बोले काशी - हर साल करोड़ों का राजस्व, सुविधाओं पर एक पाई खर्च नहीं
Varanasi News - वाराणसी के करखियांव एग्रो पार्क में उद्योगों के लिए बुनियादी सुविधाओं की कमी है। सड़कों की खराब स्थिति, जलभराव, और सफाई की कमी से उद्यमी निराश हैं। अधिकारियों की लापरवाही और स्थानीय समस्याओं के समाधान...

वाराणसी। शहरी जीवन में ब्रेड-बिस्कुट, बोतल बंद पानी, नमकीन और फ्रूट जूस का उपयोग बढ़ गया है। लोकल और ब्रांडेड कंपनियों की इन ज्यादातर खाद्य वस्तुओं का निर्माण बाबतपुर एयरपोर्ट से आगे करखियांव एग्रो पार्क में हो रहा है। यहां की उत्पादन यूनिटों से सरकार को हर वर्ष करोड़ों रुपये का राजस्व मिलता है लेकिन क्षतिग्रस्त सड़कें, अधूरी नालियां और कूड़ा-कचरा पार्क के चेहरे पर दाग हैं। इससे पार्क के गेट पर ‘इन्वेस्ट यूपी की महत्वाकांक्षी मंशा ठिठक-सी गई है। जबकि राजस्व के चौथाई खर्च से भी पार्क चमक सकता है। करखियांव एग्रो पार्क की स्थापना सन-2001 में हुई। इसका फेज वन 259 एकड़ जबकि 90 एकड़ में फेज-2 फैला है।
यहां अमूल (बनास डेयरी) समेत कुल 56 उत्पादन इकाइयां कार्यशील हैं। इन इकाइयों के संचालक-उद्यमियों की औद्योगिक नीतियों से जुड़ी अपनी समस्याएं हैं जिनके समाधान के लिए वे शासन और सरकार के दरवाजे खटखटाते रहते हैं मगर कई स्थानीय समस्याएं भी हैं जिनका समाधान बार-बार ध्यान दिलाने के बाद भी नहीं हो रहा है। यहां तक कि उद्योग बंधु की बैठकों में भी सिर्फ आश्वासनों का गर्दा उड़ाया जा रहा है। एग्रो पार्क परिसर में ‘हिन्दुस्तान से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि जीएसटी और रखरखाव शुल्क के रूप में सरकार को हर साल करोड़ों रुपये यहां से मिलता है लेकिन छोटी छोटी बुनियादी समस्याओं के समाधान के लिए वर्षों तक जद्दोजहद करनी पड़ती है। एग्रो पार्क इंडस्ट्रीज वेलफेयर सोसायटी के अध्यक्ष मनोज मद्धेशिया ने कहा कि हर माह उद्योग बंधु की बैठक में ये मुद्दे उठाए जाते हैं लेकिन यह बैठक केवल कोरम बन गई है। इस कारण कई उद्यमी अब उद्योग बंधु की बैठक में जाना भी नहीं चाहते। बताया कि जिला उद्योग बंधु हो या मंडलीय उद्योग बंधु, दोनों में सड़क-सफाई, नाली, सुरक्षा और पेयजल का मुद्दा उठाया गया है लेकिन जमीनी स्तर पर काम नहीं होता। अफसरों की कार्यशैली से गुस्सा प्रदेश सरकार औद्योगिक क्षेत्रों में निवेश को प्रोत्साहित करने पर जोर दे रही है लेकिन उद्योग से जुड़े विभागों की लापरवाही इन्वेस्ट यूपी की अवधारणा को धूमिल कर रही है। उद्योग विभाग और यूपीसीडा के अधिकारियों की कार्यशैली से एग्रो पार्क के उद्यमियों में रोष है। उद्यमी राजेश अग्रवाल ने बताया कि बारिश के दिनों में कारखानों में आना जाना मुश्किल हो जाता है। जलभराव की समस्या श्रमिकों, उद्यमियों के लिए मुसीबत बन जाती है। उन्होंने कहा कि यदि ये समस्याएं नजरंदाज की जाती रहीं तो कारखानों को दूसरे राज्यों में शिफ्ट करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचेगा। फेज दो में 60 एकड़ जमीन खाली उद्यमियों के मुताबकि सरकार की मंशा के अनुसार उद्योगों का विस्तार होना चाहिए लेकिन विभागीय स्तर पर इसे लागू नहीं किया जाता। यूपीसीडा