अच्छी खबर: कस्तूरबा में गूजेंगे गीता के श्लोक, कराई जाएगी प्रतियोगिताएं
Shahjahnpur News - शाहजहांपुर में 16 कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालयों में गीता की ऑनलाइन कक्षाओं का शुभारंभ किया गया। डीएम धर्मेंद्र प्रताप सिंह ने छात्राओं को गीता के श्लोकों की जानकारी देने के लिए यह पहल की।...
शाहजहांपुर,संवाददाता। यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत। अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम् सहित अन्य गीता के श्लोकों की गूंज जनपद में संचालित 16 कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालयों में गूजेंगे। कस्तूरबा में अध्यनरत छात्राओं को स्कूली शिक्षा के साथ साथ धार्मिक व आध्यात्मिक विषयों की जानकारी से रुबरु कराने के लिए डीएम- सीडीओ द्वारा अच्छी पहल की गई है। बालिकाओं को श्रीमद्भागवत गीता के संदेश को आत्मसात करने के लिए डीएम धर्मेंद्र प्रताप सिंह ने ऑनलाइन कक्षाओं का शुभारंभ कलेक्ट्रेट सभागार से किया। विद्यालयों से छात्राओं व शिक्षकों ने सहभागिता की, अन्य विद्यालयों के छात्र-छात्राएं व शिक्षक वीसी माध्यम से कार्यक्रम से जुड़े। छात्राओं ने डीएम धर्मेंद्र प्रताप सिंह व सीडीओ डा.अपराजिता सिंह के समक्ष श्लोकों का उच्चारण किया, जिसे सुन डीएम ने सराहना की। अध्यापकों व छात्राओं से आग्रह किया कि वह पूरे मनोयोग से गीता प्रतियोगिता की तैयारी करें।
कस्तूरबा विद्यालयों में रोजाना शाम को चार बजे से एक घंटे की क्लास गीता पढ़ाने की दी जाएगी। एक महीने के बाद शिक्षको व छात्राओं की अलग अलग प्रतियोगिताएं भी कराई जाएगी। साथ ही राज्य संदर्भ समूह के सदस्यों द्वारा श्लोकों से संबंधित 200 शब्दों की एक शब्दावली तैयार की जाएगी। सीडीओ डा.अपराजिता सिंह, बीएसए दिव्या गुप्ता ने भी बच्चों को गीता के श्लोकों को पढ़ने को प्रेरित किया।
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विजेताओं को किया जाएगा पुरस्कृत:
गीता के श्लोकों को लेकर अध्यापकों व छात्राओं के लिए जो प्रतियोगिता कराई जाएगी, उसमें प्रथम, द्वितीय व तृतीय स्थान पाने वाले विजेताओं के पुरस्कार की घोषणा की गई है। प्रथम पुरस्कार 21,000 रुपये, द्वितीय पुरस्कार 15,000, तृतीय पुरस्कार 10,000 रुपये साथ ही 10 अन्य प्रतिभागियों को प्रोत्साहन स्वरूप 2,000 रुपये की धनराशि अथवा उपहार प्रदान किए जाएंगे।
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गीता उपदेशों को आत्मसात करने से बच्चों में संस्कारों की वृद्धि होगी: डीएम
डीएम ने कहा कि गीता केवल किसी एक धर्म की पुस्तक नहीं है, बल्कि संपूर्ण मानवता को जीवन जीने की एक उत्कृष्ट मार्गदर्शिकाए सदैव सत्य रहने वाले संदेशों का संग्रह है। इसके अध्ययन से व्यक्ति को आंतरिक शांति, स्थिरता एवं आत्मिक बल की प्राप्ति होती है। गीता उपदेशों को आत्मसात करने से बच्चों में संस्कारों की वृद्धि होगी तथा बच्चे परिवार के बीच में सामंजस्य बैठाना भी सीखेंगे। श्लोकों को रटवाने की बजाय उनके भावार्थ एवं सार को समझाते हुए शिक्षण कार्य किया जाए। जाएंगे। उन्होंने उम्मीद जताई कि प्रतियोगिता माध्यम से छात्राओं में भारतीय संस्कृति, नैतिक शिक्षा तथा आत्मिक जागरूकता को नई दिशा मिलेगी।
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