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यूपी के तिलवाड़ा गांव में ASI को मिला युद्धरथ और शाही ताबूत, नक्काशी अब भी मौजूद

  • यूपी के बढ़ौत में छपरौली क्षेत्र के तिलवाड़ा गांव में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा कराए जा रहे उत्खनन में टीम को सिनौली की तरह युद्धरथ और शाही ताबूत मिले हैं। हालांकि टीम ने अभी इसकी पुष्टि नहीं की है। बताया जा रहा है कि इस साइट पर उत्खनन फिलहाल पूरा हो चुका है।

Srishti Kunj संवाददाता, बड़ौतThu, 17 April 2025 10:29 AM
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यूपी के तिलवाड़ा गांव में ASI को मिला युद्धरथ और शाही ताबूत, नक्काशी अब भी मौजूद

यूपी के बढ़ौत में छपरौली क्षेत्र के तिलवाड़ा गांव में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा कराए जा रहे उत्खनन में टीम को सिनौली की तरह युद्धरथ और शाही ताबूत मिले हैं। हालांकि टीम ने अभी इसकी पुष्टि नहीं की है। बताया जा रहा है कि इस साइट पर उत्खनन फिलहाल पूरा हो चुका है। टीम अब यहां मिले प्राचीन अवशेषों को दिल्ली ले जाने की तैयारी में हैं। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने तिलवाड़ा के आला टीले पर 10 दिसम्बर 2024 को उत्खनन कार्य शुरू किया था। टीम ने यहां डेढ़ दर्जन ट्रेंच लगाए। जिस ट्रेंच में शुरुआती उत्खनन हुआ, उसी से बड़ी सफलता मिलने की बात सामने आई है।

यहां पुरातत्वविदों को कॉपर निर्मित आयताकार प्लेट, खंजर, बीड्स, मनके, छोटे-बड़े पॉट्स मिले हैं। ये पुरा संपदा सिनौली में मिले पुरा संपदा से काफी मिलती-जुलती होने की बात कही जा रही है। दोनों साइट से मिले मिट्टी, ताम्र नर्मिति पात्र की बनावट, नक्काशी, आकृति एक जैसी है। सबसे महत्वपूर्ण उपलब्धि रथ व ताबूतनुमा आकृति को माना जा रहा है।

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सिनौली की तरह वस्तुएं

एक ट्रेंच में ताबूत और रथ एक-दूसरे से सटाकर रखे दिखाई दे रहे हैं। रथ के पहिए, धुरी, रथ का ढांचा जिस पर कॉपर से नक्काशी है। इसके चारों कोनों पर बड़े-बड़े मिट्टी के पात्र रखे हुए हैं। छोटे सुराहीनुमा पात्र भी हैं। रथ की धुरी पर शानदार नक्काशी दिखाई देती है, इसके ऊपर का कॉपर तो समय के साथ नष्ट हो चुका है, लेकिन नक्काशी ऐसे ही अभी भी मौजूद है। इसी के बगल में ताबूतनुमा आकृति भी दिखाई दे रही है। इस के नीचे के हिस्से में कॉपर की बड़ा व मोटा पाइप की तरह दिखने वाला ढांचा है।

तिलवाड़ा उत्खनन का काम पूरा

तिलवाड़ा गांव में करीब चार माह से कराए जा रहे पुरातात्विक उत्खनन पर ब्रेक लग गया है। टीम यहां से प्राप्त सामग्री को समेटने में जुट गई है। पुराविदों ने शवाधान केंद्र मिलने की तो पुष्टि की है लेकिन यहां से अभी तक कोई कंकाल प्राप्त नहीं हुआ है।

तिलवाड़ा में उत्खनन से सामने आई सभ्यता एवं संस्कृति सिनौली की सभ्यता एवं संस्कृति से मेल खाती है। तिलवाड़ा में जिस तरह से रथ और ताबूतनुमा आकृति दिखाई दे रही है, वह सच में बहुत बड़ी उपलब्धि है। इस पर और कार्य किये जाने की जरूरत है। डॉ अमित राय जैन, वरष्ठि इतिहासकार।