बोले रायबरेली: कौशल विकास
Raebareli News - कौशल विकास प्रशिक्षण के बाद स्थाई रोजगार की दरकार रायबरेली, संवाददाता। उत्तर प्रदेश
कौशल विकास प्रशिक्षण के बाद स्थाई रोजगार की दरकार रायबरेली, संवाददाता। उत्तर प्रदेश कौशल विकास मिशन द्वारा 15 से 35 आयु वर्ग के लोगों को प्रशिक्षण देकर उन्हें रोजगार के लिए तैयार किया जाता है। इसके तहत युवाओं को कंप्यूटर, संवाद कौशल और अन्य कोर्सेज के माध्यम से युवाओं के कौशल को निखारा जाता है। फिर उन्हें जीविकोपार्जन के लिए तैयार करना सरकार का लक्ष्य है। जिले में वर्तमान में सात सेंटर क्रियाशील हैं। इसमें 1006 युवा प्रशिक्षण ले रहे हैं। कौशल विकास विभाग का जिले में कोई भवन नहीं है। किराए के भवनों में यह संचालित हो रहे हैं। रोजगार मेले, सेवायोजन कार्यालय, केंद्र पर प्लेसमेंट के माध्यम से रोजगार तो दिलाया जाता है, लेकिन अधिकांश युवाओं को उनके मन मुताबिक रोजगार न मिलने से वह बीच में ही नौकरी छोड़ देते हैं।
इसके लिए कोई स्थाई व्यवस्था नहीं है। कम वेतन शहर से दूर नौकरी करनी पड़ रही है। इसलिए युवा इससे दूर हो रहे हैं। सरकार प्रयास तो कर रही है, लेकिन उसके प्रयास नाकाफी साबित हो रहे हैं। ---------- कौशल विकास मिशन के तहत जिले के 15 से 35 वर्ष आयु वर्ग के लोगों को प्रशिक्षित कर उनके कौशल का विकास कर उन्हें रोजगार के लिए तैयार किया जाता है। लेकिन, प्रशिक्षण का पर्याप्त लाभ युवाओं को नहीं मिल पा रहा है। उन्हें मन मुताबिक रोजगार नहीं मिल पा रहा है। अगर रोजगार मिलता है तो वह बहुत दिन नहीं रहता है। फिर वह बेरोजगार हो जाते हैं। युवाओं का कहना है कि ऐसा माहौल तैयार हो, जिससे प्रशिक्षण के बाद स्थायी रोजगार मिल सके। आपके अपने हिन्दुस्तान अखबार ने प्रशिक्षण ले रहे इन युवाओं से बात की तो उन्होंने अपनी बात रखी। युवाओं ने बताया कि उत्तर प्रदेश कौशल विकास मिशन के माध्यम से राज्य के लोगों को रोजगार के लिए प्रासंगिक व गुणवत्तापूर्ण कौशल विकास का मौका प्रदान कर रही है। इसके बावजूद हम युवाओं को मन मुताबिक रोजगार नहीं मिल पा रहा है। मिलता भी है तो वह घर से दूर मिलता है इससे दिक्कत होती है। यूं तो यह योजना कई वर्षों से चल रही है। इसके लिए उत्तर प्रदेश कौशल विकास मिशन वर्ष 2013 से कार्यरत है। इसके बाद दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल विकास और प्रधान मंत्री कौशल विकास योजना वर्ष 2015 से चल रही है। इस तरह तीन प्रकार के कौशल विकास से जुड़ी गतिविधियां चल रही हैं। लगभग 10वर्षों की अवधि में कौशल विकास मिशन में रोजगार परकता को ध्यान में रखते हुए कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। कुशल युवा कार्यक्रम के तहत युवाओं को रोजगारपरक बनाने के उद्देश्य से कौशल प्रशिक्षण को सरकार ने निर्धारित तो किया है, लेकिन इसका लाभ युवाओं को कम