आठ साल में दोगुने हुए मेडिकल कॉलेज, MBBS सीटें भी बढ़ीं; CM योगी ने गिनाई यूपी सरकार की उपलब्धियां
सीएम योगी ने सोमवार को अपने आठ साल के कार्यकाल का रिपोर्ट कार्ड शेयर किया। इस रिपोर्ट के मुताबिक मेडिकल कॉलेजों की संख्या दोगुनी हो गई है। वर्तमान में प्रदेश के 66 मेडिकल कॉलेजों का संचालन हो रहा है। जबकि 2016-17 की बात करें तो प्रदेश में कुल 42 मेडिकल कॉलेज थे।

स्वास्थ्य हो या चिकित्सा शिक्षा बीते आठ सालों में योगी सरकार ने यूपी में खासा काम किया है। लोगों को घर के नजदीक इलाज मुहैया कराने का प्रयास हो रहा है। इसके लिए स्वास्थ्य और चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में सरकार ने एक बड़ी लकीर खींची है। पांच लाख तक मुफ्त इलाज की सुविधा का लाभ उठाने वालों का दायरा लगातार बढ़ रहा है। 22 हजार आयुष्मान आरोग्य मंदिरों पर जांच के साथ टेली मेडिसिन सुविधा भी उपलब्ध कराई जा रही है। वहीं आठ साल में मेडिकल कॉलेजों की संख्या दोगुनी हो गई है।
सबसे खास है एक जिला-एक मेडिकल कॉलेज योजना। इसके तहत यूपी के हर जिले में मेडिकल कॉलेज खोला जा रहा है। वर्तमान में प्रदेश के 66 मेडिकल कॉलेजों का संचालन शुरू हो चुका है। प्रदेश में मेडिकल की एमबीबीएस और पीजी सीटों में भी खासी वृद्धि हुई है। इसके चलते जहां मरीजों को बेहतर इलाज का रास्ता साफ हुआ है, वहीं प्रदेश को नये डॉक्टर भी बड़ी संख्या में मिलने लगेंगे। साथ ही सुपर स्पेशियरलिटी चिकित्सा सुविधाएं भी तमाम जिलों में बढ़ाई गई हैं।
प्रदेशवासियों को अब इलाज के लिए लंबी दूरी तय नहीं करनी पड़ रही। अधिकांश जिलों में मेडिकल कॉलेज की सुविधा पहुंच गई है। वहीं सरकारी अस्पतालों को भी लगातार अपग्रेड किया जा रहा है। जहां तक मेडिकल कॉलेजों का सवाल है तो बीते आठ सालों में प्रदेश में इनकी संख्या में 90 फीसदी की वृद्धि हुई है। वर्ष 2016-17 की बात करें तो प्रदेश में कुल 42 मेडिकल कॉलेज थे। इनमें सरकारी क्षेत्र के सिर्फ 17 और निजी क्षेत्र के 25 थे।
वर्ष 2024-25 में यूपी में कुल मेडिकल कॉलेजों की संख्या 42 से बढ़कर 80 हो गई है। इनमें 44 सरकारी और 36 निजी क्षेत्र के मेडिकल कॉलेज शामिल हैं। मौजूदा शैक्षिक सत्र से बिजनौर, बुलंदशहर, कुशीनगर, पीलीभीत, सुल्तानपुर, कानपुर देहात, ललितपुर, औरैया, चंदौली, गोंडा, सोनभद्र, लखीमपुर खीरी, कौशांबी के स्वशासी मेडिकल कॉलेजों में शैक्षिक सत्र शुरू हो चुका है। पीपीपी मोड के महाराजगंज, शामली और सम्भल स्थित मेडिकल कॉलेजों में भी सत्र शुरू प्रारम्भ हो चुका है।
एमबीबीएस की 120 फीसदी तो पीजी की 199 फीसदी सीटें बढ़ीं