के पास जमीन नहीं है। फेज दो में 60 एकड़ जमीन कागज में आवंटित है लेकिन खाली पड़ी है। जबकि उत्पादन तय समय में शुरू होना चाहिए। शुभम अग्रवाल ने कहा कि प्रदेश में एक ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था के लक्ष्य को एमएसएमई सेक्टर ही पूरा कर सकता है। इसलिए छोटे और मध्यम स्तर के उद्योगों को ये प्लॉट हस्तांतरित होने चाहिए या यहां उत्पादन शुरू होना चाहिए। बीच सड़क खड़े होते हैं ट्रकें उद्यमी राजेश चौहान, आनंद जायसवाल ने कहा कि एग्रो पार्क में पार्किंग सुविधा नहीं है। एग्रो पार्क में सड़कों के दोनों तरफ ट्रक खड़े होते हैं। इससे उद्यमियों और उनके स्टाफ का आना जाना मुश्किल होता है। कई बार दूसरी कंपनियों के भी ट्रक फैक्ट्रियों के पास खड़े कर दिए जाते हैं जिससे उन फैक्ट्रियों से माल की आवाजाही मुश्किल हो जाती है। रोजाना 500 से ज्यादा ट्रकों की लोडिंग-अनलोडिंग होती है। सड़कों के किनारे पटरी बन जाए तो यह समस्या दूर हो जाएगी। शोपीस बनी पानी टंकी एग्रो पार्क में 15 साल पहले लाखों रुपये खर्च करके पानी की टंकी बनाई गई थी। लेकिन एक दशक से उससे एक बूंद पानी की सप्लाई नहीं हुई है। टंकी परिसर में एक कर्मचारी आवास है जिसमें तैनात स्टाफ से यूपीसीडा अन्य कार्य लेता है। परिसर में ट्यूबवेल बंद है। उसके रीबोर का प्रस्ताव कहीं दबा हुआ है। हाईवे पर अतिक्रमण से खतरा अमूल डेयरी के सामने फेज एक में प्रवेश करते समय दुर्घटना का डर रहता है। सामने हाईवे पर अवैध निर्माण, अतिक्रमण के कारण वाहन चालकों को दूर से दिखाई नहीं देता। इस रास्ते से रोजाना उद्यमी, कर्मचारी, मजदूरों का आना जाना होता है। पिछले कुछ महीनों में यहां 85 सड़क दुर्घटनाएं हुई हैं। बिजली का भी है संकट करखियांव एग्रो पार्क में बिजली की उपलब्धता का भी संकट है। 10-10 एमवीए के दो ट्रांसफार्मर हैं। वर्षों से यहां उपकेंद्र बनाने की बात चल रही है। एग्रो पार्क के लिए 25 एमवीए के अतिरिक्त ट्रांसफार्मर की सख्त जरूरत है। उद्योग बंधु की बैठक में उद्यमियों ने इस समस्या को उठाया है लेकिन बिजली विभाग के अधिकारी केवल टालमटोल करते हैं। नाले का अधूरा निर्माण एग्रो पार्क में नाले का निर्माण आधे अधूरे तरीके से किया गया है। यूपीसीडा की लापरवाही का खामियाजा उद्यमियों को भुगतना पड़ता है। लेन नंबर 11-12 में नाला निर्माण शुरू भी नहीं हुआ है जबकि लेन नंबर छह में अधूरा पड़ा है। सुझाव 1. जो सड़कें ज्यादा क्षतिग्रस्त हैं और कच्चे रास्ते हैं, इनका निर्माण कराया जाए। इस बरसात से पहले काम हो ताकि दिक्कत न हो। 2. जल निकासी की बेहतर व्यवस्था के लिए नाले-नालियों का निर्माण मानकों के अनुसार हो। नालों की सफाई कराई जाए। 3. एग्रो पार्क में सफाई व्यवस्था बेहतर हो। एजेंसी से नियमित सफाई कराई जाए, फैक्ट्रियों के आसपास डस्टबिन रखे जाएं। 4. औद्योगिक परिसर में चोरी की घटनाएं रोकने के लिए बाउंड्री कराई जाए। पुलिस की नियमित गश्त होने से असामाजिक तत्वों पर लगाम लगेगा। 5. हाईवे से अतिक्रमण हटवाया जाए जिससे सड़क दुर्घटनाओं का खतरा न हो। इससे उद्यमी और उनके स्टाफ सुरक्षित रहेंगे। शिकायतें 1. एग्रो पार्क में सड़कें क्षतिग्रस्त हैं। बारिश में ज्यादातर जगहों पर घुटनों तक पानी भर जाता है। उससे उत्पादन प्रभावित होता है। 