Raza Library A Heritage of Harmony and Knowledge in Rampur समरसता का अनूठा संदेश देती है रामपुर की धरोहर रजा लाइब्रेरी, Rampur Hindi News - Hindustan
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समरसता का अनूठा संदेश देती है रामपुर की धरोहर रजा लाइब्रेरी

Rampur News - रामपुर की रजा लाइब्रेरी समरसता और भाईचारे का प्रतीक है। यह एशिया की सबसे बड़ी लाइब्रेरी है, जिसमें दुर्लभ पांडुलिपियाँ और ऐतिहासिक दस्तावेज हैं। नवाब हामिद अली खां द्वारा निर्मित, इस लाइब्रेरी का...

Newswrap हिन्दुस्तान, रामपुरFri, 18 April 2025 03:36 AM
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समरसता का अनूठा संदेश देती है रामपुर की धरोहर रजा लाइब्रेरी

समरसता, सौहार्द, भाईचारा, गंगा-जमुनी तहजीब...ये महज शब्द नहीं बल्कि, हमारी विरासत हैं। जिसका उदाहरण है रामपुर की रजा लाइब्रेरी। रामपुर ही नहीं देश की धरोहर मानी जाने वाली यह लाइब्रेरी समरसता का अनूठा संदेश देती है। यही वजह है कि इस भवन को यूनेस्को की हेरिटेज बिल्डिंग के रूप में सहेजने की कवायद चल रही है। रजा लाइब्रेरी एशिया की सबसे बड़ी लाइब्रेरी है। यहां पर दुर्लभ पांडुलिपियां, ऐतिहासिक दस्तावेज, इस्लामी सुलेख के नमूने, लघु चित्र, खगोलीय उपकरण और अरबी और फारसी भाषा में दुर्लभ सचित्र कार्य का बहुत दुर्लभ और मूल्यवान संग्रह संरक्षित हैं। लाइब्रेरी में संस्कृत, हिंदी, उर्दू, पश्तो अन्य महत्वपूर्ण पुस्तकें दस्तावेजों के अलावा इस्लामी धर्म ग्रंथ कुरान ए पाक के पहले अनुवाद की मूल पांडुलिपि मौजूद है। ऐसा बेशकीमती ज्ञान का खजाना किला परिसर स्थित हामिद मंजिल में है। जो, आज भी साम्प्रदायिक सौहार्द का संदेश देती है।

रजा लाइब्रेरी के निर्माण के साथ ही इसके दोनों ओर स्तम्भ में हिन्दू, मुस्लिम, सिख और इसाई धर्मों के पूजा स्थलों की आकृति का निर्माण कराया गया था। इसमें सबसे ऊपर मंदिर फिर गुरूद्वारा इसके बाद गिरजाघर और नीचे मस्जिद की आकृति है। गौर से देखने पर यह आकृतियां स्पष्ट होती हैं। लाइब्रेरी में दुनिया भर की मशहूर कुरान मजीद की पांडुलिपियां हैं तो वाल्मीकि रामायण की प्रतिलिपि के हिन्दी-फारसी संस्करण मौजूद हैं। यहां अन्य धर्मों तथा वर्णों की पुस्तकें भी हैं। जहां सभी धर्म एवं जाति के लोग एक साथ बैठकर बिना भेदभाव के अध्ययन करतें हैं।

नवाब हामिद अली खां ने बनवाया था भवन

सौहार्द की मिशाल पेश करती इस बिल्डिंग का निर्माण रामपुर के नवाब हामिद अली खां ने करवाया था। उनके नाम पर ही इस बिल्डिंग का नाम हामिद मंजिल है। नवाब हामिद अली खां ने निर्माण के दौरान ही सर्वधर्म संभाव की मंशा को साफ जाहिर कर दिया था। लिहाजा, उनकी इच्छा के अनुरूप ही भवन के स्तंभों को आकृति दी गई।

