संतों के संगत से संस्कार का होता है जन्म
Siddhart-nagar News - चित्र परिचयवां नानकार में श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन कथावाचक ने भक्तों को कराया रसपान, संस्कारी बनने पर दिया जोर डुमरियागंज, हिन्दुस्तान संवाद। बढ़नीचाफ

डुमरियागंज, हिन्दुस्तान संवाद। बढ़नीचाफा कस्बे के बनगवां नानकार में चल रहे श्रीमद्भागवत कथा कार्यक्रम के तीसरे दिन गुरुवार की रात अयोध्या धाम से पधारे कथावाचक विजय राघव दास रामायणी ने भक्तों को रसपान कराया। उन्होंने कहा कि सत्संग से ही संस्कार का जन्म होता है, इसलिए हम अधिक से अधिक संत महात्माओं संग सत्संग करें और अपने बच्चों को भी सत्संग में लाने का प्रयास करें।
उन्होंने बताया कि सत्संग में संतो द्वारा बताई गई बातों से ही बच्चों के मन में अच्छे विचार पैदा होंगे। अच्छा जीवन जीने के लिए संस्कारवान होना बहुत जरूरी है। संस्कार हमारे अंदर तभी आएगा, जब हम संत महात्माओं का संगत करेंगे। संतों की वाणी को अपने अंदर उतारेंगे। तभी हमारे मन को शांति मिलेगी। भौतिकवादी जीवन में बच्चे सत्संग से दूर होते जा रहे हैं। ऐसी स्थिति में संस्कार को बनाए रखना आज लोगों के समक्ष चुनौती है। ऐसे में परिवार के सभी सदस्यों को सत्संग में लाने का प्रयास करें। संत जन के बताए मार्ग पर चले तभी यह जीवन सफल होगा और मन को शांति मिलेगी। भगवान की कथा सुनने से जीवन के दु:ख दूर होते हैं। इंद्रियों को वश में रखना चाहिए। कलियुग के स्थान हैं जुआ, शराब, चरित्रहीनता, मांस, बेईमानी से कमाया हुआ धन। इनसे दूर रहना चाहिए। इस दौरान लक्ष्मी देवी, राजेन्द्र पांडेय, अरविंद पांडेय, महेन्द्र पांडे, वीरेंद्र कुमार, गोविंद, रविन्द्र, डॉ. राहुल, राज, अनिकेत, विराज पांडेय आदि मौजूद रहें।
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