्या दीप रस्तोगी की कहानी मेरी चिडिया उसकी चिडिया का मंचन किया गया। संध्या दीप रस्तोगी के एकल अभिनय में दिखाया गया कि एक शिक्षिका किस प्रकार मुफलिसी के बोझ तले कैसे अपनी बेजान जिन्दगी में नई रोशनी लाती है। वहीं दूसरे नाटक ग्रहण की कहानी एक मां और बेटे के स्नेहपूर्ण जीवन को दिखाती है। मां चाहती है कि उसका बेटा शादी कर ले। इस बीच उसे एहसास होता है कि उसके बेटे की जिन्दगी में कोई लडक़ी है जिसको वे प्रेम करता है। मां की इच्छा पर वह उस लडक़ी को घर लाता है जिसके बाद मां और बहू के बीच फंसे बेटे की कहानी को मंच पर अभिनेता अनुराग शुक्ला, काव्या मिश्रा और रचना मुकेश टण्डन ने अपने अभिनय के जरिये पेश किया। पहले दिन की अंतिम कहानी रीता केके.अग्रवाल की कहानी गरीबनी का पति की थी। जिसकी कहानी एक ऐसी महिला के इर्द गिर्द घूमती है जिसने अपनी पूरी जिन्दगी किसी पर भी एक पैसा नहीं खर्च किया मगर प्रेम में पडऩे के बाद उसने अपना सब कुछ एक भिखारी पर लुटा दिया। इस मार्मिक कहानी में मंच पर अम्बरीश बॉबी, काव्या मिश्रा, ज्योति सिंह और सोम गांगुली ने दमदार अभिनय किया। निर्देशन संगम बहुगुणा और विकास श्रीवास्तव रहे।
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