Severe Water Crisis in Sant Kabir Nagar Amidst Rising Heat तेज हो रही गर्मी में नगर में शीतल जल का संकट, Santkabir-nagar Hindi News - Hindustan
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तेज हो रही गर्मी में नगर में शीतल जल का संकट

Santkabir-nagar News - संतकबीरनगर, हिन्दुस्तान टीम। संतकबीरनगर जिले में अप्रैल माह में तेज धूप के साथ

Newswrap हिन्दुस्तान, संतकबीरनगरFri, 18 April 2025 12:21 PM
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तेज हो रही गर्मी में नगर में शीतल जल का संकट

संतकबीरनगर, हिन्दुस्तान टीम। संतकबीरनगर जिले में अप्रैल माह में तेज धूप के साथ कड़ाके की गर्मी होने लगती है। ऐसे में लोगों का हलक सूखने लग रहा है। सिर से पांव तक पसीना टपक रहा है। अप्रैल माह में ही मई जैसी गर्मी का अहसास हो रहा है। पुरवा हवाओं के साथ पड़ रही उमस भरी गर्मी लोगों को परेशान कर रही है, लेकिन शहर में शुद्ध शीतल पेयजल का मुकम्मल इंतजाम नहीं है। दूर दराज ग्रामीण क्षेत्र से आने वाले लोग पानी के लिए परेशान होते हैं। इसकी दुश्वारियों के साथ ही स्थानीय नागरिकों को भी समस्या से दो-चार होना पड़ता है। जिम्मेदार पूरी तरह से खामोश हैं और नागरिक पानी के लिए परेशान।

प्यास लगी तो चले कुंआ खोदने की कहावत नगरपालिका के लिए ठीक बैठती है। जो भी चेयरमैन बनता है वह नया प्रोजेक्ट लेकर आता है। उसे स्थानीय जनता के हितों से कोई लेना-देना नहीं होता है। नए प्रोजेक्ट में इस प्रकार के सब्जबाग दिखाए जाते हैं मानो अब शहर में शीतल पेयजल का कोई किसी प्रकार का संकट नहीं होगा। उद्घाटन सत्र में इस प्रकार का वायदा किया जाता है कि जैसे शहरी गरीबों के लिए यह योजना वरदान साबित होगी। लाखों रुपए का प्रोजेक्ट एक माह भी ठीक से नहीं चलता है। महीने-दो महीने के अंदर खराब होने लगता है और फिर खराब होता जाता है। इसके बाद चेयरमैन से लेकर ईओ तक उस प्रोजेक्ट को नहीं देखते हैं। इसकी वजह से नागरिकों में रोष बढ़ता जाता है दूसरी ओर लाखों रुपया सरकारी खजाने से ठेकेदार के खाते में चला जाता है। और इस धन का पूरी तरह से बंदरबांट हो जाता है। फर्म को धन भुगतान होने के बाद इस ओर कोई देखने सुनने वाला नहीं होता है। उसके रिपेयरिंग व देखभाल की कोई व्यवस्था नहीं की जाती है। स्थानीय नागरिक भी हैंडपंप के सहारे अपने जीवन को बिताने लगते हैं और देशी घरेलू नल ही लोगों के जीवन का सहारा बन जाते हैं। शहर में कई जगह शीतल पेय के लिए प्रोजेक्ट लगाए गए थे। सभी पूरी तरह से दगा दे दिए हैं। सीएचसी खलीलाबाद परिसर में लगा शीतल पेयजल का प्रोजेक्ट अक्सर खराब ही रहता है। सर्किट हाउस और समय माता मंदिर का वाटर कूलर बंद पड़ा है। सुगर मिल तिराहे पर पुलिस बूथ के बगल लगा वाटर कूलर कबाड़ बन कर शो-पीस हो गया है। वाटर कूलरों के खराबी की वजह से नागरिकों को काफी परेशानी का सामान करना पड़ता है।

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पांच रुपए में शुद्ध पानी मिलने का दावा भी रहा खोखला

