KGMC Fraud Duplicate Payment of 35 Lakh Detected in Hospital Drug Billing केजीएमयू में दवा खरीद के दो भुगतान कराने की कोशिश, Lucknow Hindi News - Hindustan
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केजीएमयू में दवा खरीद के दो भुगतान कराने की कोशिश

Lucknow News - केजीएमयू में दवाओं के बिल भुगतान में गड़बड़ी सामने आई है। एक ही दवा के लिए दो बार भुगतान की कोशिश की गई थी, जिसे वित्त विभाग ने रोक दिया। इस मामले में 35 लाख का बिल पहले ही चुकाया जा चुका था। केजीएमयू...

Newswrap हिन्दुस्तान, लखनऊMon, 21 April 2025 06:33 PM
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केजीएमयू में दवा खरीद के दो भुगतान कराने की कोशिश

कलंक कथा -35 लाख की दवा का भुगतान ले लिया, फिर उसी का बिल लगा दिया

-वित्त विभाग ने कुछ समय में दूसरा बिल पहुंचने पर लगाई रोक

लखनऊ, रजनीश रस्तोगी

केजीएमयू में हॉस्पिटल रिवॉल्विंड फंड (एचआरएफ) की दवाओं के बिल भुगतान में बड़ी गड़बड़ी उजागर हुई है। एक ही खरीद के दो भुगतान कराने की कोशिश हुई है। वित्त विभाग की सजगता से मामला पकड़ में आया। एक ही बिल के दोबारा भुगतान पर आपत्ति दर्ज कर रोक लगा दी गई है।

केजीएमयू में एचआरएफ के माध्यम से गरीबों की योजनाओं की दवाएं क्रय की जाती हैं। असाध्य, मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री राहत कोष समेत दूसरी योजनाओं में पंजीकृत मरीजों के लिए दवाएं खरीदी जा रही हैं। डॉक्टर बीमारी पर खर्च होने वाली दवा व सर्जिकल सामान का अनुमान लगाते हैं। उसी आधार पर एचआरएफ से उसे मंगाते हैं। दवा व सर्जिकल सामान का भुगतान खपत होने पर किया जा रहा है। इसकी पुष्टि भर्ती मरीज के विभाग के डॉक्टर-पैरामेडिकल स्टाफ करते हैं। जितनी दवा इस्तेमाल होती हैं, उतने ही बिल का भुगतान वित्त विभाग करता है। बची दवाएं एचआरएफ को लौटा दी जाती हैं।

भुगतान के नियमों में बदलाव की तैयारी

केजीएमयू प्रशासन ने पीजीआई की तर्ज पर हॉस्पिटल एकाउंट बना रही है। इस एकाउंट के संचालन की शक्ति सीएमएस को सौंपने की तैयारी है। केजीएमयू कार्यपरिषद में एकाउंट की मंजूरी का प्रस्ताव रखा गया था। इस पर कुछ अधिकारियों ने आपत्ति लगाई थी। अधिकारियों का तर्क था कि पीजीआई में इलाज की पूरी व्यवस्था भुगतान पर होती है। जबकि केजीएमयू में गरीबों को विभिन्न योजनाओं के तहत मुफ्त इलाज मुहैया कराया जा रहा है। यहां भुगतान के नियम व कानून अलग हैं। नियमों में भुगतान के बदलाव का अधिकार शासन के पास है। इन सबसे इतर केजीएमयू में बिल भुगतान के नियमों में बदलाव की तैयारी है। बिल वाउचर के बजाए दवा व सर्जिकल सामान की एडवांस सूची बिलों के तहत भुगतान की तैयारी है। यह दवा व सर्जिकल सामान की सूची डॉक्टर मरीज के इलाज का अनुमान लगाकर तैयार करते हैं।

35 लाख का बिल दोबारा पहुंचा

करीब दो माह पहले दवाओं का तकरीबन 35 लाख का भुगतान बिल व वाउचर के तहत कर दिया गया। इसी दौरान करीब 50 लाख रुपए का बिल दवाओं की सूची के आधार पर जमा किया गया। बिलों की जांच हुई तो पता चला जो दवा व सर्जिकल सामान की सूची का बिल लगाया गया है, उसमें करीब 35 लाख का भुगतान पहले ही किया जा चुका है।

वित्त विभाग ने पकड़ा मामला

मामला संज्ञान में आते ही वित्त विभाग ने दवाओं की सूची के आधार पर तैयार बिल का भुगतान रोक दिया। पूरे मामले से कुलपति व अन्य अधिकारियों को अवगत कराया गया है। फिलहाल सूची के आधार पर बिल भुगतान के मामले में अधिकारी जवाब देने से कतरा रहे हैं।

वित्त विभाग पर काम का काफी दबाव है। समय पर मरीजों को दवाएं मिल सके, इसके लिए नई व्यवस्था लागू की जा रही है। एक ही बिल का दोहरा भुगतान नहीं हुआ है। क्योंकि सभी बिल व वाउचर कम्प्यूटर पर चढ़ाए जाते हैं। लिहाजा गड़बड़ी की आशंका बिलकुल भी नहीं है।

डॉ. केके सिंह, प्रवक्ता केजीएमयू

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