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बोले मैनपुरी: है कोई बताए कि कितना ‘सफर रहा है बाकी

Mainpuri News - मैनपुरी। राज्य परिवहन विभाग यानि यूपी रोडवेज। आवागमन के दृष्टिगत जब भी सरकारी सेवाओं की बात होती है तो यूपी रोडवेज आंखों के सामने आ जाती है।

Newswrap हिन्दुस्तान, मैनपुरीMon, 17 March 2025 07:22 PM
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बोले मैनपुरी: है कोई बताए कि कितना ‘सफर रहा है बाकी

राज्य परिवहन विभाग यानि यूपी रोडवेज। आवागमन के दृष्टिगत जब भी सरकारी सेवाओं की बात होती है तो यूपी रोडवेज आंखों के सामने आ जाती है। कोरोना काल में यूपी रोडवेज और इसमें कार्यरत कर्मचारियों ने जो जज्बा दिखाया उस जज्बे को मैनपुरी के यात्रियों ने दिल खोलकर सलाम किया। कोरोना ही नहीं बल्कि आम दिनों में रोडवेज बसों का सफर सुहाना होता है। रक्षाबंधन हो या होली दीवाली या फिर कोई और पर्व रोडवेज और उसके कर्मचारी दिन रात मेहनत करते हैं लेकिन उन्हें सुविधाओं के नाम पर सरकार के हाथ खाली रहते हैं। हिन्दुस्तान के बोले मैनपुरी संवाद के दौरान रोडवेज कर्मियों ने अपनी बात रखी। रोडवेज बसों का संचालन पूरे मैनपुरी में होता है। यहां की रोडवेज कार्यशाला हो या रोडवेज के मैनपुरी बेवर स्थित डिपो। सरकार के संकल्पों को पूरा करने के लिए हर समय तत्पर नजर आते हैं लेकिन रोडवेज कर्मियों के लिए रात बिताने, समय गुजारने के लिए डिपो हो या कार्यशाला पर्याप्त नहीं संसाधन उपलब्ध नहीं है। आग उगलती बसों और सड़कों की बात हो या फिर कड़ाके की ठंड। बारिश के महीने हर समय चालक परिचालकों के अलावा कर्मचारियों की भूमिका किसी से छिपी नहीं है। लेकिन फिर भी सरकारी भर्ती बंद है। संविदा कर्मचारियों के भरोसे बसों को दौड़ाया जा रहा है। संविदा कर्मियों का मानदेय भी समय से नहीं मिलता और जो मानदेय मिलता है वह इतना कम है कि मंहगाई के इस दौरान में परिवार के भरण पोषण पूरा नहीं हो पाता। चालक परिचालक चाहते हैं कि लंबी दूरी की बसों की लंबी थकान से राहत देने के लिए चालकों की सरकारी भर्ती की जाए ताकि दूरी के मानक का पालन हो सके। हालांकि प्रोत्साहन भत्ता देने की बात होती रहती है लेकिन कर्मचारी स्थाई व्यवस्थाएं चाहते हैं। रोडवेज कर्मियों को राहत देने के लिए उन्हें सरकारी कर्मचारियों की तरह राज्य कर्मचारी का दर्जा देने की मांग होती रहती है। लेकिन यह मांग पूरी नहीं हो रही। कर्मचारी संविदा ठेका जैसी प्रथाओं के विरूद्ध है और चाहते हैं कि रोडवेज को निजी क्षेत्र के हवाले न किया जाए। यात्रियों को राहत देने के लिए रोडवेज के कायाकल्प की आवश्यकता भी कर्मचारी बता रहे हैं। बसों की हालत सुधार कर स्थानीय रूटों को बढ़ावा दिया जाए। ताकि ग्रामीण स्तर तक रोडवेज की पहुंच हो और विभाग का राजस्व बढ़ जाए। संविदा कर्मचारियों का शोषण न हो। यह व्यवस्था भी होनी चाहिए। ऐसा रोडवेज कर्मियों का कहना है।

सरकारी फिर संविदा अब आउटसोर्स से हो रही भर्ती: यूपी रोडवेज बस का संचालन कराने के लिए सबसे पहले नियमित पदों पर चालक-परिचालकों की भर्ती करता था। उसके बाद संविदा पर भर्ती शुरू कर दी गई। अब संविदा भी खत्म करने के साथ आउटसोर्स से चालक-परिचालकों की भर्ती की जा रही है। रोडवेज में नियमित नौकरियां पूरी तरह से खत्म हो चुकी हैं। संविदा पद खत्म होने के बाद बसों का संचालन कराने के लिए परिवहन को चालक-परिचालकों की समस्या से जूझना पड़ेगा, क्योकि बेहद कम ही लोग ठेकेदारों के अंडर कार्य करना पसंद करेंगे।

राजस्व कम लाने पर मिलती है निलंबन की धमकी: डिपो के नियमित चालक-परिचालकों के अनुसार थोड़ा भी कम राजस्व आने पर डिपो के उच्चाधिकारी निलंबन की धमकी देते हैं। इसके साथ ही चार्जसीट देकर परेशान करते हैं। इसके बाद बेवजह निलंबित कर देते हैं। इस प्रकार चालक-परिचाकों को शोषण किया जाता है। जबकि लक्ष्य से अधिक राजस्व लाने पर नियमित कर्मचारियों को बोनस आदि की कोई सुविधा नहीं दी जाती है। सेवानिवृत्त होने के बाद फंड, बोनस, ग्रेचुटी आदि के अलीगढ़ और एटा के सैकड़ों चक्कर लगाने पड़ते है।

