तेलंगाना की तर्ज पर चमकाएंगे गांव व ब्लाक
Santkabir-nagar News - संतकबीरनगर जिले के प्रधान ने तेलंगाना में पांच दिवसीय एक्सपोजर विजिट के दौरान गांवों के विकास कार्यों का अवलोकन किया। उन्होंने वहां नवीनतम तकनीक, हाईटेक पंचायत सचिवालय, और स्थानीय कर वसूलने की...
संतकबीरनगर, हिन्दुस्तान टीम। संतकबीरनगर जिले के सेमरियावां ब्लाक के सेहुड़ा के प्रधान तेलंगाना राज्य के पांच दिवसीय एक्सपोजर विजिट से गांव लौट आए। तेलंगाना के एक दर्जन गांव के विकास कार्यों से रूबरू हुए। नवीन तकनीक सीखने का अवसर मिला। गांवों का विकास कार्य काफी शानदार दिखा। आस पास के प्रधानों से विकास कार्य के मॉडल को साझा किया।
ग्राम प्रधान अफजाल अहमद ने हिन्दुस्तान अखबार से बातचीत करते हुए कहा कि पांच दिवसीय एक्सपोजर विजिट में तेलंगाना की महिला मित्र ग्राम पंचायत चिन्ना मंडला, कार्बन न्यूट्रल ग्राम पंचायत कान्हा, नसरुल्लहाबाद मंडल के अंकोल कैंपस के विशेष पंचायत पुरस्कार से सम्मानित ग्राम पंचायत उरजा, सामाजिक सुरक्षा के दृश्य से शानदार ग्राम पंचायत रयथू, गांव की सबसे अच्छी प्रथाओं में प्रसिद्ध ग्राम पंचायत अंकपुर का विजिट किया गया। असीफाबाद की ग्राम पंचायत कुमुराम भीम जय नूर मंडल बहुत कुछ सीखने को मिला। सुरक्षा के लिए गांव में सीसीटीवी कैमरे लगे हैं। ग्राम पंचायत खुद काम कर पैसा कमाकर विकास कार्य कराती हैं। यहां घरों से जो कूड़ा निकलता है, वह गंदगी की वजह नहीं बनता बल्कि खाद बनाने के काम आता है। खाद को सब्जी व फूल के खेती में उपयोग किया जाता है।
ग्राम पंचायतों के सचिवालय हैं हाईटेक
तेलंगाना के सभी पंचायत सचिवालय हाईटेक हैं। बिल्डिंग काफी शानदार है। पंचायत के सभी सदस्य नियमित उपस्थित होकर बैठक करते हैं। समितियां पूरी निष्ठा के साथ अपनी जिम्मेदारी निभाती हैं। ग्राम प्रधान व पंचायत सचिव कार्यों की देख रेख करते हैं।
ग्राम पंचायतें वसूलती हैं कर
ग्राम पंचायत अपना खर्चा निकालने के लिए कर वसूलती हैं। ग्रामीण कर की चोरी नहीं करते हैं। गांव में किसी भूमि का बैनामा होने पर उस बैनामे का 25 प्रतिशत अंश ग्राम पंचायत के खाते में जाता है। हाउस टैक्स, इनक्म टैक्स के अलावा कई अन्य टैक्स वसूलती है। इस आय से ग्राम पंचायत गांव में विकास योजनाओं को परवान चढ़ाती है।
सब्जी की खेती कर गांव की होती है कमाई
एनआरएलएम से जुड़ी महिलाएं गांव की सर्वाजनिक भूमि पर सब्जी, फूल व पौधे की नर्सरी लगाती हैं। सब्जी गांव के मार्केट वाले झोले में डाल कर घर-घर पहुंचाती है। सब्जी में गांव की बनी खाद का ही उपयोग करती हैं। सब्जी, फूल व पौधे से होने वाली लाभ से गांव का कार्य होता है।
कनाडा से गांव की करते हैं मदद
ग्राम प्रधान ने ग्राम पंचायत उरजा विकास का माडल बताया। कहा यह कई पुरस्कार से सम्मानित ग्राम पंचायत है। उरजा में रोड का क्रमांक लिखा मिला। हर सड़क के नुक्कड़ पर डिजिटल बोर्ड लगा है। उस सड़क पर रहने वाले परिवार का पूरा विवरण लिखा रहता है। इस गांव बहुत सारे लोग कनाडा रहते हैं। कनाडा से गांव के विकास के लिए धन देते हैं। इस धन से गांव पंचायत शिक्षा, स्वास्थ्य व अन्य कार्य करते हैं। बहर से आने वाले धन को खर्च करने का अधिकार ग्राम पंचायत को ही है।
नाली में नहीं बहता घरों का कचरा
घरों से निकला गंदा पानी पहले सड़क पर बने टैंक में पहुंचता है। इसमें पानी के साथ आया कचरा एकत्रित होता है। टैंक से छनकर पानी की आगे नाली में निकासी होती है। एकत्रित हुए कूड़े से जैविक खाद बनाई जाती है।
सड़क बनते ही लगाते हैं पौधे
सीसी रोड बनी होने के कारण किसी गली में धूल नहीं उड़ती। नाली खड़ंजा व गलियां बनाने के साथ प्रत्येक घर के बाहर पांच-पांच पौधे लगाए जाते हैं। इनके रख रखाव की जिम्मेदारी गृह स्वामियों की रहती है।
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