बिजली विभाग में भी MRI मशीन; झट से पकड़ती है चोरी और मीटर रीडिंग में हेराफेरी, मचा हड़कंप
- बीमार मरीजों की एक जांच एमआरआई मशीन से डॉक्टर करवाते हैं। यूपी में बिजली विभाग भी एक एमआरआई मशीन ले आई है जो बिजली की चोरी और मीटर रीडिंग से छेड़छाड़ को फटाक से पकड़ लेती है। नई मशीन से हड़कंप मचा है।

आमतौर पर एमआरआई यानी मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग का नाम सुनते ही लोग गंभीर बीमारियों की जांच और अस्पतालों की तस्वीरें सोचते हैं। लेकिन उत्तर प्रदेश में बिजली विभाग ने इस शब्द को एक नया और अनोखा अर्थ दे दिया है। यहां एमआरआई का मतलब है मीटर रीडिंग इंस्ट्रूमेंट, जिसका इस्तेमाल बिजली चोरी और मीटर रीडिंग में छेड़छाड़ को पकड़ने के लिए किया जा रहा है। प्रयागराज में बिजली विभाग के अधिकारी इस मशीन का धड़ल्ले से इस्तेमाल कर रहे हैं। इस जांच से बिजली चोरी और मीटर में गड़बड़ी करने वालों में हड़कंप मचा हुआ है।
यह तकनीक बिजली विभाग के लिए किसी वरदान से कम नहीं है, क्योंकि इसके जरिए मीटर में हेराफेरी को आसानी से पकड़ा जा सकता है। उत्तर प्रदेश में बिजली चोरी एक पुरानी और जटिल समस्या है। मीटर में छेड़छाड़, अवैध कनेक्शन और लोड से ज्यादा खपत से बिजली विभाग को हर साल करोड़ों रुपये का नुकसान उठाना पड़ता है। प्रयागराज में इससे निपटने के लिए विभाग ने आधुनिक तकनीक को अपनाया है। मीटर रीडिंग इंस्ट्रूमेंट मीटर को स्कैन करता है और यह पता लगाता है कि कहीं उसमें कोई गड़बड़ी तो नहीं की गई है।
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यह डिवाइस मीटर की रीडिंग, बिजली खपत के पैटर्न और तकनीकी खामियों का विश्लेषण कर चोरी को पकड़ने में सक्षम है। प्रयागराज बिजली विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इस तकनीक को पिछले कुछ महीनों से आजमाया जा रहा है और इसके नतीजे बेहद सकारात्मक हैं। करेली, धूमनगंज, बमरौली जैसे घनी आबादी वाले इलाकों में बिजली चोरी के कई मामले पकड़े गए हैं। दुकानों और व्यावसायिक भवनों में भी यह तकनीक कारगर साबित हो रही है।
एसडीओ राजवीर सिंह ने कहा कि एमआरआई की मदद से न केवल चोरी का पता लगाया जा रहा है, बल्कि दोषियों पर सख्त कार्रवाई भी की जा रही है। सिंह ने कहा कि भारी जुर्माना वसूला जाता है और अवैध कनेक्शन को हटाया जाता है।
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स्थानीय लोगों ने इस पहल का स्वागत किया है। एक उपभोक्ता श्यामजी केसरवानी ने कहा कि जो लोग बिजली चोरी करते हैं, उनके कारण ईमानदार ग्राहकों पर अतिरिक्त बोझ पड़ता है। चोरी पर रोक लगेगी तो बिजली की दरें भी नियंत्रित रहेंगी। विभाग तकनीक को पूरे जिले में लागू कर रहा है ताकि बिजली वितरण व्यवस्था को और पारदर्शी और प्रभावी बनाया जा सके।