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धन के अभाव में दम तोड़ रही मनरेगा

Santkabir-nagar News - संतकबीरनगर में मनरेगा योजना धन के अभाव में ठप हो गई है। तीन महीने से जिले को एक रुपया नहीं मिला है, जिससे मजदूरों और कर्मचारियों को भुगतान नहीं हो पाया है। कई मजदूर रोजगार की तलाश में शहर की ओर जा रहे...

Newswrap हिन्दुस्तान, संतकबीरनगरThu, 10 April 2025 12:13 PM
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धन के अभाव में दम तोड़ रही मनरेगा

संतकबीरनगर, हिन्दुस्तान टीम। संतकबीरनगर जिले में मनरेगा योजना धन के अभाव में दम तोड़ती नजर आ रही है। पिछले तीन महीने से इस योजना के तहत जिले को एक भी रुपया प्राप्त नहीं हुआ है। सामग्री मद का बकाया तो काफी समय से चल रहा था, वर्तमान समय में मजदूरी के लिए भी धन नहीं मिल पाया है। जो मजदूर काम किए हैं वे महीनों से मजदूरी का इंतजार कर रहे हैं। धन न मिलने के कारण मनरेगा योजना के क्रियान्वयन के लिए नियुक्त कर्मचारियों को भी तीन महीने से मानदेय नहीं मिला है। होली सहित कई त्योहार बीत गए लेकिन किसी को एक रुपए नहीं मिले। कार्य कराकर ग्राम प्रधान भी फंसे हुए हैं। उनके घर हर रोज मजदूर चक्कर लगा रहे हैं। कई प्रधानों ने तो अपने पास से मजदूरी दे भी दी है। अब सभी को शासन से धन मिलने का इंतजार है।

मनरेगा योजना के तहत जनपद में अब तक कुल 20 हजार 99 एफटीओ जनरेट हो चुके हैं। इन एफटीओ पर मजदूरों की मजदूरी मद में कुल 1 अरब 55 करोड़ 34 लाख 91 हजार 33 रुपए का भुगतान होना था। इसमें से पूर्व में एक अरब 17 करोड़, 23 लाख 38 हजार 901 रुपए का भुगतान हो चुका है। अभी 38 करोड़ 11 लाख 52 हजार 132 रुपए भुगतान के लिए शेष है। जनवरी महीने से ही मनरेगा योजना के तहत जिले को एक रुपया प्राप्त नहीं हुआ है। इस कारण मनरेगा श्रमिकों की होली भी फीकी रही और ईद पर भी उन्हें धन नहीं मिल सका। कई मजदूर ऐसे हैं जिनकी महीने भर की मजदूरी बाकी है। धन न मिलने के कारण वे मनरेगा का कार्य छोड़ रोजगार की तलाश में शहर की ओर निकल दिए हैं। वहीं ग्राम प्रधान भी इसको लेकर काफी परेशान हैं। क्योंकि मजदूर नियमित उनके घर पर डेरा डाले हुए हैं।

मनरेगा कार्मिकों को नहीं मिले तीन महीने से मानदेय

मनरेगा योजना के तहत धन न मिलने की मार रोजगार सेवकों, कम्यूटर ऑपरेटरों, टीए और समन्वयकों पर भी पड़ी है। पिछले तीन महीने से किसी को भी मानदेय नहीं मिला है। मानदेय न मिलने के कारण इनके सामने भी संकट खड़ा हो गया है। नियमित ड्यूटी करने के बाद भी मानदेय न मिलने से परिवार का खर्च चलाना कठिन हो गया है। रोजगार सेवकों के सामने सबसे अधिक समस्या है। उन्हे 10 हजार रुपए मानदेय हर महीने मिलता है। उसी में किसी तरह वे अपने परिवार का खर्च चलाते हैं, लेकिन तीन महीने से वह भी नहीं मिला है। उपायुक्त श्रम रोजगार डॉ. प्रभात कुमार द्विवेदी ने बाताया कि धन न होने के कारण मजदूरी भुगतान नहीं हो सका है। जल्द ही शासन से धन मिलने की संभावना है। जैसे ही धन प्राप्त होगा, सभी का भुगतान हो जाएगा। जनपद में मनरेगा योजना के तहत नियमित कार्य चल रहे हैं।

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