मिल पा रहा है। इस लक्ष्य को राज्य के कई विभागों के बीच बांटा गया है। यह कुशल युवा कार्यक्रम की एक अनूठी पहल की है। इसका निजी भवन न होने से लोगों को दिक्कत होती है। वैसे इस कार्यक्रम के माध्यम से 15 से 35 वर्ष के दसवीं और 12वीं उत्तीर्ण युवाओं को रोजगारपरक बनाया जा रहा है। इसमें लोगों को उम्र और बढ़ाई जाए, जिससे और लोगों को इसका लाभ मिल सकता है। इस योजना के माध्यम से युवाओं को कंप्यूटर, व्यवहार कौशल एवं संवाद कौशल आदि में परिपक्व बनाने के लिए किया जा रहा है। इन प्रशिक्षण कार्यक्रमो की अवधि 300 से 1500 घंटे तक है। इस अवधि का कौशल का प्रशिक्षण इन युवाओं को दिया जाता है। यह प्रशिक्षण कार्यक्रम वर्तमान में सात स्थानों पर संचालित हैं। जिनमें उत्तर प्रदेश कौशल विकास मिशन के चार,दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल विकास का एक और प्रधानमंत्री कौशल विकास मिशन के दो केन्द्र हैं। इनमें 1006 युवा प्रशिक्षण ले रहे हैं। इसके अतिरिक्त जिले में कई गैर सरकारी पार्टनर के द्वारा अन्य स्थानों पर टारगेट आने पर इन प्रशिक्षण केंद्रों की स्थापना की जाती है। भविष्य में इस योजना का लाभ अन्य छात्रों भी मिल सकेगा। कौशल विकास मिशन के द्वारा राज्य सरकार के कई विभागों की सहमति से एक मानक दर तथा एक मानक पाठ्यक्रम निर्धारित किया गया है। विभिन्न विभागों के द्वारा संचालित किए जाने वाले कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रम के मानकी करण हेतु कौशल विकास मिशन में इस समय 10 पाठ्यक्रमों को चयनित किया गया है। इसमें पाठ्यक्रमों को बढ़ाने की जरूरत है। अभी इस में पांच विभाग कार्य कर रहे है इसमें और विभागों को भी जोड़ा जाना चाहिए। इससे और लोग इसमें जुड़ेंगे। इसके लिए सरकार स्तर और स्थानीय स्तर पर भी प्रयास किए जाने चाहिए। --------- शिकायतें -प्रशिक्षण के लिए कोई स्थाई सेंटर नहीं हैं। अस्थाई केंद्रों पर ही प्रशिक्षण हो रहा है। -अधिकांशतया: प्लेसमेंट के लिए रोजगार मेले का इंतजार करना पड़ता है। -प्रशिक्षण के लिए कम समय मिलता है। पर्याप्त प्रशिक्षण के बंदोबस्त नहीं हैं। -35 वर्ष से अधिक आयु के लोगों को कौशल विकास का मौका नहीं दिया जाता है। -कौशल विकास विभाग का अपना कोई निजी भवन नहीं है। किराए पर ही इसका संचालन हो रहा है। --- सुझाव -समान्य के बच्चों के लिए उम्र सीमा बढ़ाकर कम से कम 40 वर्ष होनी चाहिए। -जिले में कौशल विकास विभाग का निजी भवन बनाया जाना चाहिए। -तीन माह की जगह कम से कम 6 माह का प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए। -प्रशिक्षण के दौरान ही प्लेसमेंट केंद्र से ही मिले, रोजगार मेले के इंतजार नहीं करना पड़े। -प्रशिक्षण के लिए स्थाई सेंटर बनाए जाने चाहिए हैं। जिससे सभी को राहत मिल सकेगी। ---------- नंबर गेम 07 सेंटर वर्तमान जिले में चल रहे