आदिवासी बाहुल्य जराबाद में बुनियादी सुविधाओं का टोटा
पीरटांड़ के आदिवासी बाहुल्य गांव जराबाद में बुनियादी सुविधाओं की कमी है। ग्रामीणों को पक्की सड़क नहीं मिलती, जिससे उन्हें परेशानियों का सामना करना पड़ता है। सड़क की खराब स्थिति के कारण एम्बुलेंस भी...

पीरटांड़, प्रतिनिधि। विश्व प्रसिद्ध पारसनाथ मधुबन की गोद में बसाआदिवासी बाहुल्य गांव जराबाद में बुनियादी सुविधाओं का टोटा है। गांव के ग्रामीणों को एक अदद पक्की सड़क नसीब नहीं है। सड़क के आभाव में ग्रामीणों को रोज परेशानियों का सामना करना पड़ता है। जराबाद गांव तक जाने वाली पथरीली व ऊबड़ खाबड़ सड़क में चारपहिया वाहन की सवारी तो दूर बाइक की सवारी भी मुश्किल भरा काम है। बताया जाता है कि विश्व प्रसिद्ध सम्मेदशिखर मधुबन की चकाचौंध के बीच मधुबन पंचायत के आदिवासी बाहुल्य गांव जराबाद गांव बुनियादी सुविधाओं से महरूम है। प्रखण्ड मुख्यालय चिरकी से छह किलोमीटर तथा मधुबन पंचायत मुख्यालय से लगभग दो किलोमीटर दूर बसा आदिवासी बाहुल्य गांव जराबाद व आसपास गांव की आबादी लगभग एक हजार है।
विभिन्न टोला में विभक्त इस क्षेत्र को उत्तरी पारसनाथ से भी जाना जाता है। मधुबन से जराबाद होते हुए सभी छोटे-छोटे आदिवासी बाहुल्य गांव का संपर्क है, पर मधुबन से जराबाद गांव को जोड़नेवाली कच्ची सड़क बेहद जर्जर अवस्था मे है। गांव के ग्रामीणों को रोज ऊबड़खाबड़ व पथरीली सड़क का दर्द झेलना पड़ता है। गांव के ग्रामीणों को रोज पगडंडियों के सहारे पैदल दूरी तय करनी पड़ती है। सड़क की खराब हालत के कारण विषम परिस्थिति में गांव में एम्बुलेंस तक नही पहुंच पाती है। मरीज को डोली अथवा खाट में टांगकर अस्पताल तक लाया जाता है। इस बाबत जराबाद गांव के सुनील मुर्मू ने कहा कि आज तक गांव में पक्की सड़क नहीं बन पाई है। सड़क के आभाव में राहगीरों को रोज परेशानी होती है। जर्जर सड़क पर कोई वाहन गांव तक जाना नहीं चाहता है। कहा कि शादी व्याह के वक्त अतिथियों को भारी परेशानी होती है। मरीजों को टांगकर मधुबन तक ले जाने की मजबूरी है।
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