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बोले मेरठ : उद्योगों को सहूलियत, फ्लैट रेट पर मिले बिजली

Meerut News - सैफी समाज के लोग लकड़ी और लोहे के कुटीर उद्योगों में कार्यरत हैं, लेकिन उन्हें कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। वे सरकार से ब्याज मुक्त लोन, फ्लैट रेट पर बिजली, और शिक्षा के लिए विशेष सुविधाएं...

Newswrap हिन्दुस्तान, मेरठTue, 6 May 2025 04:57 AM
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बोले मेरठ : उद्योगों को सहूलियत, फ्लैट रेट पर मिले बिजली

सैफी समाज के लोग मुख्य रूप से लकड़ी एवं लोहे का काम करते हैं। कुटीर उद्योग चलाकर अपना और परिवार का जीवन यापन करने वाले सैफी समाज के लोगों का सामाजिक ताने-बाने के साथ ही समाज-सूबे के आर्थिक, सामाजिक निर्माण में अहम योगदान है। कुटीर उद्योग चलाने के लिए सैफी समाज के लोगों को तमाम दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। समस्याओं से जूझ रहे सैफी समाज के लोग सुविधाएं और सरकार का साथ चाहते है। वह कहते है कि लकड़ी और लोहे से जीएसटी दर कम हो। कुटीर उद्योग के लिए फ्लैट रेट पर बिजली मिले। ढाई फुट आरा मशीन को लाइसेंस मुक्त किया जाए।