हैं 10204 युवा तीन वर्षों में प्रशिक्षण ले चुके हैं 5000 के करीब युवा प्रशिक्षण के बाद जॉब कर रहे हैं ---------- देश छह प्रमुख केंद्रों में एक रायबरेली में भी रायबरेली। पूरे भारत में प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के तहत छह कौशल विकास प्रशिक्षण केंद्र खुले हैं। जिसमें एक जिले के आईटीआई परिसर में चल रहा है। प्रधानाचार्य योगेंद्र मिश्र ने बताया कि यहां पांच ट्रेड में प्रशिक्षण चल रहा है। जिसमें इस समय 150 बच्चे कौशल सीख रहे हैं। यह केंद्र 2017 से संचालित है। यहां आवासीय केंद्र है। यहां बच्चों को रहना, खाना, कापी, किताब, ड्रेस आदि नि:शुल्क दी जाती है। यहां प्रशिक्षण ले रहे युवाओं को रोजगार की सौ प्रतिशत गारंटी दी जाती है। लगभग सभी युवाओं को केंद्र पर ही कंपनियों को बुलाकर प्लेसमेंट दिलाया जाता है। केंद्र के प्रधानाचार्य योगेंद्र मिश्र ने बताया कि यहां 510बच्चे प्रशिक्षण ले सकते हैं। सभी बच्चे दसवीं या इंटर के बाद यहां आ कर टेस्ट देकर एडमिशन ले सकते हैं। यहां अधिकांशतया 18 से 28 वर्ष तक के युवाओं का ही चयन किया जाता है। जो युवा प्रशिक्षण के बाद रोजगार करना चाहते हैं उनके रोजगार की व्यवस्था के लिए ऋण दिलाने में भी यहां से मदद की जाती है। अब तक यहां से 2322 युवा प्रशिक्षण ले चुके हैं। यह केंद्र जिले के अलावा अहमदाबाद, कोच्चि, विशाखापत्तनम, गोवाहाटी, भुवनेश्वर में संचालित हैं। हर साल एक हजार से अधिक युवाओं को मिलता है प्रशिक्षण जिले में संचालित कौशल विकास केंद्र के जरिए लगभग एक हजार से अधिक युवाओं को हर साल कौशल विकास का प्रशिक्षण एक साल में दिया जाता है।सभी कौशल विकास केंद्र एक साल में चार बैच में बच्चों को प्रशिक्षण देते है। फिलहाल जिले के सात कौशल विकास केंद्रों पर लगभग एक हजार से ऊपर बच्चों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। कई जगह पर निजी कंपनियां में इनका प्लेसमेंट किया जाता है। जितने को प्रशिक्षण दिया जाता है सभी का प्लेसमेंट नहीं होता। बहुत से छात्र प्रशिक्षण लेने के बाद भी घर पर बैठे रहते हैं। जिससे यह प्रशिक्षण अपने मूलभूत उद्देश्यों से पीछे हो जाता है। एक तरफ जहां पॉलिटेक्निक कॉलेज या अन्य महाविद्यालय में 4 साल की डिग्री व 3 साल में डिप्लोमा का कोर्स छात्रो को कराते हैं। वहीं यहां इन्हें 3 महीने का कोर्स कराया जाता है। इतने कम समय में बच्चे क्या सीख पाएंगे, सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है। उन्हें कंप्यूटर की बेसिक जानकारी व संवाद कौशल का प्रशिक्षण तो मिल जाता है मगर वे कुछ अधिक कर नहीं पाते। समय बढ़े तो छात्रों को मिल सकता है बेहतर प्रशिक्षण रायबरेली। प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे छात्रों का कहना है कि तीन महीने में बहुत सारी बातें नहीं सीख पाते। इससे उनका