Fraud in MNREGA Scheme 43 617 Misappropriated in Sant Kabir Nagar प्रोजेक्ट को मंजूर करने वालों पर उठ रहे सवाल, Santkabir-nagar Hindi News - Hindustan
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प्रोजेक्ट को मंजूर करने वालों पर उठ रहे सवाल

Santkabir-nagar News - संतकबीरनगर में मनरेगा योजना के तहत बिना कार्य कराए ही 43,617 रुपए का भुगतान लेने का मामला सामने आया है। ग्राम प्रधान, पंचायत सचिव और तकनीकी सहायक दोषी पाए गए हैं, लेकिन बीडीओ और एपीओ को क्लीन चिट दी...

Newswrap हिन्दुस्तान, संतकबीरनगरSat, 19 April 2025 10:15 AM
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प्रोजेक्ट को मंजूर करने वालों पर उठ रहे सवाल

संतकबीरनगर, हिन्दुस्तान टीम। संतकबीरनगर जिले में बघौली ब्लॉक के ग्राम पंचायत बालूशासन में मनरेगा योजना के तहत मेड़बंदी का बिना कार्य कराए ही भुगतान लेने का मामला पिछले दिनों प्रकाश में आया। लाभार्थी ने खुद ही इसकी शिकायत किया। शिकायत की जांच उपायुक्त मनरेगा डॉ. प्रभात कुमाद द्विवेदी ने किया। स्थलीय सत्यापन, अभिलेखों की जांच और लाभार्थी के बयान के आधार पर 43,617 रुपए के गबन की पुष्टि हुई। जांच अधिकारी ने इस गबन के लिए ग्राम प्रधान, पंचायत सचिव और तकनीकी सहायक को दोषी पाया। उनकी रिपोर्ट पर जिलाधिकारी ने कार्रवाई के आदेश दे दिए हैं। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि इस प्रोजेक्ट को स्वीकृति देने वाले बीडीओ, एपीओ और एकाउंटेंट को पूरी तरह से क्लीन चिट दे दी गई है। जो कई सवाल खड़े कर रहे हैं। क्योंकि पत्रावली को स्वीकृति देने वाले भी उतने ही जिम्मेदार हैं जितने प्रधान व सचिव।

मनरेगा योजना के पारदर्शी क्रियान्वयन के लिए धरातल से लेकर बड़े अधिकारियों की जिम्मेदारियां तय की गई हैं। ग्राम प्रधान, पंचायत सचिव, तकनीकी सहायक और रोजगार सेवक पर मनरेगा को धरातल पर उतारने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। वहीं इस योजना को पारदर्शी ढंग से संपादित कराने के लिए पर्यवेक्षणीय अधिकारी भी तैनात किए गए हैं। व्यक्तिगत लाभार्थी योजना के तहत होने वाली परियोजनाओं में लाभार्थी का सहमति पत्र आवश्यक माना जाता है। सवाल यह है कि बालूशासन में जब मेड़बंदी की पत्रावली प्रशासनिक और वित्तीय स्वीकृति के लिए कार्यक्रम अधिकारी के पास पहुंची तो बिना लाभार्थी के सहमति पत्र के उन्होंने स्वीकृति क्यों दी? अगर पंचायत स्तर के जिम्मेदारों की मंशा सरकारी धन के बंदरबांट की थी तो तत्कालीन बीडीओ और एपीओ ने अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन क्यों नहीं किया? सवाल यह है भी है कि सरकारी धन के गबन में अगर ग्राम प्रधान, पंचायत सचिव और तकनीकी सहायक दोषी हैं तो अधूरी पत्रावली को वित्तीय एवं प्रशासनिक स्वीकृति देने वाले अधिकारी क्यों दोषी नहीं हैं।

ये था मामला :

विकास खंड बघौली के ग्राम पंचायत बालूशासन के रहने वाले राम प्रकाश राय पुत्र स्वर्गीय जगदंबा राय ने 25 मार्च 2025 को आईजीआरएस के माध्यम से और शपथ पत्र के साथ शिकायती पत्र देकर शिकायत की। मनरेगा योजना से वित्तीय वर्ष 2020-21 में ग्राम पंचायत बालूशासन में रामचंद्र राय राम प्रकाश राय के खेत का मेड़बंदी कार्य पर 43,617 रुपये का भुगतान हुआ है। उक्त परियोजना उनके खेत की है। ग्राम प्रधान और सरकारी लोक सेवकगणों ने मिलीभगत करके सरकारी धन के बंदरबांट की नीयत से बिना कार्य कराए ही बिना उनकी सहमित के ही उक्त परियोजना को स्वीकृत करके भुगतान लिया गया है। डीएम महेंद्र सिंह तंवर ने प्रकरण को गंभीरता से लेते हुए सीडीओ को जांच कराए जाने का निर्देश दिया। सीडीओ ने प्रकरण की जांच डीसी मनरेगा डॉक्टर प्रभात द्विवेदी को सौंपी। जांच अधिकारी ने प्रकरण की जांच कर एक अप्रैल 2025 को जांच आंख्या प्रेषित की। जांच आख्या के अनुसार खंड विकास अधिकारी, कार्यक्रम अधिकारी बघौली के जरिए उक्त परियोजना पर निर्गत वित्तीय, प्रशासनिक स्वीकृति के छाया प्रति पर कोई भी पत्रांक संख्या एवं दिनांक अंकित नहीं है। मेड़बंदी कार्य व्यक्तिगत लाभार्थी परक कार्य है, लेकिन पत्रावली में लाभार्थी रामचंद्र राय एवं राम प्रकाश राय के द्वारा अपने खेत की मेड़बंदी कार्य कराए जाने के आशय का कोई भी मांगपत्र अथवा सहमति पत्र संलग्न नहीं है। जिलाधिकारी महेन्द्र सिंह तंवर ने कहा कि प्रथम दृष्ट्या दोषी पाए गए प्रधान, सचिव और तकनीकि सहायक के विरुद्ध कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं। इस मामले की जांच और गहनता से कराई जाएगी। यदि अन्य अधिकारियों की भी इसमें संलिप्तता साबित हुई तो उनके विरुद्ध भी कार्रवाई होगी। विकास कार्यों में अनियमितता बर्दाश्त नहीं है।

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