Stray Cattle Pose Danger on Roads Damaging Crops in Jay Singhpur आवारा पशुओं से स्थायी निजात दिलाए जाने की जरूरत, Sultanpur Hindi News - Hindustan
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आवारा पशुओं से स्थायी निजात दिलाए जाने की जरूरत

Sultanpur News - सड़कों पर झुंड में घूमते मवेशी बन रहे खतरा,फसल का कर रहे नुकसानआवारा पशुओं से स्थायी निजात दिलाए जाने की जरूरतआवारा पशुओं से स्थायी निजात दिलाए जाने क

Newswrap हिन्दुस्तान, सुल्तानपुरMon, 14 April 2025 09:34 PM
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आवारा पशुओं से स्थायी निजात दिलाए जाने की जरूरत

सड़कों पर झुंड में घूमते मवेशी बन रहे खतरा,फसल का कर रहे नुकसान फोटो नं. 03- सेमरी पुलिस चौकी सामने सड़क पर घूमते छुट्टा मवेशी

बरौंसा, संवाददाता

जयसिंहपुर तहसील क्षेत्र में आवारा पशुओं की समस्या ने खत्म होने का नाम नही ले रही है। सड़कों पर झुंड में विचरण कर रहे इन जानवरों की वजह से जहां वाहन चालकों को जान जोखिम में डालकर यात्रा करनी पड़ रही है, वहीं खेतों में खड़ी फसलों को आवारा पशु चट कर जाते है। यह स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही है,कई गौ आश्रय स्थल निर्माण होने के बावजूद अभी तक इसका कोई स्थायी समाधान नहीं निकाला जा सका है।

जयसिंहपुर तहसील के ग्रामीण क्षेत्रों की सड़कों पर छुट्टा पशु खुलेआम झुंड में घूमते नजर आते हैं। बरौंसा-जयसिंहपुर मार्ग, सेमरी रोड,टांडा बाँदा मार्ग सहित जुड़ने वाले छोटे रास्तों पर अक्सर गाय और सांडों के झुंड दिखाई पड़ जाता है। यह जानवर कई बार सड़क के बीचोंबीच जमे रहते हैं, जिससे वाहनों की आवाजाही बाधित होती है। दोपहिया वाहन चालक अक्सर इनके अचानक दौड़ने या भिड़ जाने से गिरकर घायल हो जाते हैं। कई मामलों में जानवरों के झुंड से बचने के प्रयास में गाड़ियों का संतुलन बिगड़ गया और दुर्घटनाएं हो गईं। पूर्वांचल एक्सप्रेस वे जैसी हाईस्पीड सड़कों पर जानवरों की मौजूदगी बड़ी दुर्घटनाओं का कारण बन रही है। तेज रफ्तार से आती गाड़ियों के सामने जब अचानक कोई जानवर आ जाता है, तो चालक के पास संभलने का मौका नहीं होता। कई कारें टकरा चुकी हैं, जिससे न केवल वाहन क्षतिग्रस्त हुए हैं बल्कि लोगों को अस्पताल तक पहुंचना पड़ा है। सड़क की तरह ही खेतों में भी इन जानवरों की घुसपैठ ने किसानों की नींद उड़ा दी है। जानवरों का एक झुंड अगर खेत में घुस जाए, तो कुछ ही घंटों में पूरी फसल बर्बाद कर देता है। किसानों का कहना है कि जब वे फसल बोते हैं, तो उम्मीद करते हैं कि मेहनत रंग लाएगी, लेकिन फसल तैयार होने से पहले ही छुट्टा जानवर और नीलगाय फसल को नुकसान पहुँचाते है। किसानों ने अपने स्तर पर बांस, बल्लियों और तारों से खेतों को घेरने की कोशिश की, लेकिन जानवर उन बाधाओं को तोड़कर अंदर घुस आते हैं। कुछ ने इलेक्ट्रिक फेंसिंग भी लगवाई, लेकिन यह उपाय हर किसान के बस की बात नहीं है। कई बार झुंड रात को खेत में आता है, और सुबह तक कुछ नहीं बचता। फसलों को होने वाला नुकसान केवल एक किसान की नहीं, बल्कि पूरे ग्रामीण समाज की आर्थिक स्थिति पर असर डाल रहा है। यह समस्या केवल खेत और सड़क तक सीमित नहीं है। सुबह-सुबह स्कूल जाने वाले बच्चों को भी इन्हीं झुंडों के बीच से होकर गुजरना पड़ता है। महिलाओं को बाजार जाने, बच्चों को स्कूल छोड़ने या खुद काम पर जाने में डर लगता है कि कहीं कोई जानवर हमला न कर दे। तहसील क्षेत्र में कई गौ-आश्रय केंद्र बनाए गए हैं,जोकि छुट्टा पशुओं की संख्या की अपेक्षा कम है। तहसील क्षेत्र में कहीं आवारा पशुओं की समस्या न के बराबर है तो कहीं इनकी समस्या बहुत ज्यादा है। इस समय सेमरी के पास हाइवे पर छुट्टा जानवर दर्जनों की संख्या में प्रतिदिन सड़को पर दिखाई देते है। इस समस्या को लेकर स्थाई निजात दिलाए जाने की आवश्यकता है।