अब बात करते हैं मेडिकल सीटों की। प्रदेश में मेडिकल कॉलेजों की संख्या बढ़ने के साथ ही मेडिकल सीटों में भी लगातार इजाफा हो रहा है। बीते साल साल में एमबीबीएस की सीटें 120 फीसदी बढ़ी हैं। वर्तमान में सरकारी मेडिकल कॉलेजों में एबीबीएस की 5250 और निजी कॉलेजों में 6600 सीटें यानी प्रदेश में कुल 11850 एमबीबीएस सीटें हैं। यदि 2016-17 की बात करें तो सरकारी क्षेत्र की एमबीबीएस सीटों की संख्या 1840 और निजी क्षेत्र की 3550 थी यानी प्रदेश में कुल 5390 सीटें थीं।
इस तरह सरकारी क्षेत्र में 3410 और निजी क्षेत्र की 3050 सीटें मिलाकर प्रदेश में कुल 6460 एमबीबीएस सीटें बढ़ी हैं। पीजी सीटों को देखें तो वर्ष 2016-17 में यूपी में सरकारी क्षेत्र की 741 व निजी क्षेत्र की 603 सहित कुल 1344 सीटें थीं। वर्ष 2024-25 में कुल सीटें बढ़कर 4028 हो चुकी हैं। इनमें सरकारी क्षेत्र की 1906 व निजी क्षेत्र की 2122 सीटें शामिल हैं। प्रदेश में सुपर स्पेशियलिटी सीटें भी 154 फीसदी बढ़कर 120 की तुलना में 305 हो गई हैं।
आईआईटी कानपुर में बन रहा 500 बेड का सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल
एसजीपीजीआई में ही 8 नये विभाग प्रारंभ किये गए हैं। एसजीपीजीआई में डायबिटीज सेंटर की स्थापना की गयी है। इसके साथ ही 500 बेड के एडवांस पीडियाट्रिक सेंटर का निर्माण किया जा रहा है। आईआईटी कानपुर के अंतर्गत 500 शैय्यायुक्त सुपर स्पेशिलिटी चिकित्सालय के साथ स्कूल ऑफ मेडिकल रिसर्च एण्ड टेक्नोलॉजी की स्थापना की जा रही है। कल्याण सिंह सुपर स्पेशियलिटी कैंसर इंस्टीट्यूट, लखनऊ में सेंटर फॉर एडवांस मॉलिक्यूलर डायग्नोस्टिक्स एण्ड रिसर्च फॉर कैंसर स्थापित किया गया है। केजीएमयू को भी पीजीआई की तर्ज पर टेली मेडिसिन व टेली आईसीयू केंद्र के रूप में विकसित किया जा रहा है।
ऑक्सीजन के मामले में यूपी हुआ आत्मनिर्भर
कोरोना काल में अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी को लेकर खासा शोर मचा था। इसके बाद प्रदेश सरकार ने मुहिम चलाकर प्रदेश के सभी जिला स्तरीय अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों में ऑक्सीजन की उपलब्धता सुनिश्चित की। इस मामले में यूपी अब आत्मनिर्भर हो चुका है। मेडिकल कॉलेजों में अब लिक्विड ऑक्सीजन की कोई दिक्कत नहीं होगी। हर मेडिकल कॉलेज में 20 किलोलीटर का टैंक अनिवार्य कर दिया गया है। खास बात यह है कि जनवरी 2021 में प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों में ऑक्सीजन की उपलब्धता 241 किलोलीटर थी, जिसे बढ़ाकर 14 हजार किलोलीटर से अधिक किया जा चुका है। आईसीयू और एनआईसीयू बेड की संख्या भी बढ़ी है।
नर्सिंग की 7000 सीटें बढ़ीं