ज्ञान अधूरा रह जाता है। वैसे में उन्हें कहीं नौकरी मिलने में भी दिक्कत हो सकती है। सरकार को प्रशिक्षण की अवधि बढ़ाकर कम से कम एक साल करनी चाहिए ताकि बच्चे बेहतर तरीके से कंप्यूटर की शिक्षा व संवाद का प्रशिक्षण ले सके और अन्य प्रशिक्षण लें तो उन्हें कहीं भी नौकरी लेने में कठिनाई न हो। साथ ही हर केंद्र स्तर में उनका प्लेसमेंट हो तो और बेहतर रहेगा। प्रशिक्षण के दौरान आने वाली कंपनियां उनके कौशल को देख कर ही उनका प्लेसमेंट करती हैं। बैंक से लोन की प्रक्रिया भी जटिल है। जिसे कौशल विकास से प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले छात्र को ना ही तो बेहतर शिक्षा मिल पाती है और नहीं बेहतर रोजगार। अगर स्कूलों में ही मिलती कंप्यूटर शिक्षा तो और होता बेहतर रायबरेली। कौशल विकास से जुड़े छात्रों का कहना था कि स्कूलों में स्मार्ट क्लास व कंप्यूटर शिक्षा के लिए लैब तो बनाए गए, लेकिन वहां कंप्यूटर की पढ़ाई नहीं होती। शिक्षकों की कमी के कारण उन्हें कंप्यूटर की बेसिक शिक्षा स्कूल में नहीं मिल पाई। अगर स्कूलों में कंप्यूटर की बेसिक जानकारी मिलती तो उन्हें इस प्रशिक्षण में और आसानी होती। साथ ही आर्थिक सहायता मिले तो वे लोग लैपटॉप या कंप्यूटर खरीद कर प्रशिक्षण समाप्त होने के बाद घर पर ही अभ्यास कर सकते हैं। सरकारी सहायता मिलने की बात तो होती है लेकिन मदद नहीं मिलने के कारण प्रशिक्षण लेने वाले बच्चों को काफी परेशानी होती है। हमारी भी सुनिए पहले से तीसरे माह की जगह कम से कम 6 माह का प्रशिक्षण दिया जाए। प्रशिक्षण के बाद उनका रोजगार सुनिश्चित हो इसका प्रयास होना चाहिए। रोजगार मिलने पर ही सार्थक प्रयास हो पाएगा। इससे स्वावलंबी बनने में सहायता मिलने लगेगी। अर्चना पाल ------- बच्चों को शिक्षा का मौलिक अधिकार का दर्जा मिला है वैसे ही प्रशिक्षण लेने वालों के लिए रोजगार सुनिश्चित हो इस पर सरकार को सोचना चाहिए। इसके लिए जिला स्तर और स्थानीय स्तर से भी अधिक प्रयास किए जाने चाहिए जिससे इसकी ओर लोगों का रुझान हो सके। नेहा यादव -------- कौशल विकास में लड़कियों के लिए अलग केंद्र खुलने चाहिए।उन्हें भी अपनी बातें रखने, रोजगार करने का अधिकार है। उन्हें भी समाज में बराबरी का हक मिलना चाहिए। छात्राओं को भी इस कौशल विकास में बराबर का दर्जा मिलना चाहिए ताकि गांव की लड़कियां सबला बन सकें। शालिनी --------- छात्रों के लिए रोजगार मेला लगाया जाता है। बच्चों का प्लेसमेंट जल्द व बेहतर हो इसकी व्यवस्था सभी केंद्र पर ही होनी चाहिए। इससे सभी लोग इस योजना से जुड़ेंगे और अधिक से अधिक लोगों को इसका लाभ मिलेगा। इस तरह रोजगार बढ़ेगा। शिवानी पाल ------- समाज के अंतिम पायदान पर रहने वाले को प्रशिक्षण देना ठीक है। इनके आर्थिक उत्थान के लिए योजना धरातल पर उतरनी चाहिए। सरकार को आर्थिक व समाजिक उत्थान के