इनसेट

छुट्टा सांड के हमले से आधा दर्जन लोग हुए थे घायल

बरौंसा,संवाददाता

कोतवाली क्षेत्र के चांदपुर गांव में 29 मार्च की सुबह साढे दस बजे एक छुट्टा सांड ने लोगों के ऊपर हमला बोल दिया था। सांड के हमले में छह लोग घायल हो गए थे। सांड के हमले में घायल अमित पांडेय पुत्र उदयभान पांडेय, निवासी चांदपुर को एंबुलेंस से सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सीएचसी जयसिंहपुर ले जाया गया था, जहां डॉक्टरों ने प्राथमिक उपचार के बाद उन्हें मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया था। वहीं घायल रामफेर और सुमित्रा को उनके परिजन भी मेडिकल कालेज ले गए। वहीं अन्य घायलो में आशीष ,राम बहादुर,प्रफुल्ल चंद्र,सरस्वती,शनि शामिल थे, जिन्हें मामूली चोटें आईं और इन्होंने अपना इलाज निजी अस्पताल में कराया था।

कोट

छुट्टा जानवरों की शिकायत मिलने पर पकड़वाया जाता है। गो आश्रय स्थल पर संख्या बढ़ ही रही है। सेमरी जनपद का बार्डर है। यह हो सकता है कि उधर के लोग छुट्टा जानवरों को छोड़ रहे हो। अभियान चलाकर छुट्टा जानवरों को गौ आश्रय स्थल पहुंचा जाएगा।

राम जी लाल, सहायक विकास अधिकारी पंचायत

क्या कहते हैं लोग

पहले रात में जानवर खेत में घुस आते थे और पूरी फसल चट कर जाते थे। कई बार तो पूरी मेहनत एक ही रात में बर्बाद हो जाती थी। हमने खुद तार और बांस से खेत को घेरने की कोशिश की,अब कुछ राहत है। सरकार को खेतो के बैरिकेडिंग के लिए सब्सिडी देनी चाहिए।

अयोध्या प्रसाद वर्मा (फोटो नं. 4)

अब किसान खेती से पीछे हट रहा है क्योंकि जानवरों का खतरा दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है। नीलगाय हर खेत में घुसते हैं। छुट्टा जानवरों को लेकर काफी हद तक निजात मिली है,जोकि अब भी पर्याप्त नही है। प्रशासन गोशालाएं बनवा रहा है। नीलगाय को लेकर प्रशासन को व्यवस्था बनानी चाहिए।

ओम प्रकाश तिवारी (फोटो नं. 5)

सेमरी बाजार में दुकान चलाता हूँ। छुट्टा जानवर अक्सर बाजार में खड़े रहते हैं। ग्राहक डरते हैं और बिक्री भी प्रभावित होती है। कई बार प्रशासन से शिकायत की गई, लेकिन कार्रवाई नहीं हुई। बाजार में सुरक्षा के लिए कुछ करना ज़रूरी है।

रंजीत कुमार (फोटो नं. 6)

गांव से शहर आने-जाने में अब डर लगता है। हाईवे हो या छोटी सड़कें, हर जगह छुट्टा जानवर नजर आते हैं। कई बार कार से टक्कर हो चुकी है। जानवरों की संख्या लगातार बढ़ रही है, लेकिन जिम्मेदार अधिकारी इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं। शाम को सड़क पर जमावड़ा लग जाता है।

शिव नारायण (फोटो नं. 7)

सड़कों पर झुंड में घूमते जानवर कभी भी सामने आ जाते हैं। कई बार जान बचाने के चक्कर में गाड़ी फिसल जाती है। यह अब आम परेशानी बन गई है, लेकिन प्रशासन इसे गंभीरता से नहीं ले रहा। सेमरी तिराहे में शाम को स्थिति खराब हो जाती है।

विवेक अग्रहरि (फोटो नं. 8)

सड़क पर चलना मुश्किल हो गया है। पहले सड़कों से घर तक का रास्ता आरामदायक था, अब सेमरी मोड़ पर झुंड खड़ा रहता है। बच्चों और बुजुर्गों को सबसे ज्यादा खतरा है। ये समस्या अब केवल असुविधा नहीं, बल्कि जान-माल का खतरा बन चुकी है।

सन्तोष सिंह (फोटो नं. 9)

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