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शिक्षा नहीं, व्यापार बनते निजी स्कूल, सख्ती का नहीं असर

Sambhal News - संभल में निजी स्कूलों द्वारा किताबों और यूनिफॉर्म के नाम पर अभिभावकों से खुली लूट की जा रही है। जिलाधिकारी की चेतावनी के बावजूद स्थिति नहीं सुधर रही है। एसडीएम ने अपनी बच्ची के नर्सरी में एडमिशन पर 19...

Newswrap हिन्दुस्तान, संभलSat, 12 April 2025 06:55 PM
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शिक्षा नहीं, व्यापार बनते निजी स्कूल, सख्ती का नहीं असर

संभल। शिक्षा के मंदिर अब बाजार में बदलते जा रहे हैं। जिले के निजी स्कूलों में किताबों और यूनिफॉर्म के नाम पर खुलेआम लूट जारी है। जिलाधिकारी डॉ. राजेन्द्र पैंसिया की स्पष्ट चेतावनी के बावजूद न तो स्कूल प्रबंधन पर कोई असर पड़ा है और न ही अभिभावकों को कोई राहत मिली है। स्थिति यह है कि स्कूलों ने किताब-कॉपी और ड्रेस के लिए पहले से ‘निर्धारित दुकानें तय कर रखी हैं, जहां से महंगी निजी प्रकाशन की किताबें जबरन बिकवाई जा रही हैं। कुछ स्कूल प्रबंधन को स्कूल परिसर के अंदर से खुलेआम कॉफी किताब व यूनीफार्म बेच रहे हैं। उन पर प्रशासन की सख्ती का कोई असर नहीं दिख रहा है। बता दें कि तीन दिन पूर्व डीएम डॉ. राजेन्द्र पैंसिया सीबीएसई व आईसीएसई के स्कूल प्रबंधकों व प्रधानाचार्यों के साथ बैठक की थी। जिसमें उन्होंने जिले को शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणी बनाने की बात कही थी। साथ ही उन्होंने कहा था कि कोई भी प्राइवेट विद्यालय किसी भी अभिभावक को एनसीईआरटी के अतिरिक्त निजी पब्लिकेशन की किताबें लेने के लिए बाध्य नहीं कर सकता। बिना जिला शुल्क नियामक समिति की अनुमति के बिना शुल्क की वृद्धि नहीं की जाएगी। इसके अलावा अपने विद्यालयों की सभी सूचनाएं ऑनलाइन करने के साथ-साथ विद्यालय के सूचना पट्ट पर भी प्रदर्शित करेंगे। शिकायत मिलने पर कार्रवाई करने की बात कही थी। दो दिन पूर्व डीआईओएस ने चंदौसी में कई बुक सेलर दुकानों पर छापेमारी कर इसका खुलासा कर सख्त चेतावनी भी दी लेकिन इसका असर होता नहीं दिख रहा है।

एसडीएम को थमाया नर्सरी कक्षा का 19 हजार रुपये का बिल

संभल। शहर में निजी स्कूलों की मनमानी चरम पर है। स्कूलों की मनमानी का एक उदाहरण सामने आया है। जब एक एसडीएम अपनी बच्ची का एडमिशन नर्सरी में कराने के लिए शहर के मोहल्ला आलम सराय स्थित एक निजी स्कूल पहुंची। जब बच्ची के नर्सरी में एडमिशन की प्रक्रिया पूरी की तो स्कूल प्रबंधन ने एसडीएम को 19 हजार रुपये का बिल थमा दिया। अब इसी बात से अंदाजा लगाया जा सकता है। जब एक अधिकारी के लिए नर्सरी में एडमिशन के नाम पर 19 हजार रूपये का बिल थमा दिया जाता है। तो आम आदमी का क्या हाल होगा।

डीएम के आदेश पर कमेटी बना दी गई है। जल्द स्कूलों व बुक सेलर पर छापेमारी अभियान चलाया जाएगा। एनसीईआरटी की किताबें ही निजी स्कूलों में लगवाई जाएंगी। निजी प्रकाशकों की किताबों को स्कूलों को अभिभावकों को वापस लेनी होगी। निजी स्कूलों की मनमानी के खिलाफ कई शिकायतें मिल रही हैं। इसमें कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

- डा. वंदना मिश्रा, एसडीएम, संभल

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