शेयर बाजार के भूकंप में भी ढूंढ़ा अवसर, गिरावट के बीच भी लखनऊ-कानपुर में एसआईपी खोल रहे लोग
- शेयर बाजार में सोमवार को भूचाल के बावजूद भी म्यूचुअल फंड के निवेशक डटे हुए हैं। एक दिन पहले 10 माह में सबसे बड़ी गिरावट से शहर के निवेशकों को करीब 260 करोड़ रुपये की चोट पड़ी थी। बावजूद इसके उनका हौसला बुलंद है।
शेयर बाजार में सोमवार को भूचाल के बावजूद भी म्यूचुअल फंड के निवेशक डटे हुए हैं। एक दिन पहले 10 माह में सबसे बड़ी गिरावट से शहर के निवेशकों को करीब 260 करोड़ रुपये की चोट पड़ी थी। बावजूद इसके उनका हौसला बुलंद है। लखनऊ - कानपुर के निवेशक अपना पोर्टफोलियो बैलेंस कर रहे हैं।
शेयर ट्रेडर एवं एक्सपर्ट अरुण मिश्र के अनुसार शहर में नौकरीपेशा अधिक होने की वजह से म्यूचुअल फंड में निवेश यहां प्रदेश में सबसे ज्यादा है। लखनऊ में 26 हजार करोड़ रुपये म्यूचुअल फंड में लोगों ने लगाए हुए हैं। साल ही शुरुआत से ही बाजार कई बार डगमगाया। बावजूद इसके नई एसआईपी शुरू होती रहीं। फरवरी माह के दौरान लखनऊ में 4400 और कानपुर में 3500 एसआईपी शुरू हुईं। अरुण मिश्र ने बताया कि एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इंडिया की ताजा रिपोर्ट के अनुसार एमएफ निवेशकों की बात करें तो देश के शीर्ष 20 शहरों में से लखनऊ 12वें और कानपुर 14वें स्थान पर है। लखनऊ में 9.6 लाख और कानपुर में 7.21 लाख फोलियो बैंक खाते हैं। ये वो खाते हैं जो फंड से लिंक हैं। उत्तर प्रदेश में लखनऊ म्यूचुअल फंड निवेश में पहले स्थान पर है, जबकि कानपुर दूसरे स्थान पर है। लखनऊ से म्यूचुअल फंड में ₹26,000 करोड़ का निवेश किया गया है, जबकि कानपुर से ₹20,000 करोड़ का निवेश किया गया है।
लार्ज और मिड कैप में भी गिरावट लेकिन धैर्य रखें
लखनऊ में निवेशकों ने लार्ज-कैप फंड्स में 3063 करोड़ और मिड-कैप फंड्स में 5147 करोड़ रुपए का निवेश किया है। सेबी सिक्योरिटी मार्केट ट्रेनर और एक्सपर्ट प्रदीप कुमार पाण्डेय के अनुसार लार्ज कैप कंपनियां जैसे टाटा स्टील, टाटा मोटर्स, रिलायंस, इनफोसिस के शेयर 10 फीसदी तक टूटे। निवेशकों का भरोसा थोड़ा डगमगाया, लेकिन ये कंपनियां मजबूत हैं और लम्बे समय में अच्छा रिटर्न इनके शेयर देते आए हैं। मिड कैप शेयरों में 3 फीसदी तक की गिरावट देखी गई। कुछ सेक्टर जैसे फार्मा और मैन्युफैक्चरिंग में ज्यादा असर पड़ा। स्माल कैप के शेयर 7 फीसदी तक नीचे आए। इस कैप में बिकवाली तेज रही।
एसआईपी चालू रखें, पोर्टफोलियो का बैलेंस बनाएं
प्रदीप पाण्डेय के अनुसार फिलवक्त एसआईपी को चालू रखें और पोर्टफोलियो का बैलेंस बनाए रखें। सिर्फ अच्छी क्वालिटी और कम कर्ज वाली कंपनियों में निवेश करें। लॉन्ग टर्म नजरिया रखें, जल्दी मुनाफा निकालने की कोशिश न करें। अपने फाइनेंशियल एडवाइजर से बात करेंऔर जानें कि इस स्थिति से कैसे फायदा उठाया जा सकता है। निवेश में बने रहें- यह लंबी अवधि का सफर है। छोटी अवधि की गिरावटों से घबराने की ज़रूरत नहीं। ऐसे में गिरते बाजार में मौके तलाशें। अच्छे स्टॉक्स और म्यूचुअल फंड्स अभी छूट पर मिल रहे हैं। ये निवेश के लिए अच्छा समय हो सकता है।
