Impact of Bangle Industry on Education of Youth in Firozabad बोले फिरोजाबाद: कांच का धंधा तोड़ रहा युवाओं के सुनहरे भविष्य का सपना, Mathura Hindi News - Hindustan
Hindi NewsUttar-pradesh NewsMathura NewsImpact of Bangle Industry on Education of Youth in Firozabad

बोले फिरोजाबाद: कांच का धंधा तोड़ रहा युवाओं के सुनहरे भविष्य का सपना

Mathura News - फिरोजाबाद शहर में चूड़ी उद्योग के कारण किशोरों और किशोरियों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। कई युवा फैक्ट्री में काम करते हैं जबकि पढ़ाई को प्राथमिकता देनी चाहिए। छात्राएं उच्च शिक्षा में फीस में रियायत...

Newswrap हिन्दुस्तान, मथुराFri, 11 April 2025 04:05 AM
share Share
Follow Us on
बोले फिरोजाबाद: कांच का धंधा तोड़ रहा युवाओं के सुनहरे भविष्य का सपना

फिरोजाबाद शहर में कई बस्तियां ऐसी हैं, जहां आप प्रवेश करेंगे तो सुबह से ही चूड़ी की खनक सुनाई देगी। कहीं पर झलाई हो रही होती है तो कहीं पर जुड़ाई। किशोर-किशोरियों के साथ युवा भी इस कार्य में लगे दिखाई देते हैं। कहने के लिए यह स्कूल-कॉलेजों में पढ़ते हैं। कोई हाईस्कूल का छात्र है तो कोई इंटरमीडिएट का, लेकिन कई स्कूल-कॉलेज नहीं जाते हैं। इनकी पढ़ाई सर्फि औपचारिकता बनकर रह जाती है, जो कॉलेज जाते भी हैं तो लौट कर पढ़ाई से ज्यादा इनका वक्त बीतता है चूड़ी के काम में। चूड़ी के काम में इन बच्चों की पढ़ाई के साथ-साथ करियर भी प्रभावित हो रहा है। हिन्दुस्तान के बोले फिरोजाबाद के तहत श्रमिक बस्तियों के इन किशोर-किशोरियों एवं युवाओं के साथ उनके परिवार की महिलाओं से संवाद किया तो इनकी भी कई मजबूरियां सामने आईं। कई किशोर थे, जो पढ़ना चाहते थे। बीएससी जैसे कोर्सेस में दाखिला भी लिया, लेकिन परिवार के लिए उन्हें फैक्ट्री में कांच के सामान की पैकेजिंग जैसे कार्य में जुटना पड़ रहा है तो कई किशोरियों के ख्वाब चूड़ी की खनक में दब गए थे। जो किशोरियां अपने स्तर पर किसी तरह से पढ़ाई के लिए प्रयास कर रहे थे, इन क्षेत्रों में सामाजिक बंदिशें उनकी भी राह रोक देती हैं। इन क्षेत्रों में बेटियों को किशोरावस्था से चूड़ी के काम में लगाने वाले परिजनों की बंदिशें भी इन्हें झेलनी पड़ती हैं। कई छात्राओं का दर्द था कि पहले छात्रवृत्ति मिल जाती थी, लेकिन इस बार वह भी नहीं मिल पाने के कारण फीस जुटाने के लिए भी काम करना पड़ रहा है। इनका कहना था कि सरकार को श्रमिक बस्तियों के किशोर-किशोरियों के लिए योजनाएं बनानी चाहिए, ताकि यह भी पढ़-लिख कर आगे बढ़ सकें।

छात्र-छात्राओं को प्रशक्षिति कर जोड़ें रोजगार से:इन क्षेत्रों में भी कई बेटियां हैं, जो चूड़ी के काम के साथ एसएससी जैसी परीक्षाओं की तैयारी कर रही हैं। इन बेटियों के द्वारा कोचिंग भी ली जा रही है। इनका कहना है कि श्रमिक बस्तियों के किशोर-किशोरियों को प्रशक्षिति कर कुछ अन्य रोजगार से जोड़ा जाए, ताकि वह इस तरह के रोजगार से जुड़ कर अपनी परीक्षा की तैयारी कर सकें तथा बेहतर नौकरी के अपने ख्वाबों को साकार कर सकें। वहीं इंटर के बाद में कई बेटियों की पढ़ाई बंद हो जाती है, इस तरह के रोजगार से जुड़ने के बाद में उन्हें भी अपनी आगे की पढ़ाई जारी रखने में मदद मिलेगी।

उच्च शक्षिा में फीस में बेटियों को मिले रियायत:छात्राओं का कहना था कि सरकार बालिका शक्षिा को बढ़ावा देने की बात कर रहा है, लेकिन इसके लिए कम से कम उच्च शक्षिा में भी बेटियों को छूट मिलनी चाहिए। विवि परीक्षा फॉर्म फीस के साथ में अन्य फीस का भी खर्च इतना है कि इसके लिए हजारों रुपये साल जमा करने पड़ते हैं। परिवारों की स्थिति ऐसी नहीं होती है कि बेटियों की पढ़ाई का खर्च वह उठा सकें। इसलिए छात्राओं को चूड़ी का काम करना पड़ता है। छात्राओं का कहना था कि सरकार को इस दिशा में भी ध्यान देना चाहिए।