2. एग्रो पार्क में आधे अधूरे तरीके से नालियां बनी हैं। कई महीनों से काम बंद है। कुछ जगह सड़क किनारे बड़ी-बड़ी झाड़ियां उग गई हैं। 3. परिसर में सफाई की कोई व्यवस्था नहीं है। कारखानों के आसपास महीनों से कचरा बिखरा पड़ा है। जिससे एक गंदगी पसरी है और बदबू का आलम है। 4. कारखानों से मशीनों के पार्ट, बाहर खड़ी ट्रकों से सामान, स्टेपनी चोरी हो जाती है। पुलिस गश्त नहीं होती है। इससे चोरों का मनोबल ऊंचा रहता है। 5. हाईवे से फेज एक के रास्ते पर अतिक्रमण के कारण हर समय दुर्घटना का खतरा बना रहता है।पिछले कुछ माह में कई दुर्घटनाएं हुई हैं। ध्यान दें अफसर फेज 2 में खाली पड़े प्लॉट को इच्छुक उद्यमियों को दिया जाय। परिसर से कूड़ा नहीं उठता। मनोज मद्धेशिया, अध्यक्ष एग्रो पार्क इंडस्ट्रीज वेलफेयर सोसायटी ट्रकों से स्टेपनी चोरी हो जाती है, फैक्ट्रियों में डर रहता है। पुलिस को प्रमाण देने के बाद भी कार्रवाई नहीं होती। शुभम गुप्ता, उपाध्यक्ष निवेश पोर्टल को सरल बनाने के साथ उससे जुड़े लोगों को जिम्मेदार बनाने की जरूरत है। इससे रजिस्ट्रेशन में सहूलियत होगी। राजेश राय एग्रो पार्क में क्षतिग्रस्त और अधूरी सड़क मुख्य मुद्दा है। लेन नंबर 6 की हालत सबसे खराब है। अमित गुप्ता एग्रो पार्क एरिया में पुलिस चौकी है लेकिन गश्त न होने से चोरों के हौसलेबुलन्द हैं। मेरी फैक्ट्री में दो बार चोरी हो चुकी है। बृजेश गुप्ता, उपाध्यक्ष एग्रो पार्क में मनमानी पार्किंग से लोग त्रस्त हैं। ट्रक खड़ा करने के लिए न पटरी बनी है न पार्किंग एरिया। राजेश चौहान लेन 6 में नाली ही नहीं बनी है। इससे सड़क पर गंदगी तैरती रहती है, चलना दूभर है। आनंद जायसवाल पार्क में सफाई के साथ ड्रेनेज सिस्टम मजबूत होना चाहिए। यूपीसीडा एग्रो पार्क में कम खर्च करता है। -शुभम अग्रवाल सरकार को निवेश में सफलता तभी मिलेगी जब अधिकारी पारदर्शिता और ईमानदारी से कार्य करेंगे। राजेश अग्रवाल हर फैक्टरी के सामने कूड़ा निस्तारण और उठान की व्यवस्था की जाय। डस्टबिन रखने की जरूरत है। मनीष लाठ परिसर में वर्षों पूर्व बनी पानी की टंकी से एक बूंद पानी नहीं मिला है। वर्षों से हम इसे निहार रहे हैं। रवि गुप्ता बोले जिम्मेदार सड़कों की मरम्मत, नाली निर्माण, पानी टंकी से सप्लाई शुरू कराने के लिए प्रयागराज स्थित कार्यालय को पत्र भेजा जाएगा। पाइप लाइन क्षतिग्रस्त हैं जिनकी मरम्मत की जरूरत है। सफाई समेत अन्य बुनियादी सुविधाओं की व्यवस्था की जाएगी। चोरी की घटनाओं पर अंकुश के लिए पुलिस से बात करेंगे। उद्यमियों की सोसायटी को एक साल पहले सभी पार्क हैंडओवर किए गए हैं। इनकी मरम्मत के लिए पदाधिकारियों से संपर्क किया जाता है। आशीष नाथ, क्षेत्रीय प्रबंधक-यूपीसीडा नंबर गेम 259 एकड़ में फैला है एग्रो पार्क फेज एक 90 एकड़ में फैला है फेज दो का एग्रो पार्क 56 उत्पादन इकाइयां हैं दोनों फेज में 10000 से अधिक प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रोजगार देता है पार्क
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।