नगरपालिका के पूर्व चेयरमैन श्याम सुंदर वर्मा ने शहर के बैंक चौराहा स्थित सर्किट हउस व समय माता मंदिर के पास वाटर कूलर स्थापित कराया था। इसके तहत लोगों को डिब्बा बंद पानी जैसी सुविधा मिलने का दावा किया गया था। कोई भी नागरिक पांच रुपए लेकर आए और मशीन में सिक्का डाले उसे 10 लीटर का एक डिब्बा पानी मिल जाएगा। बाद में दोनों जगह की मशीनें खराब हो गईं। उसके बाद वहां के लोगों को पानी देने के लिए नगरपालिका से एक कर्मचारी को तैनात कर दिया गया। उस कर्मचारी की जिम्मेदारी थी कि डिब्बा लेकर आने वाले लोगों से पांच रुपया वसूल करे और उसे दस लीटर पानी दे। कुछ दिन तक यह व्यवस्था चली। बाद में इसे भी बंद कर दिया गया। 15 लाख की यह मशीनें शो-पीस बनी हुई हैं। आने जाने वाले लोगों का हलक सूख रहा है और नगरपालिका की व्यवस्थाएं चरमरा रही हैं।

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दम तोड़ दिया सीएचसी का वाटर कूलर

वर्तमान चेयरमैन ने सीएचसी खलीलाबाद परिसर में वाटर कूलर स्थापित किया। लाखों रूपए के इस प्रोजेक्ट का नपा चेयरमैन जगत जायसवाल से उद्घाटन किया था। मरीजों के हित के लिए स्थापित वाटर कूलर दगा कारतूस साबित हो रहा है। इस परिसर में प्रतिदिन दो सौ मरीज इलाज के लिए आते हैं। मरीजों को दवा खानी होती हैं तो बाहर से बोतल बंद पानी की तलाशते हैं। अस्पताल परिसर के अंदर वाटर कूलर चलता तो मरीजों की जेब हल्की नहीं होती। सीएचसी अधीक्षक डा. वरुणेश का कहना है कि इस प्रोजेक्ट की जिम्मेदारी नगरपालिका की है। खराब होने पर कई बार नगरपालिका से शिकायत की गई, लेकिन मरम्मत होने में काफी समय लग जाता है। वर्तमान में भी यह मशीन खराब ही है।

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शो पीस बना सुगर मिल पर लगा वाटर कूलर

लगभग एक दशक पहले शहर के चौराहों पर वाटर कूलर लगाए गए थे। सुगर मिल तिराहा, सब्जी मंडी तिराहा, मेंहदावल बाईपास तिराहा पर लगे थे। इन पर ऊपर पानी की टंकी थी। नीचे वाटर कूलर था। समय के साथ सब कबाड़ होकर शो पीस बन गए। मेंहदावल बाईपास का कूलर हटाकर वहां फौव्वारा लग गया है। सुगर मिल चौराहे पर पुलिस बूथ के बगल में लगा वाटर कूलर भी कबाड़ होकर शो पीस बना है।

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नहीं शुरू हुए प्याऊ

प्यासे को पानी पिलाना पुण्य कार्य करना माना जाता है। इसी अवधारणा शहर में धर्मशील लोग प्याऊ चलाते थे। गर्मी शुरू होने पर गुड़धनिया और मटके के पानी की व्यवस्था करते थे। घड़े का ठंडा पानी पीकर लोग तृप्त हो जाते थे। यह काम गर्मी भर चलता था। अब इसका स्वरूप बदल गया है। कुछ लोग अब भी करते हैं। पानी की जार में ठंडे पानी की व्यवस्था करते हैं। कहीं-कहीं साथ में बतासे की व्यवस्था करते हैं। गर्मी शुरू हो गई है। पर लोग अभी आगे नहीं आए हैं।

ईओ नगरपालिका अवधेश कुमार भारती ने कहा कि शहर में शीतल पेयजल के लिए जितने भी उपकरण खराब हैं उन्हें फौरी तौर पर दुरुस्त कराया जाएगा। ताकि यहां के लोगों गर्मी में ठंडे पानी के लिए दुश्वारियों का सामना न करना पड़े। जल्द ही सारी व्यस्थाएं बेहतर होंगी।

नगर पालिका अध्यक्ष जगत जायसवाल ने कहा कि शहर के लोगों को शीतल पेयजल के लिए परेशान नहीं होना पड़ेगा। शहर के अंदर सारी व्यवस्थाएं जल्द ही ठीक हो जाएंगी। जरूरत पड़ने पर और भी संसाधनों को लगाया जाएगा ताकि स्थानीय नागिरकों को किसी प्रकार की परेशानी न होने पाए।

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