दिल्ली में एयर पलूशन को रोकेंगे स्ट्रीट लाइट के खंभे, रेखा गुप्ता सरकार करने जा रही अनोखा उपाय
दिल्ली में वायु प्रदूषण एक बहुत बड़ी समस्या है। बीजेपी ने विधानसभा चुनाव में इसे मुद्दा भी बनाया था। अब रेखा गुप्ता सरकार इससे निपटने की तैयारी कर रही है। इसके लिए स्ट्रीट लाइट के खंभों का इस्तेमाल किया जाएगा।

दिल्ली में वायु प्रदूषण एक बहुत बड़ी समस्या है। बीजेपी ने विधानसभा चुनाव में इसे मुद्दा भी बनाया था। अब रेखा गुप्ता सरकार इससे निपटने की तैयारी कर रही है। इसके लिए स्ट्रीट लाइट के खंभों का इस्तेमाल किया जाएगा।
दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने कहा है कि वायु प्रदूषण से निपटने के लिए एक अभिनव उपाय किया जाएगा। दिल्ली सरकार स्ट्रीट लाइट के खंभों पर धूल को कम करने के लिए 1,000 वाटर स्प्रिंकलर लगाएगी। बुधवार को पीटीआई को दिए साक्षात्कार में मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि वाटर स्प्रिंकलर और स्मॉग गन पूरे साल काम करते रहें। कहा कि पिछली आप सरकार में इनका इस्तेमाल केवल दो से तीन महीने के लिए होता था।
दिल्ली के प्रदूषण में धूल का बहुत बड़ा योगदान है। फरवरी में दिल्ली विधानसभा चुनाव के प्रचार के दौरान भाजपा ने शहर की खराब होती वायु गुणवत्ता का मुद्दा जोरदार तरीके से उठाया था और इसके लिए सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी को जिम्मेदार ठहराया था।
सीएम रेखा गुप्ता ने कहा कि पिछले सालों में वायु गुणवत्ता इतनी खराब हुआ करती थी, लेकिन अब इसमें सुधार हो रहा है। हमारी सरकार इसके अनुसार योजना बना रही है, जिससे आगे और भी बदलाव देखने को मिलेंगे। पहले वाटर स्प्रिंकलर सिर्फ सर्दियों के दो महीने तक काम करते थे। सत्ता में आने के बाद हमें समझ में आया कि वायु प्रदूषण सिर्फ दो महीने की समस्या नहीं है, बल्कि यह पूरे साल बनी रहती है।
उन्होंने कहा कि गर्मियों में भी हवा में बहुत धूल होती है और हालात शरद ऋतु या सर्दियों जैसे ही होते हैं। इसलिए वाटर स्प्रिंकलर और स्मॉग गन अब पूरे साल काम करेंगे। हम रिंग रोड पर स्ट्रीट लाइट पोल पर वाटर स्प्रिंकलर लगाने की योजना बना रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने जोर देकर कहा कि पीडब्ल्यूडी 1,000 स्प्रिंकलर लगाएगा, जो सभी 250 नगरपालिका वार्डों में चार-चार होंगे। ये पूरे साल काम करेंगे। हम अपनी नीतियों और प्रयासों में स्पष्ट हैं, इसलिए परिणाम भी स्पष्ट होंगे।
धूल PM2.5 और PM10 प्रदूषण दोनों में महत्वपूर्ण योगदान देती है। PM10 में 10 माइक्रोमीटर तक के व्यास वाले धूल के कण शामिल होते हैं, जबकि PM2.5 में 2.5 माइक्रोमीटर या उससे कम व्यास वाले महीन धूल के कण शामिल होते हैं। ये महीन कण, विशेष रूप से PM2.5 सेहत के लिए बहुत बड़ा खतरा पैदा करते हैं। ये फेफड़ों में गहराई तक प्रवेश कर सकते हैं और रक्तप्रवाह में प्रवेश कर सकते हैं। जबकि PM10 मोटे कण होते हैं जिनका व्यास 10 माइक्रोमीटर या उससे कम होता है।