डब्ल्यूसी राइट की देखरेख में हुआ निर्माण

यह बिल्डिंग इंडो-इस्लामिक स्थापत्य कला का अद्वितीय उदाहरण है। लाइब्रेरी की बिल्डिंग हामिद मंजिल का निर्माण ब्रिटिश इंजीनियर डब्ल्यूसी राइट की देखरेख में हुआ था। ऐतिहासिक महत्व के चलते रजा लाइब्रेरी की बिल्डिंग को यूनेस्को की हेरिटेज बिल्डिंग्स की सूची में शामिल करने की संस्तुति राज्यपाल से की जा चुकी है।

-रजा लाइब्रेरी की बिल्डिंग 1904 की बनी है। जिसको यूनेस्को की हेरिटेज बिल्डिंग्स की सूची में शामिल करने की सिफारिश राज्यपाल से की जा चुकी है। यह लाइब्रेरी सिर्फ रामपुर ही नहीं पूरे देश की धरोहर है।

-आन्जनेय कुमार सिंह, मंडलायुक्त मुरादाबाद

रजा लाइब्रेरी के दोनों ओर स्तम्भ में हिन्दू, मुस्लिम, सिख और इसाई धर्मों के पूजा स्थलों की आकृति का निर्माण कराया गया था। सबसे ऊपर मंदिर फिर गुरूद्वारा इसके बाद गिरजाघर और नीचे मस्जिद की आकृति है। रामपुर रज़ा लाइब्रेरी विश्वस्तरीय बहुभाषी और बहुसांस्कृतिक संस्था बनने के अपने स्वप्न को साकार कर रही है। इस दिशा में संस्था रामपुर किला की सम्पूर्ण भूमि को अधिग्रहित कर एक विश्वस्तरीय बहुसांस्कृतिक और बहुभाषी अनुसंधान एवं अनुवाद केंद्र की स्थापना करेगी, जिसमें सभी प्रमुख वैश्विक भाषाओं को सम्मिलित किया जाएगा।

-डा. पुष्कर मिश्र, निदेशक रामपुर रजा लाइब्रेरी

पोरबंदर, राजघाट के अलावा रामपुर की माटी में समाईं हैं बापू की अस्थियां

रामपुर। कितना गौरवशाली है अपना रामपुर। यहां की धरती, बापू की अस्थियों को भी अपनी गोद में समेटे हुए है। भारत में राजघाट और पोरबंदर के अलावा किसी शहर में गांधी समाधि है, तो वह अपना शहर रामपुर ही है। यहां के बाद कमोवेश हर शहर में गांधी प्रतिमाएं तो मिलेंगी, लेकिन गांधी समाधि नहीं। यह पर्यटन स्थल ही नहीं रामपुर की ऐसी विरासत है जिसे देखने के लिए दुनियाभर से लोग आते हैं।

फैक्ट फाइल

-आठ फरवरी 1948 को नवाब रजा अली खां स्पेशल ट्रेन से गए थे दिल्ली।

-11 फरवरी 1948 को बापू की अस्थियों का कलश लेकर लौटे थे रामपुर।

-12 फरवरी 1948 को शोक सभा के बाद कुछ अस्थियां कोसी की धारा में की गईं प्रवाहित।

-12 फरवरी 1948 को शाम छह बजे नवाब गेट के सामने अस्थि कलश जमीन में दबाया गया।

-1958 में गांधी समाधि को ईंट-पत्थरों से बनवाया गया। इसकी देखरेख की जिम्मेदारी पालिका को सौंपी गई।

-1976 में दोबारा निर्माण कराया गया, गांधी समाधि को विस्तार दिया गया।

-2003-04 में गांधी समाधि पर बापू की प्रतिमा स्थापित कराई गई।

-2005-06 में गांधी समाधि के भव्य लुक देते हुए कराया गया सौंदर्यीकरण।

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