मशीन अधिक और डॉक्टर कम, कैसे हो अल्ट्रासाउंड
Pratapgarh-kunda News - प्रतापगढ़ के मेडिकल कॉलेज के महिला अस्पताल में अल्ट्रासाउंड की कमी है। यहाँ चार मशीनें हैं, लेकिन केवल दो डॉक्टर हैं। मरीजों को 22 दिन बाद की तारीख दी जा रही है, जिससे गंभीर बीमारी के मरीजों को समय पर...
प्रतापगढ़, संवाददाता। मेडिकल कॉलेज के महिला अस्पताल में अल्ट्रासाउंड होता ही नहीं। राजा प्रताप बहादुर चिकित्सालय में अल्ट्रासाउंड की चार मशीनें रखी हैं किन्तु रेडियोलॉजी के डॉक्टर सिर्फ दो हैं। उसमें भी एक डॉक्टर मेडिकोलीगल रिपोर्ट तैयार करने में व्यस्त हो जाते हैं। ऐसे में एक ही अल्ट्रासाउंड मशीन चल पाती है। अधिकांश मरीजों को प्राइवेट सेंटरों पर जाकर मोटी फीस देकर अल्ट्रासाउंड कराना पड़ रहा है। हालत यह है कि अस्पताल में सोमवार को जिन मरीजों को डॉक्टरों ने अल्ट्रासाउंड के लिए लिखा उनको जांच के लिए 22 दिन बाद की तारीख मिली है। ऐसे में यदि किसी को गंभीर बीमारी है तो उसका समय पर इलाज होना मुश्किल ही है।
मेडिकल कॉलेज के राजा प्रताप बहादुर चिकित्सालय और महिला अस्पताल में रोज लगभग 150 मरीजों को अल्ट्रासाउंड कराने के लिए डॉक्टर पर्चा लिखते हैं। किंतु दोनों अस्पतालों के बीच सिर्फ एक अल्ट्रासाउंड मशीन चलती है। उस पर एक दिन में 30 अल्ट्रासाउंड किए जा रहे हैं। अन्य मरीजों को उस तारीख का नंबर दिया जाता है जिस दिन नंबर खाली होता है। पांच मई को जो मरीज अल्ट्रासाउंड कराने पहुंच रहे थे उन्हें 27 मई का नंबर दिया जा रहा था। दोपहर 11:30 बजे तक 27 मई के लिए 14 लोगों को नंबर दिया जा चुका था। जबकि अन्य मरीजों की बीमारी 22 दिन इंतजार करने लायक नहीं थी इसलिए वे प्राइवेट अल्ट्रासाउंड केंद्रों पर चले गए। मरीजों का कहना है कि जब लाखों रुपये की मशीन खरीद ली गई है तो डॉक्टर की तैनाती भी बढ़ानी चाहिए। बिना डॉक्टर के इतनी महंगी मशीने खरीदकर रखने से शासन के लाखों रुपये बेकार हो जा रहे हैं। जानकारों की मानें तो अधिक समय तक रखी रहने पर मशीनों की वारंटी भी खत्म होती जा रही है। निजी अल्ट्रासाउंड केंद्रों को मिल रहा बढ़ावा मेडिकल कॉलेज में मरीज और अल्ट्रासाउंड मशीनें अधिक किंतु रेडियोलॉजी के डॉक्टर कम हैं। इससे राजा प्रताप बहादुर चिकित्सालय में अधिकांश मरीजों को अल्ट्रासाउंड कराने के लिए अस्पताल के बाहर निजी अल्ट्रासाउंड केंद्रों पर जाना पड़ता है। इस स्थिति का फायदा उठाते हुए निजी अल्ट्रासाउंड केंद्रों के एजेंट मरीजों को बरगलाने के लिए सक्रिय हो जाते हैं। अपने सेंटर पर मरीज ले जाने को लेकर कई बार निजी अल्ट्रासाउंड केंद्र के एजेंटों में विवाद की स्थिति भी बन जाती है। इनका कहना है मरीजों की जरूरत को देखते हुए शासन से अतिरिक्त रेडियोलॉजिस्ट की मांग की गई है। तैनाती होते ही सभी मशीनों को एक्टिव कर अधिक से अधिक अल्ट्रासाउंड कर मरीजों को राहत दी जाएगी। -डॉ. वीके पांडेय, प्राचार्य मेडिकल कॉलेज
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