लिए ठोस कदम उठाना चाहिए। इस विषय में ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है। रागनी -------- प्रशिक्षण के बाद आगे रोजगार के लिए बैंकों से लोन मिलने की बात कही जाती है,लेकिन सभी को ऋण नहीं मिल पाता है और यह योजना फाइलों में दब जाती है। प्रशिक्षण लेने वालों को सौ प्रतिशत ऋण की उपलब्धता होनी चाहिए इससे प्रशिक्षण लेने वालों को अधिक लाभ मिल सकता है। प्रीती --------- प्रशिक्षण के बाद रोजगार देने की योजना है केवल सरकारी घोषणा से काम नही चलता सरकार को देखना चाहिए कि प्रशिक्षण के बाद रोजगार मिला या नहीं। इसकी निगरानी की व्यवस्था होनी चाहिए।इससे और अधिक लोग इस योजना से जुड़ेंगे। आरती वर्मा -------- किसी भी कौशल विकास केंद्र से प्रशिक्षण के बाद रोजगार के लिए भटकना पड़ता है प्रशिक्षण वाले केन्द्रों पर सौ प्रतिशत प्लेसमेंट की सुविधा मिले तो प्रशिक्षण लेने वाले बच्चों के लिए और अच्छी बात होगी। इससे इन सभी केंद्रों पर हर ट्रेड के पर्याप्त बच्चे आएंगे। प्रिंशी यादव ------------ प्रशिक्षण तीन माह की जगह 6 माह का होना चाहिए। प्रशिक्षण के दौरान अन्य दूसरे कोर्सों को भी करने के लिए अवसर दिए जाने चाहिए। इससे अधिक फायदा मिलेगा और रोजगार को पाने का युवाओं का सपना पूरा हो सकेगा। इसे प्राथमिकता सूची में रखना चाहिए। नितेश कुमार -------- प्रशिक्षण के लिए बहुत कम समय मिलता है। प्रशिक्षण की अवधि बढ़ाई जानी चाहिए ताकि और बेहतर प्रशिक्षण मिल सके। इससे युवाओं को शिक्षा ग्रहण करने में गुणवत्ता आ सकेगी। इस पर विचार करने की आवश्यकता है। जिससे अधिक बच्चे इससे जुड़ेंगे। शिवेन्द्र सिंह -------- बहुत सी सरकारी योजना बेअसर साबित हो रही है। इस कारण बच्चों को रोजगार नहीं मिल रहा है। युवक दर-दर भटकने को मजबूर हैं। युवाओं को अगर कंप्यूटर की शिक्षा पाने के बाद अगर स्थानीय स्तर पर ही कुछ काम दिया जाएगा तो ठीक रहेगा। इस पर विचार किया जाना चाहिए। दिवाकर वर्मा -------- अब भी बहुत से परिवार हासिए पर है। सरकारी योजनाओ के होने के बाद भी उन्हें प्रताड़ना का शिकार भी होना पड़ रहा है। इसलिए सरकार को ऐसे लोगों के विकास की योजना को धरातल पर लाने की जरूरत है। इससे लोगों को राहत मिलेगी। शुभम -------- प्रशिक्षण पाने वाले को भी सरकारी नौकरी के लिए जगह आरक्षित हो। तभी समाज के लोगों की तरक्की होगी। प्रशिक्षण के लिए लोग जागरूक होंगे। इसका लाभ प्रशिक्षण लेने वाले सभी युवाओं को सरकारी नौकरियों में मिलना चाहिए। इससे सबको अधिक फायदा मिलेगा। ताराचंद --------- प्रशिक्षण लेने वाले छात्रों को जीविका समूह से जोड़कर रोजगार के अवसर दिया जा सकता है। इनको भी बेरोजगारी भता मिलना चाहिए। तभी समाज के लोगों का भला हो सकता है। इससे सभी लोगों को राहत मिलेगी। आंचल वर्मा
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