वैश्विक निवेश भारत की ओर मुड़ सकता है
एक्सपर्ट बता रहे हैं कि भारतीय निवेशकों को घबराने की जरूरत नहीं। जून 2024 तक विदेशी निवेशकों ने अमेरिकी एसेट्स में 31.3 ट्रिलियन डॉलर निवेश किया था। अगर डॉलर कमजोर होता है, तो इसका कुछ हिस्सा भारत जैसे उभरते बाजारों की ओर आ सकता है। भारत पर टैरिफ वार का असर केवल 0.6 फीसदी जीडीपी तक सीमित हो सकता है। डॉलर कमजोर होने से रुपया मजबूत हो सकता है, जिससे विदेशी निवेशकों को भारतीय बाजार ज्यादा आकर्षक लगेंगे। अमेरिका ने भारत पर अपेक्षाकृत कम टैरिफ लगाए हैं। इससे टेक्सटाइल, फुटवियर, कपड़े और इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर को फायदा हो सकता है। पिछले साल देश में 897 बिलियन डालर का आयात हुआ था। अगर डॉलर कमजोर होता है तो ये आयात सस्ते हो जाएंगे, जिससे अर्थव्यवस्था को राहत मिल सकती है। अमेरिका-चीन तनाव के चलते वैश्विक कंपनियां चीन से दूरी बना रही हैं। भारत का पीएलआई (प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेटिव) पहले ही 20 बिलियन डॉलर का निवेश आकर्षित कर चुका है। अब कंपनियां चीन की जगह भारत या अमेरिका को विकल्प मान सकती हैं।
भूचाल ने भर दिए निफ्टी 50 के दो गैप, अच्छा संकेत
शहर के प्रमुख ट्रेडर एवं एक्सपर्ट अरुण मिश्र के अनुसार नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के शीर्ष शेयरों वाले निफ्टी 50 इंडेक्स में पहले दो गैप थे जो बने हुए थे। एक 21400 से 500, दूसरा 700 से 800 का था। मेजर डाउन से दोनों गैप भर गए हैं। यह इंडेक्स पहले 21743 के लो पर गया फिर रिकवरी की और 22161.10 पर बंद हुआ। आगे के लिए यह अच्छा संकेत है।
टैरिफ वार से मार्केट में लौटेगा निवेश
टैरिफ वार से भारतीय बाजार में एफआईआई का निवेश लौटने की उम्मीद काफी बढ़ गई है। अरुण मिश्रा के अनुसार ट्रम्प अमेरिकी बाजार क्रैश होने दे रहे हैं ताकि इक्विटी से उनके लोग पैसा निकाल कर डेट फंड में लगाएं। उनको ब्याज दर महंगी पड़ रही थी। उनके डेट फंड में पहले से ही ऊपर से कट ऑफ लगा है। साथ ही गोल्ड, सिल्वर, क्रूड भी नीचे आया है। ध्यान रहे कि निवेश के तौर पर गोल्ड में ग्रोथ पिछले पांच वर्षों में ही आई है। कुल मिलाकर इस स्थिति का भारतीय बाजार पर अच्छा असर होगा। फिलहाल, भारतीय शेयर बाजार को विदेशी संस्थागत निवेशक भी मजबूत मान रहे हैं। यह काफी हद तक उनको सुरक्षित भी लग रहा है। घरेलू निवेशकों ने कमाल का काम किया है। इसका असर आने वाले समय में दिखेगा।
बाजार की बड़ी गिरावटें-
17 मई 2004 15.52%
23 मार्च 2020 13.15%
28 अप्रैल 1992 12.77%
24 अक्टूबर 2008 10.95%
21 जनवरी 2008 9.75%
16 मार्च 2020 8.39%
12 मार्च 2020 8.18%
18 मई 2006 6.76%
24 अगस्त 2015 5.94%
11 फरवरी 2000 5,55%