महाकुम्भ से दिलोदिमाग में छा गया संगम
Prayagraj News - प्रयागराज में महाकुम्भ का आयोजन हुआ जिसमें करोड़ों श्रद्धालुओं ने संगम में पुण्य की डुबकी लगाई। मेला समाप्त होने के बाद भी श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ी, जो पहले नहीं आ सके थे। आनंद भवन और खुसरोबाग जैसे...

प्रयागराज। ध्रुव शंकर तिवारी यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर के रूप में कुम्भ मेला को दिसंबर 2017 में शामिल किए जाने आठ वर्षों बाद प्रयागराज में आयोजित महाकुम्भ की भव्यता और उसकी दिव्यता का अलौकिक स्वरूप पूरी दुनिया ने देखा। जहां देश-दुनिया से आए करोड़ों श्रद्धालुओं की चाह सिर्फ संगम में पुण्य की डुबकी लगाने की दिखाई दी। ऐसी भीड़ इसके पहले कभी भी यहां मेला के दौरान नहीं पहुंची थी। मेला समाप्त होने के बाद संगम स्नान के लिए आज भी ऐसे श्रद्धालु पहुंच रहे हैं, जो महाकुम्भ में भीड़ की वजह से प्रयागराज नहीं आए थे और अब देश के विभिन्न राज्यों से आकर पुण्य अर्जित कर रहे हैं।
गुरुवार को संगम तट पर मध्य प्रदेश के गुना की रीतू राजपूत और उनकी जेठानी ज्योति राजपूत के साथ कुल 15 परिजन पहुंचे थे। रीतू ने बताया कि मेला के दौरान बहुत प्रयास किया लेकिन महाकुम्भ की भीड़ और भीषण जाम की खबरों को देखते हुए हम लोगों ने मेला समाप्त होने के बाद यहां आने का कार्यक्रम बनाया था। संगमतट पहुंचने पर बहुत सुखद अनुभूति हो रही थी। हम लोगों ने स्नान के साथ त्रिवेणी पूजन भी किया है।
महाकुम्भ से पहले संगम स्नान के लिए देश के विभिन्न प्रांतों से रोजाना करीब 15 हजार श्रद्धालु आते थे। वर्तमान में यह संख्या 45 हजार तक पहुंच गई है। व्रत व त्योहार पर एक लाख से अधिक तो मंगलवार और शनिवार को यह संख्या पचास हजार के करीब पहुंच जाती है। तीस वर्षों से संगम पर तख्ता लगाने वाले पुरोहित अभिषेक पांडेय ने बताया कि इस समय ऐसे लोग अधिक आ रहे है जो महाकुम्भ के दौरान भीड़ की वजह से नहीं आ सके थे। पुरोहित संतोष कुमार दुबे बताते हैं कि मेला में ऐसी भीड़ कभी नहीं देखी गई थी। इसका असर यह हुआ कि जो मेला के दौरान वेणीदान व पिंडदान नहीं कर सके, ऐसे श्रद्धालु अब संगम आ रहे हैं।
आनंद भवन पहुंचते है एक हजार पर्यटक
आनंद भवन में औसतन एक हजार पर्यटक रोजाना आते हैं। इनमें से आधे से अधिक संख्या दक्षिण भारत से आने वालों की रहती है। यहां आने वाले पर्यटक भूतल पर मोतीलाल नेहरू अध्ययन कक्ष व प्रसाधन कक्ष, इंदिरा प्रियदर्शिनी विवाह स्थल और प्रथम तल पर जवाहर लाल नेहरू कक्ष व प्रसाधन कक्ष, कांग्रेस कार्यकारिणी कक्ष, महात्मा गांधी कक्ष जैसी अमूल्य धरोहर देखना पसंद करते हैं।
कंपनी बाग के बाद पसंदीदा स्थल खुसरोबाग
खुसरोबाग मुगल स्थापत्य कला का उत्कृष्ट नमूना है। करीब 67 एकड़ क्षेत्रफल में बने खुसरोबाग के चारों तरफ लाल पत्थर की ऊंची दीवारें हैं जहां मुगल बादशाह जहांगीर के बड़े बेटे शहजादा खुसरो और बेटी सुल्तान निसार बेगम व खुसरो की मां शाह बेगम का मकबरा है। यहां कई एकड़ में अमरूद व आम के बाग भी हैं। जिसमें इलाहाबादी अमरूद की सुर्खा और सफेदा का स्वाद लेने लोग आते हैं। खास बात है कि कंपनी बाग के बाद यह बाग सुबह-शाम की सैर करने वालों का सबसे पसंदीदा स्थल बना हुआ है।
विजयनगरम हॉल की खूबसूरती में लगा चार चांद
इविवि का विजयनगरम हॉल अपनी नक्काशी और खूबसूरती की वजह से शहर की शान में चार चांद लगा रहा है। लाल सुर्ख पत्थरों से हॉल बना हुआ है तो नीले रंग की टाइल्स इसकी खूबसूरती को और निखार रही है। पूरे हॉल में झूमर झालर और लाइट दूर से ही लोगों को आकर्षित करती रहती है।
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