वन निगम की लकड़ी की नीलामी में और सरकारी विभागों में जितना लोहा, लकड़ी आदि का काम टेंडर से होता है उसमें समाज के लोगों को वरीयता मिले। साथ ही नए कारोबार करने वालों को 25 लाख तक का ऋण ब्याज मुक्त मिले, तो बात बनें। मुस्लिम लोहार एवं बढ़ई का पुश्तैनी कार्य करने वाले लोगों को सैफी एवं इनसे जुड़े सभी परिवार सैफी समाज (बिरादरी) कहलाता है। चूंकि लोहार एवं बढ़ई कारीगरों द्वारा सभी अलग-अलग प्रकार के औजार, कृषि यंत्र, जुगाड़ के साधन, पुराने युद्धों में काम आने वाले तलवार, बंदूक, तोपें ,भाले ,चाकू, तीर आदि हथियार बनाए जाते थे। इनको बनाने वाले सभी कारीगरों को लोहार, बढ़ई, खाती आदि नामों से पुकारा जाता था। मेरठ जनपद में सैफी समाज के लोगों की करीब चार लाख की आबादी है। शहर में सर्वाधिक आबादी दक्षिण विधानसभा क्षेत्र में करीब 80 हजार से ज्यादा है और दूसरे नंबर पर शहर विधानसभा क्षेत्र में करीब 35 हजार के आसपास है। छह अप्रैल 1975 को सैफी समाज की स्थापना मानी जाती है। रोजगार को लेकर सैफी समाज के युवा जूझ रहे है। पढ़लिखकर डिग्रियां हासिल कर चुके युवाओं की रोजगार के लिए शुरू होने वाली तलाश पूरी नहीं हो पा रहा। अधिकांश परिवार आज भी पंरपरागंत पेशे को अपनाएं हुए है। कई व्यवस्थाएं सैफी समाज के मेहनतकशों, कारीगरों की रीढ़ को कमजोर कर रही है। ढाई फुट तक की मशीन के लिए लाइसेंस की अनिवार्यता होने से दुकान मे आरा मशीन से फर्नीचर एवं अन्य सामान बनाने के लिए कार्य नहीं कर सकते है। महंगी होती बिजली भी परेशान कर रहे है। बैंको से लोन आसानी से नहीं मिलता। महंगाई के दौरान में परिवार का पालन-पोषण करना तक दुश्वार हो रहा है। चुनौतियों का सामना करते हुए गुजर-बसर कर रहे सैफी समाज के लोग केंद्र और प्रदेश सरकार से ब्याज मुक्त लोन और फ्लैट रेट पर बिजली की सुविधा चाहते है। कहते है कि नई इकाई लगाने पर दस सालों तक सम्पूर्ण टैक्स का भुगतान हो। इसके अलावा सैफी समाज के कुटीर एवं लघु उद्योग के लिए जमीन आवंटित की जाए। सैफी समाज चला रहा जागरूता की मुहिम, शिक्षा पर जोर सैफी समाज के लोग एकजुटता और सामाजिक कुरीतियों के खात्मे के लिए मुहिम चला रहे है। सैफी संघर्ष समिति के जरिए मेरठ से सैफी समाज के लोग पश्चिमी यूपी के साथ ही दूसरे राज्यों तक समाज के लोगों को एकजुट करने, बच्चों की शिक्षा पर जोर देने के लिए जागरूक करने में जुटे है। दहेजरहित शादियों के लिए भी मुहिम छेड़ी है। जागरूकता मुहिम में कहा जा रहा है कि सैफी समाज एक पढे़-लिखे लोगों का समाज है। हसीन अहमद सैफी कहते है कि समाज के लोगों को बच्चों की शिक्षा पर जोर देने के लिए जागरूक कर रहे है, ताकि समाज के बच्चे आगे बढ़कर देश का नाम रोशन कर सके। इसके साथ समाज में फैली बुराईयों को खत्म करने, समाज में होने वाले छोटे-छोटे झगड़ों को आपस में ही सुलझाने और समाज में कोई बिखराव नहीं आने देने को मुहिम चलाई जा रही है। सैफी समाज के बारें में सैफी समाज, जिसे सैफी या लोहार समाज भी कहा जाता है, उत्तर भारत में मुस्लिम लोहारों और बढ़ई का एक समुदाय है. यह समुदाय उत्तर प्रदेश, विशेष रूप से मेरठ में भी है। सैफी समाज के लोग लोहार और बढ़ई का काम करते हैं, जो पीढ़ी दर पीढ़ी चला आ रहा है। सैफी समाज को लोहार, सैफी, देशवाल लोहार, या कभी-कभी मुस्लिम बरहाई के नाम से भी जाना जाता है। सैफी समाज का स्थापना दिवस मेरठ में भी मनाया जाता है। सैफी समाज सैफी निकाह मिन सुन्नति के माध्यम से निकाह करता है, जो अब तक सैकड़ों निकाह पूरे कर चुके हैं। मेरठ में सैफी समाज के लोग सैफी निकाह मिन सुन्नति जैसे कार्यक्रम करते हैं और अपने समुदाय की गतिविधियों को बढ़ावा देते हैं। ऐसे हुआ सैफी समाज का नामकरण, मनाया जाने लगा स्थापना दिवस देश के हर कोने में सैफी समाज का नाम अलग-अलग तरह से रखा जाता था परंतु मार्च 1975 में गुलावठी में एक बहुत बड़ा महासम्मेलन हुआ जिसमें सैफी बिरादरी का संपूर्ण देश में, एक रूप में, पहचान के लिए, नाम रखना तय हुआ। इसी कड़ी में अथक प्रयासों के बाद छह अप्रैल 1975 को अमरोहा में सैफी समाज के महासम्मेलन में समाज का नाम सैफी रख दिया गया। भारत देश के कोने-कोने से बढ़ई व लोहार जाति के लोग इकट्ठा हुए और उन्होंने नये समाज का गठन कर सैफी नाम पर मोहर लगा दी। यह सैफी समाज के लिए बेहद फख़्र का दिन था। छह अप्रैल को सैफी डे पूरे देश में फख़्र से मनाया जाता है। इस दिन समाज उत्थान के अनेक कार्य सभी शहरों में, सैफी समाज द्वारा किए जाते हैं। सैफी दिवस के दिन बड़े-बड़े प्रोग्राम होते हैं और इस अवसर पर बुजुर्गों ,गरीबों और बेसहारा लोगों की मदद के कार्यक्रम किए जाते हैं। साथ ही साथ विद्यार्थियों और समाजसेवियों को सम्मानित भी किया जाता है। आज सैफी समाज की पहचान विश्व स्तर पर होने लगी है। बयां किया दर्द सैफी समाज के लोगों को सरकार की ओर से ब्याज रहित लोन दिया जाए। प्रशिक्षण की व्यवस्था हो, जिससे वह