बंधक व सरकारी कार्यों के लिए रिजर्व भूमि की रजिस्ट्री प्रतिबंधित करने की तैयारी
Lucknow News - सरकार ने आरक्षित और बंधक रखी गई जमीनों की रजिस्ट्री रोकने का फैसला किया है। सीएम की बैठक में इस पर चर्चा हुई, जिससे हजारों लोग बिल्डरों के फर्जीवाड़े से बचेंगे। बंधक जमीनों की बिक्री पर रोक लगाई...

सरकारी प्रयोजन के लिए आरक्षित व बंधक रखी गयी जमीन की रजिस्ट्री रोकी जाएगी। इनकी खरीद फरोख्त न होने पाए इसके लिए जल्दी ही आदेश जारी होगा। सीएम के यहां बैठक में इस पर बात हुई है। जिसके बाद अब ऐसी जमीनों की खरीद फरोख्त रोकने की दिशा में कार्यवाही शुरू हुई है। आदेश जारी होने से प्रदेश भर में हजारों लोग बिल्डरों के फर्जीवाड़े से बचेंगे। पूरे प्रदेश में जैसे ही कोई जमीन सरकारी योजना के लिए आरक्षित की जाती हैं, बिल्डर व प्रापर्टी डीलर उस जमीन को बेचने व खरीदने में लग जाते हैं। सरकारी योजना के आने से पहले वह ज्यादा मुआवजे के चक्कर में लोगों से सस्ती में जमीनें खरीद लेते हैं। जब तक सरकारी विभाग जमीन अधिग्रहण की कार्यवाही पूरी करते हैं तब तक वह कुछ न कुछ निर्माण करा लेते हैं। तमाम जमीनें दूसरे लोगों को ज्यादा कीमत में बेच देते हैं। इसके जरिए व बड़ा मुनाफा कमाते हैं। इससे सरकारी योजनाएं फंस जाती है। सम्बंधित विभाग को अदालत के चक्कर लगाने पड़ते हैं।
इसी तरह बंधक रखी गयी जमीनों की भी रजिस्ट्री कर दी जाती है। जिस विभाग के पास जमीन बंधक रहती है उसे पता ही नहीं चलता है और जमीन बिक जाती है। इस पर भी अंकुश लगाने के लिए शासन ने अब सरकारी व बंधक रखी गयी जमीनों के बैनामे पर रोक लगाने की तैयारी है। इस सम्बंध में मार्च के पहले सप्ताह में शासन-प्रशासन के आला अफसरों की सीएम के यहां बैठक हुई थी। जिसमें अधिकारियों ने उन्हें लखनऊ ही नहीं पूरे प्रदेश में इस तरह जमीनें बेचने की जानकारी दी थी। बैठक में सीएम ने ही ऐसी जमीनों की बिक्री करने पर रोक लगाने का निर्देश दिया था। एक अधिकारी ने बताया कि शासन स्तर पर ऐसी जमीनों की बिक्री रोकने के लिए प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है।
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अंसल बिल्डर के 413 एकड़ बंधक जमीन बेचने के बाद शुरू हुआ मंथन
अंसल एपीआई बिल्डर ने सुशांत गोल्फ सिटी योजना की 413 एकड़ जमीन बंधक रखी थी। इसे एलडीए के पास बंधक रखा गया था। टाउशिप की शर्तों के मुताबिक यह जमीन तभी बंधक मुक्त होती जब बिल्डर टाउनशिप का पूरा विकास कर देता। विकास अधूरा रहने पर प्राधिकरण इसे नीलाम करके टाउनशिप विकसित करता। लेकिन एलडीए को पता ही नहीं चला और बिल्डर ने चुपके से बंधक रखी गयी सारी जमीने बेच डाली। इसका दूसरे लोगों को बैनामा कर दिया। लोगों ने खरीदकर इस पर निर्माण करा लिया। अगर पहले से बंधक जमीन की बिक्री पर पहले से रोक होती तो वह इसे बेच नहीं पाता। बाद में दोबारा एलडीए ने 413 एकड़ जमीन बंधक रखवायी। उसमें से भी बिल्डर ने तमाम जमीनें बेच डाली।
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40 हजार से ज्यादा मुकदमे चल रहे हैं
एक अधिकारी ने बताया कि बंधक व सरकारी जमीनें बेचने के मामले में प्रदेश भर की तमाम अदालतों में मुकदमे चल रहे हैं। कहीं सरकारी विभाग कोर्ट गया है तो कहीं दूसरे लोग। पूरे प्रदेश में केवल बंधक व सरकारी जमीनें बेचने के मामले के 40 हजार से ज्यादा केस चल रहे हैं।
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