बिल्डरों से करोड़ों की वसूली अटकी
Lucknow News - लखनऊ में चार बिल्डरों पर 100 करोड़ रुपये से अधिक का बकाया है, जिनसे प्रशासन वसूली नहीं कर पा रहा है। रेरा को 14 बिल्डरों की वसूली सर्टिफिकेट वापस भेजी गई हैं। बंधक सम्पत्तियों की पहचान के लिए प्रशासन...

वसूली न हो पाने के बाद रेरा को आरसी वापस की गईं एलडीए, नगर निगम और आयकर से मदद मांग रहा प्रशासन तुलसियानी, आर सन्स, शाइन सिटी समेत कई बिल्डर शामिल लखनऊ प्रमुख संवाददाता शहर के चार बिल्डरों पर 100 करोड़ रुपये से ज्यादा बकाया है। प्रशासन इनसे वसूली नहीं कर पा रहा है। रेरा के बकाएदार इन बिल्डरों की सम्पत्तियां तो मिलीं लेकिन बैंक में बंधक हैं। ऐसे में इन सम्पत्तियों को कब्जे में लेकर कुर्की- नीलामी नहीं हो सकती है। जब तक यह प्रक्रिया पूरी नहीं होती तब तक इन बिल्डरों के धोखे का शिकार हुए पीड़ितों को राहत नहीं मिल सकती है।
ऐसे 14 बिल्डरों की आरसी यानी वसूली सर्टिफिकेट रेरा को वापस भेजे गए हैं। पहले इन बिल्डरों से वसूली जाने वाली रकम 150 करोड़ थी लेकिन अंसल और यजदान एनसीएलटी में चले गए। अब शेष रकम 50 करोड़ से कुछ अधिक है। जिनकी आरसी वापस हुई उन बिल्डिरों में तुलसियानी, आर सन्स और शाइन सिटी शामिल हैं। तुलसियानी की जितनी सम्पत्तियां मिली हैं वे बैंक में बंधक हैं। आरसी वापस होने के बावजूद अब अन्य विभागों की मदद से पता लगाया जा रहा है कि इनके निदेशक मंडल की और कहां सम्पत्तियां हैं। ऐसी सम्पत्तियों को ढूंढ़ने के बाद वसूली की प्रक्रिया आगे बढ़ाई जाएगी। जिला प्रशासन के एक अन्य अधिकारी ने बताया कि सदर तहसील ही नहीं, सरोजनीनगर, मोहनलालगंज और बीकेटी में भी बड़ी संख्या में डिफाल्टर बिल्डर हैं। बिल्डरों की सम्पत्तियां ढूंढ़ने के लिए नगर निगम, एलडीए के अलावा आयकर से भी मदद ली जा रही है। जिला प्रशासन की फेहरिस्त में कुल 33 डिफाल्टर बिल्डर हैं। बोगस कंपनियों के नाम से किया निवेश प्रशासन को यह जानकारी मिली है कि डिफाल्टर बिल्डरों ने लोगों की जमा पूंजी अपनी परियोजना में लगाने की जगह दूसरे प्रोजेक्ट में लगा दी। इसके लिए बोगस कंपनियों का सहारा लिया गया। अब ऐसी कंपनियों की भी तलाश की जा रही है। इसका पता आयकर विभाग बैंक ट्रांजेक्शन और यूपीआई समेत अन्य माध्यमों से आसानी से लगा सकता है। इन बिल्डरों की आरसी वापस हुई अवध इन्फ्रालैंड, रोहतास प्रोजेक्ट, यजदान, डीजल कंस्ट्रक्शन, एमजे इन्फ्रा, यूनीवर्ल्ड बिल्डर्स, क्लेरियन आदि। एक दो बिल्डर ऐसे हैं जिनकी साइट लखनऊ में नहीं हैं। शेष की सम्पत्तियों को अन्य विभागों के सहयोग से ढूंढ़ा जा रहा है। राकेश सिंह, एडीएम एफआर
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