अनुदान पाने वाले मदरसों के प्रबंधक नहीं जानता अल्पसंख्यक विभाग
Lucknow News - राज्य सूचना आयुक्त मोहम्मद नदीम ने अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के जवाब पर आश्चर्य व्यक्त किया, जिसमें कहा गया कि 558 अनुदानित मदरसों के प्रबंधकों के नाम उपलब्ध नहीं हैं। उन्होंने कहा कि यह गैर ज़िम्मेदारी...

-राज्य सूचना आयुक्त नदीम ने कहा-यह आश्चर्यजनक, बिना पहचान के कैसे जा रहा अनुदान? -विभाग के जनसूचना अधिकारी को अगली सुनवाई पर शपथपत्र के साथ सूचना देने के निर्देश
लखनऊ, विशेष संवाददाता
राज्य सूचना आयोग के समक्ष प्रस्तुत किए गये अपने एक जवाब से प्रदेश का अल्पसंख्यक कल्याण विभाग खुद ही सवालों के घेरे में खड़ा हो गया है। अल्पसंख्यक कल्याण विभाग द्वारा राज्य सूचना आयुक्त मोहम्मद नदीम की पीठ के समक्ष सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत मांगी गई सूचना पर जवाब दाखिल करते हुए कहा है कि प्रदेश के अनुदानित सभी 558 मदरसों के नाम और पते तो अपीलार्थी को उपलब्ध करा दिये गये हैं लेकिन उनके प्रबंधकों के नाम की सूची न तो एकत्रित है और न ही एकत्रित किए जाने की व्यवस्था है।
इस पर राज्य सूचना आयुक्त मोहम्मद नदीम ने कड़ा रुख अख्तियार करते हुए कहा कि अल्पसंख्यक विभाग के पास प्रबंधकों के नाम की सूची न होना आश्चर्यजनक है। सरकार के खजाने से जिन मदरसों को अनुदान जा रहा है, उनके प्रबंधकों के नाम की सूची न होना गैर ज़िम्मेदारी का कृत्य है। मदरसे का प्रबंधक कौन है, उसकी पृष्ठभूमि क्या है, उसकी नागरिकता क्या है, यह कैसे पता चलेगा? या प्रबंधकों की बिना पहचान के सरकार के खजाने से पैसा जाता रहेगा?
राज्य सूचना आयुक्त ने कहा कि अगर सूचना न देने के उद्देश्य से जनसूचना अधिकारी द्वारा गलत बयानी की गई है तो भी वो सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत दंड का भागीदार हो सकता है। उन्होंने जनसूचना अधिकारी को निर्देश दिए कि उनकी ओर से जो जवाब प्रस्तुत किया गया है, उसे वो अगली सुनवाई पर शपथ पत्र के साथ प्रस्तुत करें ताकि सरकार को इस गंभीर मसले से अवगत कराया जा सके। इस प्रकरण की अगली सुनवाई 21 मई को होगी।
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