Decline of Animal Fairs in Pratapgarh Modernization Over Traditional Breeds आधुनिकता की चकाचौंध में मेले से गायब हो गए पशु, Pratapgarh-kunda Hindi News - Hindustan
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आधुनिकता की चकाचौंध में मेले से गायब हो गए पशु

Pratapgarh-kunda News - प्रतापगढ़ में पशुओं के मेले अब अतीत का हिस्सा बन गए हैं। आधुनिकता के चलते बैलों और अन्य पशुओं की मांग में कमी आई है। महंगाई और मशीनों की बढ़ती निर्भरता ने पशुपालन को महंगा बना दिया है। अब दूध का...

Newswrap हिन्दुस्तान, प्रतापगढ़ - कुंडाWed, 30 April 2025 04:20 PM
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आधुनिकता की चकाचौंध में मेले से गायब हो गए पशु

प्रतापगढ़, संवाददाता। दो से तीन दशक पहले पशुओं की नस्ल के लिए प्रसिद्ध मेले अब आधुनिक चकाचौंध में अतीत बन गए हैं। मेलों के साथ पशुओं की नस्लें भी गायब हो गई हैं। तभी ऊंची कीमत वाले पशु आज गलियों और खेतों में मारे-मारे फिर रहे हैं। मदाफरपुर, संड़वा चंद्रिका, कटरा मेदनीगंज, कटरा गुलाब सिंह, कुंडा के बाबूगंज सहित कई अन्य बाजार कभी पशुओं की नस्ल के लिए प्रसिद्ध हुआ करते थे। इन मेलों में सबसे अधिक मांग आकर्षक बैलों की होती थी। समय बदलने के साथ आधुनिकता की दौड़ में बैल की जरूरत खत्म हो गई। अन्य पशुओं की भी मांग कम हो गई है। ऐसे में पशु मेलों का अस्तित्व धीरे-धीरे खत्म हो गया। इसके साथ ही मवेशियों की कई नस्लें भी गायब हो गईं।

पशुपालन हुआ महंगा, मशीनों पर निर्भर खेती

खेती के लिए उपयोग में लाए जाने मवेशियों का पालन बदलते दौर के साथ महंगा होता गया। आज किसानों को उनके चारा जुटाना संभव नहीं हो पा रहा है। महंगाई के चलते ज्यादातर लोग पशुपालन से मुंह मोड़ ले रहे हैं। इक्का-दुक्का लोग दूध का कारोबार करने के लिए गाय और भैस का पालन कर रहे हैं। ऐसे में किसानों के मवेशियों सुलभ और सस्ता साधन आधुनिक मशीने साबित हो रही है।

खेत की जोताई के लिए जिले में लगाए जाते थे पशुओं के मेले

खेत की जोताई के लिए जिले भर की मदाफरपुर, संड़वा चंद्रिका, कटरा मेदनीगंज, कटरा गुलाब सिंह, कुंडा के बाबूगंज की बाजार में मवेशियों को लेकर पशुपालक मेले में पहुंचते थे। मेले में पहुंचने वाले पशुपालकों से किसान अपने पसंद के मवेशियों को खरीदते थे। मेले में ऐसे तंदुरुस्त मवेशियों की मांग ज्यादा होती थी।

दूध कारोबारी हुए पशु व्यापारी

पशुओं के मेले बंद होने के बाद दूध का कारोबार करने वाले ही गाय-भैस का पालन कर रहे हैं। कई लोग दूसरे जिले से गाय-भैस खरीदकर दूध का व्यवसाय कर रहे हैं। इन्हीं लोगों से आसपास के लोग भी अपनी जरूरत के हिसाब से गाय और भैस की खरीदारी कर रहे हैं।

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