टंकियों की सफाई नहीं, बगैर जांच के पानी की सप्लाई
Unnao News - उन्नाव में नगर पालिका और जल निगम की लापरवाही के कारण शहरवासियों को शुद्ध पेयजल का संकट झेलना पड़ रहा है। ओवरहेड टैंकों की सफाई और अमृत योजना कागजों पर ही रह गई है। लगभग 4 लाख लोग दूषित पानी के खतरे...

उन्नाव। नगर पालिका और जल निगम की अनदेखी का खामियाजा शहरवासियों को भुगतना पड़ रहा है। पानी की शुद्धता बनाए रखने के लिए पालिका हर साल पानी की टंकियों (ओवरहेड टैंक) की सफाई पर करीब तीन लाख रुपये खर्च करती है। टंकियों पर लिखी सफाई की तारीख, सफाई को कागजी साबित करने के लिए काफी है। वहीं, 265 करोड़ की अमृत पेयजल योजना भी कागजों पर दौड़ रही है। छह साल बाद भी यह धरातल पर साकार नहीं हो पाई। इससे शहर की पौने चार लाख आबादी शुद्ध पेयजल का इंतजार कर रही है। नगर पालिका क्षेत्र में नौ ओवरहेड टैंक और 20 ट्यूबवेलों की सफाई की जिम्मेदारी जलकल विभाग की है, लेकिन सफाई न होने से काई और जंग युक्त पानी लोगों के घर पहुंचता है। मौहारीबाग ट्यूबवेल हो या किला। इसके अलावा सिविल लाइंस, एबी नगर, आवास विकास इलाके में भी कुछ हाल ऐसा ही है। इनकी सफाई के लिए जिम्मेदार ध्यान नहीं देते हैं। पन्नालाल पार्क स्थित टंकी में रिसाव और अन्य खामियों की वजह से पानी का संकट नजर आता है।
पन्नालाल पार्क, अब्बासबाग, कांशीराम कॉलोनी, एबी नगर, पीडी नगर की टंकियों की भी सफाई सालों से नहीं हुई है। यहां तैनात कर्मचारी ने बताया कि टंकी की मरम्मत या नई टंकी का निर्माण कराने की मांग की गई, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। लोगों का कहना है कि नगर पालिका कर्मी सिर्फ सफाई की तारीख लिखकर चले जाते हैं। इससे अलग सफाई पर भी खेल होता है। ऐसे में दूषित जलापूर्ति से बीमारियां फैलने का खतरा बढ़ जाता है। इधर, नगर पालिका के जलकल विभाग के कर्मचारी दबी जुबान से मानते हैं कि शहर में जलापूर्ति करने वाले अधिकांश ट्यूबवेलों के क्लोरीन डोजर खराब है। यह हाल कई वर्ष से है। अब अफसर दावा करते हैं कि बीते साल नगर पालिका इन्हें बदलने के लिए प्रस्ताव भेजकर डीएम से बजट की स्वीकृति मांगी थी। साथ ही, लो और हाई वोल्टेज होने से अक्सर ट्यूबवेलों के मोटर पंप खराब होने की समस्या को हल करने के लिए उच्च क्षमता के स्टेबलाइजर लगाने पर भी इस वर्ष लाखो रुपये खर्च होंगे। कई प्रमुख प्रस्ताव इसी जलकल की पेयजलापूर्ति को लेकर भी अनुमोदित हैं। इसके बाद व्यवस्थाएं पटरी पर लौटेंगी।
सीवेज जहां, वहां शुद्धता जांचना जरूरी
जिन शहरों में सीवेज लाइन होती है, उन शहरों में दूषित पेयजल आपूर्ति की आशंका अधिक रहती है। मगर, शहर में ऐसा नहीं है। यहां आवास विकास के अलावा जिन इलाकों में सीवरेज सिस्टम के लिए लाइन बिछी है, वहां जांच के नाम पर भी अनदेखी होती है। जबकि नियम है कि वर्ष में दो बार पानी की जांच करने के बढ़ी शहरियों को आपूर्ति देनी चाहिए।
इनसेट-
तक़रीबन डेढ़ करोड़ खर्च कर व्यवस्थाएं सुधारने का दावा-
हैंडपंपों की मरम्मत के लिए स्पेयर पार्ट्स पर 24.96 लाख रुपये नगर पालिका इस साल खर्च करेगी। जलापूर्ति पाइप लाइनों में लीकेज और ट्यूबवेलों की मरम्मत पर भी 45 लाख रुपये का खर्च आएगा। 50 स्थानों पर सबमर्सिबल पंप और 500 लीटर टंकी पर 50 लाख रुपये से लगाने की बात जेई कर रहे हैं। ईओ कहते हैं कि सफाई के लिए जरूरी ट्यूबवेलों में 30 क्लोरीन डोजर लगाने के लिए 7.50 लाख रुपये का बजट मिला है। ट्यूबवेलों में उच्च क्षमता के नए स्टेब्लाइजर पर- 78 लाख रुपये लगेंगे। हालांकि अभी टेंडर प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाई। जिन कामों के टेंडर लगे वह भी अब तक शुरू नहीं हो पाए। इस गर्मी यह व्यवस्थाएं कैसे दुरुस्त हो पाएंगी, इस सवाल पर जिम्मेदार चुप्पी साध लेते हैं।
वर्जन:
इस साल जलकल की व्यवस्था दुरुस्त करने पर अधिक ध्यान है। स्टेप्लाइजर कि क्षमता वृद्धि चल रही है। जबकि, सफाई के लिए कर्मियों की टीम बनाई है। अगले दस दिनों के भीतर टंकियां साफ करा दी जाएंगी। कोई लापरवाही न हो, इस बाबत औचक निरीक्षण करेंगे।
एसके गौतम, ईओ नगर पालिका उन्नाव।
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