बोले रोडवेज कर्मचारी

मैनपुरी-किशनी मार्ग पर दिल्ली जाने वाली एक बस संचालित हो गई है। जिसमें प्राइवेट बस संचालक चालक परिचालकों को रोककर परेशान करते हैं। सवारियां बैठाने को लेकर नोकझोंक भी होती है। अतिरिक्त बसों की व्यवस्था की जाए।

-संदीप कुमार

सरकारी रोडवेज बसों का चालान काटने में यातायात पुलिस सबसे आगे रहती है। जिससे चालक परिचालकों से अभद्रता करते हुए चालान की कार्रवाई कर दी जाती है। चालान काटने की कार्रवाई चालक-परिचालक को दोषी न ठहराया जाए।

-तेजपाल

लगातार सफर में रहने के कारण परिवार से समय नहीं मिल पाता है। जिससे चालक परिचालक त्यौहारों पर भी घर नहीं पहुंच पाते हैं और समाज व परिवार के लोगों में दूरी बन जाती है। अत्याधिक मेहनत को देखते हुए बोनस देने की व्यवस्था करे।

-विनय मिश्रा

नेशनल हाईवे पर आवारा जानवरों के होने के कारण रोडवेज बस हादसे का शिकार हो जाती है। जिसका दोषी चालक को ठहराया जाता है। सरकार द्वारा नेशनल हाईवे पर आवारा जानवरों को रोकने के लिए समुचित व्यवस्था की जाए।

-उदयवीर सिंह चौहान

रोडवेज परिवहन विभाग मे तैनात चालक परिचालक पूरे माह बसों का संचालन करते हैं। मगर बात अगर वेतन की आती है तो वह भी समय से उपलब्ध नहीं हो पाता है। जिससे उन्हें परिवार के भरण पोषण में कमी होती है।

-अमित दीक्षित

सरकार ने यात्रियों का सुविधा को देखते हुए बसों को तो आधुनिक सुविधाओं से परिपूर्ण कर दिया है लेकिन चालक परिचालकों के हालात में कोई सुधार नहीं हुआ है। भीषण गर्मी व सर्दी में उनके ठहरने को बसों में व्यवस्था नहीं है। -अनुरुद्ध कुमार पांडेय

घने कोहरे के कारण जब कभी हादसा हो जाता है तो पूरी जिम्मेदारी चालक परिचालक पर थोप दी जाती है। विभाग द्वारा बसों में प्रकाश व्यवस्था ठीक नहीं कराई जाती है। जिस कारण सड़क हादसा होने की स्थिति बन जाती है।

-अनुज दुबे

परिचालकों को सरकार ने डिजीटल टिकट मशीन तो दे दी है। मगर जब कभी मशीन काम नहीं करती है तो परिचालक को यात्रियों से नोकझोंक का सामना करना पड़ता है और यात्री उनके साथ अभद्रता भी करते हैं।

-अशोक कुमार

रक्षाबंधन व भैया दौज पर सरकार ने महिलाओं के नि:शुल्क बस यात्रा की सुविधा दे रखी है। जिसके चलते चालक परिचालक को काफी मेहनत करनी पड़ती है। सरकार इन दोनों पर्वों पर उनकी अत्याधिक मेहनत को देखते हुए बोनस देने की व्यवस्था करे। -अवधेश यादव

रोडवेज बस जब लंबा मार्ग तय करती है तो उससे पूर्व बस की पूर्णत: रूप से जांच पड़ताल होनी चाहिए और इसकी जानकारी चालक परिचालक को होनी चाहिए और दूसरी बस की तत्काल सुविधा उपलब्ध कराई जाए।

-देवेंद्र सिंह

सड़क दुर्घटना होने के बाद आम लोग जाम लगाकर पथराव कर बसों को क्षति पहुंचाते हैं और विभाग द्वारा चालक परिचालक को दोषी ठहराया जाता है। ऐसा ने किया जाए।

-कृष्ण कुमार

सरकारी बस स्टैंड पर यात्रियों की कमी लगातार दर्ज की जा रही है इससे चालक परिचालक परेशान है। यात्रियों को बुलाने के लिए सभी बसों पर लाउडस्पीकर व्यवस्था की जाए।

-मोहित मिश्रा

चालक परिचालक के साथ हादसा होने पर उनका नि:शुल्क उपचार कराया जाए। इसके अलावा उन्हें सरकार द्वारा चलाई जा रही आयुष्मान कार्ड का लाभ दिया जाए।

-प्रदीप यादव

चालक परिचालकों की ड्यूटी अत्याधिक होने के कारण उन्हें आराम नहीं मिल पाता है। उन्हें 10 से 12 घंटे बस चलानी पड़ती है, जिसका उन्हें कोई अतिरिक्त पैसे नहीं मिलते हैं। उनकी ड्यूटी 8 घंटे निर्धारित की जाए।

-पुष्प प्रताप सिंह

सरकार द्वारा सभी चालक परिचालकों को राज्य कर्मचारी का दर्जा दिया जाए। जो सुविधाएं सभी राज्य कर्मचारी को मिल रहीं हैं। वह सुविधाएं चालक परिचालक को दी जाए।

-राहुल कुमार

चालक परिचालक के लिए हर बस स्टैंड पर खाना खाने की व्यवस्था की जाए व आराम के लिए कमरा की व्यवस्था की जाए। जिससे व अपनी ड्यूटी के पश्चात आराम कर सके।

-संदीप चौहान

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