Massive White Shiva Lingam at Biswan Temple Attracts Devotees सीतापुर-बिसवां की आत्मा है साठ मन पत्थर से बना पत्थर शिवाला, Sitapur Hindi News - Hindustan
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सीतापुर-बिसवां की आत्मा है साठ मन पत्थर से बना पत्थर शिवाला

Sitapur News - बिसवां कस्बे में स्थित शिव मंदिर में उत्तर भारत का सबसे बड़ा सफेद शिवलिंग है। यहां श्रद्धालु दूर-दूर से आते हैं और मान्यता है कि उनकी सभी मुरादें पूरी होती हैं। मंदिर के निर्माण में प्रयागराज से पत्थर...

Newswrap हिन्दुस्तान, सीतापुरWed, 23 April 2025 01:34 AM
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सीतापुर-बिसवां की आत्मा है साठ मन पत्थर से बना पत्थर शिवाला

बिसवां, संवाददाता। बिसवां कस्बे में एक शिव मन्दिर स्थापित है। इस शिव मंदिर में स्थापित सफेद शिवलिंग उत्तर भारत की सबसे बडी शिवलिंग बतायी जाती है। इस शिव मंदिर में प्रतिदिन दूर दराज से लोग आते हैं और मान्यता हैं कि यहां पर आने वाले लोगों हर मुराद पूरी होती हैं। बताया जाता है कि इस मंदिर के निर्माण में प्रयागराज से साठ मन पत्थर मंगवाया गया था। इस मंदिर में ब्रह्ममुहूर्त से ही श्रद्धालुओं की भीड़ भोलेनाथ का जलाभिषेक कर उन्हें बेलपत्र, भांग, दूध, धतूरा, मदार आदि का भोग लगाने का सिलसिला शुरू कर देती है। पत्थर शिवाला मन्दिर को बिसवां की आत्मा कहा जाता है। चित्ताकर्षक नक्काशी एवं संगमरमर की मूर्तियां श्रद्धालुओं के आकर्षण का केन्द्र बिन्दु बनी हुई हैं। मन्दिर के मध्य भाग के स्थापित विशालकाय सफेद शिवलिंग है जो कि अन्य किसी स्थान पर नहीं दिखता है। बताया जाता है कि पत्थर शिवालय वास्तव में पंचायतन मन्दिर है। इसमें पूरब की ओर विष्णु और लक्ष्मी की संगमरमर की मूर्तियां स्थापित हैं। वहीं, दक्षिण की ओर सूर्य भगवान की मूर्ति एवं पश्चिम के कोने पर श्री गणेश की संगमरमर की मूर्ति और उत्तरी कोने पर मां गौरी की संगमरमर की मूर्ति स्थापित है। साथ ही विशालकाय नन्दी की काले संगमरमर की मूर्ति एवं हनुमान जी व भैरव बाबा विराजमान हैं। यहां वर्ष भर श्रीमद्भागवत और रामचरित मानस के पाठ सम्पन्न होते रहते हैं। उल्लेखनीय है कि ठाकुर दरियाव सिंह के वंश मे ठाकुर विशेश्वर बक्स सिंह हुये। बताया जाता है कि उनके सपने में एक दिन भगवान शिव आए और उनसे मंदिर निर्माण की बात कही। इस संकल्प की पूर्ति न होते देख और अपने शरीर त्याग का समय नजदीक देख अपनी पत्नी के हाथ में यह काम सौंपा। उनकी पतिवृता पत्नी रामकली देवी ने संकल्प पूर्ति के कारण शरीर यथा शक्ति रखा और मंदिर का निर्माण कराया। मन्दिर पर लगे स्तम्भ पर उकेरे कवित्त में लिखा गया है कि श्री सम्वत 1900 के ऊपर 76 आयो। मास बैसाख में गुन सुदिन विचारों है।। शुभ दिन भृगुवार अरू अक्षय तृतीया के दिवस प्रात समय विप्रन ने वेद उच्चारो है। लक्ष्मी नारायण, सूर्य, गिरजा, गणपति समेत भक्तन सदा शिव आनन्द सम्भारो है।। कहत दीनदयाल ऐसो परमानन्द जगदाधार।। विश्वेश्वर नाथ वन मन्दिर मे पधारो है।

सवा सौ पंडितों ने शिवलिंग किया स्थापित

बताया जाता है कि इस मंदिर के शिवलिंग को स्थापित कराने के लिए राजस्थान से डेढ़ सौ पंडितों को लाया गया था। जिनके द्वारा मृत्युंजय जाप कर इस विशाल शिवलिंग को स्थापित किया गया था। यह मंदिर पत्थर शिवाला के नाम से भी जाना जाता है। यह पत्थर शिवाला मंदिर अपनी भव्यता, स्थापत्य, कला और विशाल शिवलिंग के कारण श्रद्धालुओं की विशेष आस्था और श्रद्धा का केन्द्र बना हुआ है।

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