नियमों को ताक पर रख एससी की भूमि दी गई गैर जाति को
Lucknow News - लखनऊ के भटगांव में डिफेंस कॉरिडोर के लिए भूमि अधिग्रहण के दौरान नियमों की अनदेखी की गई। अनुसूचित जाति की भूमि दूसरी जाति के नाम पर करने से पहले अनुमति आवश्यक होती है, लेकिन इसे नजरअंदाज किया गया।...

- नियमत: एससी भूमि देने से पहले ली जाती है अनुमति - रिपोर्ट में कहा गया नियमों के विपरीत अनुमति दी गई
लखनऊ- विशेष संवाददाता
डिफेंस कॉरिडोर के लिए लखनऊ के भटगांव में जमीन अधिग्रण के दौरान नियमों को ताक पर रखने के सारे रिकार्ड तोड़ दिए गए। राजस्व संहिता में दी गई व्यवस्था के तहत अनुसूचित जाति के व्यक्ति की जमीन किसी दूसरी जाति के नाम पर करने से पहले अनुमति लेनी होती है। इसके लिए वाजिब कारण बताना होता, लेकिन यहां तो इसकी भी अनदेखी कर दी गई।
राजस्व परिषद के तत्कालीन अध्यक्ष डा. रजनीश दुबे द्वारा दी गई रिपोर्ट में इसे शासकीय धन का दुरुपयोग और षडयंत्र माना गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि जमीन अधिग्रहण और मुआवाज देने के लिए सभी बिंदुओं का समग्रता से अध्ययन किया गया। सभी बिंदुओं का परीक्षण करने के बाद समिति का निष्कर्ष है कि कथित आवंटन कूटरचित एवं नियमों के विरुद्ध है। इस प्रकरण की पुरानी आवंटन पत्रावलियों के लंबे समय तक कब्जा एवं अमलदरामद की कार्यवाही न कराने से आवंटिटयों को कोई विधिक अधिकार उत्पन्न नहीं होते हैं।
पुराने कथित पट्टे के अमलदरामद, संक्रमणीय भूमिधर में परिवर्तन, अनुसूचित जाति के व्यक्तियों के गैर अनुसूचित जाति के व्यक्तियों को विक्रय करने की अनुमति, रजिस्ट्री एवं अनुबंधों का पंजीकरण और मुआवजा वितरण प्रक्रिया गड़बड़ रही है। समिति इस निष्कर्ष पर पहुंचती है कि डिफेंस कॉरिडोर के लिए भूमि अधिग्रहण, क्रय की संभावना के दृष्टिगत कतिपय आवंटियों, जिले के राजस्व अधिकारियों और कुछ स्थानीय व्यक्तियों द्वारा योजनाबद्ध तरीके भूमि के दुर्व्यस्थापन व शासकीय धन के दुरुपयोग के लिए षडयंत्र किया गया।
रिपोर्ट में कहा गया है कि ग्राम भटगांव की तथाकथित पट्टा आवंटन पत्रावली 28 जनवरी 1985 की समग्र जांच से स्पष्ट है कि कथित भूआवंटन पत्रावली कूटरचित है। इसमें दर्ज 90 व्यक्तियों में से 11 व्यक्ति के नाम राजस्व अभिलेख में जांच करते समय तक अंकित नहीं हुए। उनके नाम राजस्व अभिलेखों में अंकित किया जाना विधिसंगत नहीं होगा। इसके अतिरिक्त जिन 79 व्यक्तियों के नाम कूटरचित आवंटन पत्रावली के आधार पर राजस्व अभिलेखों में दर्ज किए गए हैं, उनका नाम राजस्व अभिलेखों से निरस्त कराने व भूमि ग्राम समाज के खाते में पूर्ववत अंकित करने की कार्यवाही मंडलायुक्त की देखरदेख में डीएम लखनऊ द्वारा विधिक प्रक्रिया अपनाकर कराने की संस्तुति की गई थी।
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