कंसल्टेंट ने स्वीकारा अमेरिकी नियामक ने लगाया था जुर्माना
Lucknow News - दक्षिणांचल और पूर्वांचल बिजली कंपनियों के निजीकरण में शामिल कंसल्टेंट कंपनी ग्रांट थॉर्नटन ने स्वीकार किया कि उस पर अमेरिकी रेगुलेटर द्वारा 40 हजार डॉलर की पैनल्टी लगाई गई थी। उपभोक्ता परिषद ने इसे...

-पावर कारपोरेशन के नोटिस पर कंपनी के जवाब में हुआ खुलासा -उपभोक्ता परिषद ने की ब्लैक लिस्ट कर एफआईआर कराने की मांग
लखनऊ, विशेष संवाददाता
दक्षिणांचल और पूर्वांचल बिजली कंपनियों के निजीकरण का मसौदा तैयार करने को रखी गई कंसल्टेंट कंपनी के मामले में नया मोड़ आ गया है। पावर कारपोरेशन के नोटिस का जवाब देते हुए कंसल्टेंट कंपनी ग्रांट थॉर्नटन ने स्वीकारा है कि अमेरिकी रेगुलेटर पीसीएओबी ने 20 फरवरी 2024 को उसके ऊपर 40 हजार डॉलर की पैनल्टी लगाई थी। कंपनी इस धनराशि को जमा कर चुकी है। उपभोक्ता परिषद ने इसे अपने द्वारा किए गए खुलासे पर मुहर बताया है।
उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा है कि निजीकरण का टेंडर लेते वक्त कंपनी द्वारा फरवरी 2025 में शपथपत्र दिया गया था। इसमें ग्रांट थॉर्नटन कंपनी ने पिछले तीन साल में अपने ऊपर कोई भी जुर्माना नहीं लगा होने की बात कही थी। वर्मा ने कहा कि यह शपथपत्र मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली एनर्जी टास्क फोर्स व एंपावर्ड कमेटी में प्रावधानित व्यवस्था के तहत दिया गया था। अब कंसलटेंट कंपनी का जवाब आने के बाद स्पष्ट हो गया है कि यह शपथ पत्र झूठा था। उन्होंने मुख्यमंत्री को इस पूरे मामले की सीबीआई से जांच कराने की मांग की।
वर्मा ने कहा जब कंसल्टेंट कंपनी ने स्वत: मान लिया है कि उस पर पेनल्टी लगी थी तो अब पावर कारपोरेशन को उसे तत्काल ब्लैक लिस्ट करते हुए प्राथमिकी दर्ज करानी चाहिए। उन्होंने दावा किया कि देश का जो औद्योगिक घराना दागी कंपनी के लिए मददगार बना हुआ है, जल्द उसका भी खुलासा किया जाएगा। आरोप लगाया कि वर्ष 2018 में विजय माल्या के किंगफिशर केस में भी इसी कंपनी के कई अधिकारी वेल्यू को बढ़ा-चढ़ाकर बताने के मामले में सीबीआई के राडार पर थे। ऐसे में पावर कारपोरेशन के अधिकारियों को सतर्कता बरतनी चाहिए।
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