छुट्टी पर रहते हुए करोड़ों के पेमेंट, मेडिकल कॉलेज के कार्यवाहक प्राचार्य ने पूर्व प्राचार्य पर लगाए आरोप
- अयोध्या का मेडिकल कॉलेज बीते कुछ समय से शिकवे-शिकायतों का अखाड़ा बना हुआ है। कई आरोपों के चलते कॉलेज के प्राचार्य डा. ज्ञानेंद्र कुमार को पद से हटा दिया गया था। उन्होंने कोर्ट की शरण ली है। डा. ज्ञानेंद्र कुमार ने मौजूदा कार्यवाहक प्राचार्य डा. सत्यजीत वर्मा से ही 21 सितंबर 2023 को चार्ज लिया था।

अयोध्या के राजर्षि दशरथ स्वशासी मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्राचार्य डा. ज्ञानेंद्र कुमार फिर चर्चा में हैं। उन पर आरोप है कि बीमारी के नाम पर अवकाश पर रहने के दौरान उन्होंने सामान खरीद के जैम अनुबंधों पर साइन किए। इसी अवधि में सवा करोड़ से अधिक के चेकों पर हस्ताक्षर भी किए गए। यह आरोप मौजूदा कार्यवाहक प्राचार्य डा. सत्यजीत वर्मा ने लगाए हैं। इस संबंध में उन्होंने उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक, चिकित्सा शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव और महानिदेशक चिकित्सा शिक्षा को शिकायती पत्र भेजा है।
अयोध्या का मेडिकल कॉलेज बीते कुछ समय से शिकवे-शिकायतों का अखाड़ा बना हुआ है। कई आरोपों के चलते कॉलेज के प्राचार्य डा. ज्ञानेंद्र कुमार को पद से हटा दिया गया था। उन्हें महानिदेशक कार्यालय से संबद्ध किया गया था। इसके खिलाफ उन्होंने कोर्ट की शरण ली है। डा. ज्ञानेंद्र कुमार ने मौजूदा कार्यवाहक प्राचार्य डा. सत्यजीत वर्मा से ही 21 सितंबर 2023 को चार्ज लिया था। इसी साल चार जनवरी से 19 जनवरी के बीच अवकाश पर जाने का डा. ज्ञानेंद्र कुमार का जो पत्र वायरल है, उसमें चार्ज उन्होंने डा. सत्यजीत को न देकर डा. पारस खरबंदा को सौंपा था।
कार्यवाहक प्राचार्य डा. वर्मा द्वारा भेजे गए पत्र में शासन से शिकायत की गई है कि डा. ज्ञानेंद्र कुमार द्वारा छुट्टी पर होते हुए भी सात व 10 जनवरी को करीब 84 लाख का जैम कांट्रैक्ट जारी किया। आरोप है कि आठ से 10 जनवरी बीच ही 17 चेकों के जरिए एक करोड़ 28 लाख 90 हजार 990 रुपये के भुगतान भी करा दिए गए। वर्मा ने लिखा कि 2.12 करोड़ से अधिक के सरकारी धन का व्यय किया गया। डा. ज्ञानेंद्र कुमार द्वारा वित्तीय अनियमितता करने की बात कही गई है। बता दें कि डा. ज्ञानेंद्र कुमार को 16 जनवरी को पद से हटाने का आदेश दिया गया था। ऐसे में अवकाश पर रहने के दौरान भुगतान व जैम अनुबंध किए जाने को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं।
आखिर किसने वायरल किया गोपनीय पत्र
कार्यवाहक प्राचार्य डा. सत्यजीत वर्मा का कहना है कि उन्होंने ई-मेल के जरिए इस पूरे मामले की शिकायत उपमुख्यमंत्री, प्रमुख सचिव और महानिदेशक चिकित्सा शिक्षा से की थी। उनका कहना है कि उपमुख्यमंत्री को शिकायत की हार्ड कॉपी भी भेजी थी। लाख टके का सवाल यह है कि आखिर यह गोपनीय पत्र सोशल मीडिया की सुर्खियां कैसे बना?