यूपी में बीते सालों में नर्सिंग सेवाओं के क्षेत्र में बड़ा परिवर्तन आया है। इतना बड़ा राज्य होने के बाद भी प्रदेश में नर्सिंग क्षेत्र में सरकारी क्षेत्र की हिस्सेदारी दो फीसदी भी नहीं थी। मिशन निरामया के अन्तर्गत नर्सिंग व पैरामेडिकल संस्थाओं की गुणवत्ता सुधार अनेक कार्यक्रमों का संचालन किया गया है। नर्सिंग में 7000 सीटें तथा पैरामेडिकल में 2000 सीटों की वृद्धि हुई है। बंद पड़े 35 एएनएम प्रशिक्षण केंद्रों को पुनः शुरू किया गया है। प्रदेश में स्वीकृत 31 नर्सिंग कॉलेजों का निर्माण कार्य प्रारम्भ हो गया है।
डेंगू-मलेरिया के केस घटे, जांच बढ़ी
वर्ष 2017 की तुलना में वर्ष 2024 में प्रदेश में डेंगू के मामले में खासी कमी आई है। वहीं जांच की सुविधाएं बढ़ी हैं। पहले 29 जिलों में 36 सेन्टीनल प्रयोगशालाएं थीं। अब प्रदेश के समस्त 75 जनपदों में 86 सेन्टीनल प्रयोगशालाएं तथा अपैक्स प्रयोगशालाएं क्रियाशील हो चुकी हैं। वहीं डेंगू से होने वाली मृत्यु दर में 93 प्रतिशत की कमी आई है। वर्ष 2017 में 0.91 प्रतिशत से घटकर 2024 में 0.06 प्रतिशत रह गया है। इसी तरह मलेरिया के मामलों में 2017 की तुलना में 2024 में 58 प्रतिशत की कमी आई है। जांचों की संख्या 210 फीसदी बढ़ी है। एईएस के मामले में वर्ष 2017 की तुलना में वर्ष 2024 में रोगियों की संख्या में 76 प्रतिशत की कमी आई है, जबकि मृत्यु दर 98 फीसदी घटी है। जेईई के मामलों में भी 87 फीसदी की कमी आई है।
एंबुलेंस बढ़ीं और रेस्पांस टाइम घटा
प्रदेश में एंबुलेंस और एडवांस लाइफ सपोर्ट (एएलएस) एंबुलेंस की संख्या बढ़ी है। जबकि मरीजों तक एंबुलेंस के पहुंचने का रेस्पांस टाइम घटाया गया है। फिलहाल प्रदेश में एडवांस लाइफ सपोर्ट सेवा की 250, नेशनल एम्बुलेंस सेवा की 2270 एवं 108 सेवा के तहत 2200 एम्बुलेंस संचालित हैं। 108 एंबुलेंस सेवा की बात करें तो 2014 में जहां 16 लाख 75 हजार 138 मरीजों को एंबुलेंस सेवा का लाभ मिला। वहीं 2024 में यह आंकड़ा 61 लाख 29 हजार 729 रहा। इसी तरह 102 एंबुलेंस सेवा का लाभ 2014 में 18 लाख 30 हजार 218 लोगों को मिला था। जो 2024 में 1 करोड़ 63 लाख 64 हजार 396 रहा।
आयुष पर भी जोर, जल्द गठित होगा बोर्ड
प्रदेश में एलोपैथी के साथ ही आयुष चिकित्सा को बढ़ावा देने पर भी सरकार का फोकस है। महायोगी गुरु गोरखनाथ आयुष विश्वविद्यालय की स्थापना के बाद अब प्रदेश में आयुष बोर्ड के गठन का निर्णय लिया गया है। वर्तमान में 2110 आयुर्वेदिक, 254 यूनानी एवं 1585 होम्योपैथिक चिकित्सालयों के साथ ही आठ आयुर्वेदिक कालेज एवं उनसे सम्बद्ध चिकित्सालय, दो यूनानी कालेज एवं उनसे सम्बद्ध चिकित्सालय तथा नौ होम्योपैथिक कालेज एवं उनसे सम्बद्ध चिकित्सालय संचालित हैं। अयोध्या में राजकीय आयुर्वेदिक महाविद्यालय, वाराणसी में राजकीय होम्योपैथिक मेडिकल कालेज की स्थापना की गई है।