सरकारी योजनाओं से जोड़ें श्रमिक परिवारों के युवाओं को यूं तो सरकार ने भवन सन्नर्मिाण श्रमिकों के लिए कई योजनाएं संचालित कर रखी हैं, लेकिन यह चूड़ी श्रमिक उन योजनाओं के दायरे में नहीं आते हैं, लेकिन इसके बाद भी कई अन्य योजनाएं हैं, जो इन क्षेत्रों के किशोर-किशोरियों एवं युवाओं को आगे बढ़ाने में मदद कर सकते हैं। नि:शुल्क कंप्यूटर प्रशक्षिण के साथ में अन्य कई प्रशक्षिण से जुड़ी योजनाएं भी इन क्षेत्र के युवाओं की पहुंच से दूर हैं, क्योंकि इनमें से अधिकांश का वक्त चूड़ी के काम में ही बीतता है, जो किशोर एवं किशोरियां स्कूल भी जाते हैं तो स्कूल से आने के बाद उनका भी अधिकांश वक्त चूड़ी के काम में बीतता है। इन क्षेत्रों में सरकार की विभन्नि योजनाओं के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए कैंप का आयोजन किया जाना चाहिए।

महिलाओं एवं युवतियों के लिए रोजगार की व्यवस्था होनी चाहिए। हम सभी महिलाएं चूड़ी के काम से जुड़े हैं। इस स्थिति में कई बार बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होती है। इन क्षेत्रों के बच्चे भी बेहतर शक्षिा पा सकें। इसके लिए जरूरी है कि बेहतर रोजगार की व्यवस्था हो सके।

-मीना देवी

हमारे क्षेत्र में बिजली की समस्या है। गली नंबर चार में रात में अंधेरा रहता है। कोई भी स्ट्रीट लाइट की व्यवस्था नही है। एक तरफ मिशन शक्ति के तहत महिलाओं को सशक्त बनाया जा रहा है, लेकिन सुविधाओं ने होने से युवतियां शाम को भी घर से बाहर निकल सकें।

-मोनिका

चूड़ी के काम में लगे रहने से बच्चों की पढ़ाई भी प्रभावित हो रही है। हम लोगों को पढ़ने के लिए भी वक्त नहीं मिल पाता है। सरकार को छात्राओं को फीस में कुछ रियायत देनी चाहिए, ताकि बेटियों को बेहतर शिक्षा मिल सके और हम भी अच्छी नौकरियों की तैयारी कर सकें।

-लाड़ो

फिरोजाबाद में आज भी समाज में कई बंदिशें हैं। लड़कियां अकेले बाहर नहीं निकल पाती हैं। बीते दिनों पर उस कोचिंग से एक छात्रा अपने घर नहीं पहुंची तो कई छात्राएं खौफजदां हो गई। हमें भी एक-दो दिन कोचिंग जाने में डर लगा। रोजगार की सुविधा भी होनी चाहिए।

-शोभा

चूड़ी के काम के कारण कई बार पढ़ने के लिए वक्त नहीं मिल पाता है। घर में जाने पर चूड़ी के काम में लगे रहते हैं। अगर चूड़ी जुड़ाई एवं झलाई के काम में सही मजदूरी मिले तो फिर बच्चों को परिवार की मदद के लिए पढ़ाई का वक्त चूड़ी के काम में बर्बाद नहीं होगा।

-कंचन

हम चूड़ी का काम करते हुए पढ़ाई कर रहे हैं। सरकार को कुछ अन्य रोजगार का विकल्प खोलना चाहिए, ताकि पढ़ाई के साथ परिवार की मदद के लिए इन क्षेत्रों के छात्र कुछ कर सकें। अब तो छात्रवृत्ति भी नहीं मिल रही है। इससे पढ़ाई के लिए भी धन जुटाना पड़ता है।

-सोनम

सरकार द्वारा किशोर-किशोरियों को प्रशक्षिति करने के लिए नि:शुल्क कोर्स का संचालन किया जाता है, लेकिन इनके संबंध में जानकारी नहीं मिल पाने से इन मोहल्ले के बच्चे इनका लाभ नहीं ले पाते हैं। सरकार को इन मोहल्लों में योजनाओं की जानकारी देनी चाहिए थी।

-राजकुमारी

हमारे क्षेत्र में गंदगी की समस्या है। गली में सुबह डोर-टू-डोर कूड़ा लेने वाले आते हैं, लेकिन उनके जाने के बाद लोग सड़क पर ही कूड़ा फेंक देते हैं। कूड़े के लिए नगर निगम को यहां पर डस्टबिन रखवाने चाहिए। गंदगी से मच्छर पनपने से बीमारियों का खतरा बढ़ता है।

-शालिनी

एमए की पढ़ाई करने के लिए आगरा जाते हैं, लेकिन पहले जहां छात्रा के आधार पर मासिक पास आधा शुल्क लगता था लेकिन 21 वर्ष की उम्र होने के बाद में मासिक पास पर कोई छूट नहीं दी जा रही है। कम से कम पढ़ाई तक तो छूट मिलनी चाहिए, छात्र कहां से लाएंगे धनराशि।

-डिंपी

लेटेस्ट   Hindi News ,    बॉलीवुड न्यूज,   बिजनेस न्यूज,   टेक ,   ऑटो,   करियर , और   राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।