अपना हुनर और बढ़ा सके। मंजूर सैफी बुनकर समाज को दिए सरकार की ओर से फ्लैट रेट बिजली की तरह सैफी समाज को बिजली फ्लेट रेट दी जाए। अन्य योजनाएं बनें। शकील भारती मलिन बस्तियों में ज़्यादा से ज़्यादा स्वास्थ्य केंद्र खोले जाए और सैफी के बच्चों को आईआईटी में विशेष छूट प्रदान की जाए। शाहजहां सैफी सैफी समाज के बच्चों को सस्ती एंव सुलभ शिक्षा व्यवस्था के तहत विशेष व्यवस्था प्रदान की जाए। सरकार की योजनाओं का लाभ मिले। फिरोज सैफी -सैफी समाज के लिये कुटीर लघु उद्योग के लिये ज़मीन आवंटित की जाये। सैफी समाज के कारीगर वर्ग को सरकार की ओर से योजनाओं का लाभ और विभिन्न कार्यों के लिए आर्थिक सहायता दी जाए। फहीमुद्दीन सैफी उच्च शिक्षण संस्थानों जैसे आईटीआई, पॉलिटेक्निक, बी टेक कॉलेजों में सैफी समाज के पढ़े-लिखे बच्चों को वरीयता दी जाये। सैफी समाज के कल्याण के लिए सरकार नई योजनाएं लाएं और संचालित करें। रहीसुद्दीन सैफी सैफी समाज के कई लोग कुटीर उद्योग जैसे कि लकड़ी और लोहे का काम करते हैं। उनकी फ्लैट रेट पर बिजली दिए जाने की मांग चली आ रही हैं। कुटीर उद्योगों के लिए 25 लाख तक का ब्याज मुक्त लोन मिले। कय्यूम सैफी शिक्षा बच्चों और युवाओं के लिए बहुत महत्वपूर्ण है और इसे प्रोत्साहित करने के लिए कदम उठाने चाहिए। बच्चों और युवाओं को अपराधों एवं अन्य सामाजिक बुराइयों से दूर रखने के लिए भी प्रयास हो। नसीम सैफी सैफी समाज के लोगों को कुटीर उद्योगों के लिए फ्लैट रेट पर बिजली मिले और नई इकाई लगाने, तकनीकी अपग्रेडेशन के लिए 25 लाख तक ब्याज मुक्त लोन मिले, सरकार इसकी व्यवस्था करें। यूनुस सैफी सैफी समाज के हाईस्कूल उत्तीर्ण छात्र/छात्राओं को प्राथमिकता के आधार पर कौशल विकास योजना के तहत छह महीने का प्रशिक्षण देकर आईटीआई के समकक्ष माना जाये। नौकरी में प्राथमिकता दी जाए। हाजी इंतजार शस्त्र रिपेरिंग का काम मुख्य रूप से सैफी समाज के लोग करते हैं। सैफी समाज के ऐसे कारीगरों को शस्त्र विक्रेता तथा शस्त्र रिपेरिंग का लाइसेंस वरीयता के आधार पर दिये जाये। रोजगार के अवसर मिले। सिराजुद्दीन सैफी प्रदेश सरकार द्वारा संचालित कामधेनु एवं मिनी कामधेनु योजना की तर्ज पर सैफी समाज एवं कामगार वर्गों के लिए जल्द ही इसी स्तर पर कोई योजना लागू की जाये। ताकि रोजगार की समस्या न हो। नवेद सैफी सैफी समाज से जुड़े ग्यारह सूत्रीय मांग पत्र लेकर पिछले काफी समस्या से लगातार आवाज उठाई जा रही है, लेकिन प्रशासन अथवा शासन स्तर से समस्याओं का समाधान नहीं हो पा रहा है। हसीन अहमद सैफी प्रदेश के सरकारी विभागों में जितना लोहा, लकड़ी आदि का काम टेंडर द्वारा होता है। उसमें सैफी समाज को विशेष वरीयता दी जाये। वन निगम की लकड़ी की नीलामी में विशेष प्राथमिकता मिले। हाजी नूर सैफी सैफी समाज के जो लोग कुटीर उद्योग लगा कर काम कर रहे हैं अथवा नया कारोबार करना चाहते हैं। उन्हें 25 लाख तक का लोन ब्याज मुक्त दिया जाये। नई इकाई दस सालों तक टैक्स से मुक्त हो। स्वाहेलीन सैफी अति पिछड़े वर्ग के लिए निर्धारित आरक्षण में सैफी समाज को जनसंख्या के आधार पर शैक्षिक, आर्थिक, राजनैतिक स्तर पर आरक्षण दिया जाये। सरकार सैफी समाज के कल्याण के लिए योजना लागू करें। मोहम्मद सलीम सैफी कुटीर उद्योग के लिए फ्लैट रेट पर बिजली मिले। ढाई फुट आरा मशीन को लाइसेंस मुक्त किया जाए। ब्याज मुक्त लोन मिले और नौकरी में सैफी समाज के युवाओं के लिए आरक्षण की व्यवस्था लागू हो। नसीम आलम सैफी सैफी समाज के जोलोग लकड़ी एवं लोहे का काम करते हैं, उन्हें छोटे-मोटे कारखाने लगाने के लिए फ्लैट रेट पर बिजली दी जाये। जो लोग लकड़ी का काम करते हैं। उन्हें ढाई फुट आरा मशीन को लाइसेंस मुक्त करें। अरशद सैफी आर्थिक, सामाजिक निर्माण में सैफी समाज का अहम योगदान है। कुटीर उद्योग चलाने के लिए सैफी समाज के लोगों को तमाम दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।सुविधाएं और सरकार का मिलना चाहिए। शहजाद सैफी सैफी समाज के उत्थान के लिए सरकार की योजनाओं का लाभ मिले। कम से कम ब्याज दर पर लोन मिलना चाहिए। आरा मशीनों के लाइसेंस मिले। अनुसूचित जाति में शामिल करके नौकरियों में आरक्षण मिले। नासिर सैफी समस्या - फ्लैट रेट पर बिजली का न मिलना और ढाई फुट तक की मशीन का लाइसेंस मुक्त न हो - वन निगम की लकड़ी की नीलामी में विशेष वरीयता का नहीं मिलना - शस्त्र विक्रेता तथा शस्त्र रिपेरिंग का लाइसेंस नहीं मिलना - कामधेनु एवं मिनी कामधेनु योजना की तर्ज पर कोई योजना लागू नहीं होना सुझाव - लोहे और लकड़ी पर जीएसटी की दर कम की जाए - शिक्षा पर बढ़ते हुए आर्थिक बोझ को कम करने में सरकार सैफी समाज को विशेष छूट दें - मलिन बस्तियों में स्वास्थ्य केंद्र खोले जाए, जिससे सर्व समाज को लाभ मिल सके - सैफी समाज बच्चों के लिए यूपीएससी कोचिंग के लिए सेंटर खोला जाए

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