Challenges Faced by Entrepreneurs in Varanasi s Ramnagar Industrial Area बोले काशी : विभागों के कुचाल से रफ्तार नहीं पकड़ रही उद्योगों की चाल, Varanasi Hindi News - Hindustan
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बोले काशी : विभागों के कुचाल से रफ्तार नहीं पकड़ रही उद्योगों की चाल

Varanasi News - वाराणसी के रामनगर औद्योगिक क्षेत्र में उद्यमियों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। सरकारी नीतियों का लाभ समय पर नहीं मिल रहा, और निवेश मित्र पोर्टल का उपयोग करना भी मुश्किल हो गया है। उद्यमियों...

Newswrap हिन्दुस्तान, वाराणसीThu, 17 April 2025 06:44 PM
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बोले काशी : विभागों के कुचाल से रफ्तार नहीं पकड़ रही उद्योगों की चाल

वाराणसी। ‘प्रदेश सरकार की औद्योगिक नीति बहुत अच्छी है। मुख्यमंत्री की नीयत, मेहनत पर कोई सवाल नहीं मगर उनसे कौन कहे कि आपके तमाम विभागों के अफसर आपकी मंशा में पलीता लगा रहे हैं। नियमों का उलझाऊ जाल, दूसरी ओर विभागों की बेढंगी चाल ने तंग कर रखा है। निवेश-मित्र पोर्टल पर कोई भी डाटा विभागीय कर्मचारियों की मर्जी के बिना स्वीकृत नहीं हो सकता।...धन नहीं, ध्यान की कमी है। ईज ऑफ डूइंग... ईज ऑफ डिफिकल्टी बन चला है। इस माहौल में कैसे और कब तक सर्वाइव कर पाएंगे उद्योग- ये शब्द हैं रामनगर औद्योगिक क्षेत्र के बहुतायत उद्यमियों के। रामनगर औद्योगिक क्षेत्र की स्थापना सन-70 के दशक में हुई तो वह औद्योगिकीकरण की दिशा में बनारस के बढ़ते कदम का एक उद्घोष भी था। 47-48 वर्ष बाद वह इंडस्ट्रियल एरिया 305 एकड़ से फैलती हुई लगभग 700 एकड़ में विस्तार ले चुकी है। इन दिनों दो फेज के एरिया में 250 से अधिक औद्योगिक इकाइयां रन कर रही हैं। वे बोरा, बीम-बिस्किट से लेकर पीवीसी पाइप, पशु आहार आदि कई सामान बना रही हैं। इन इकाइयों के संचालक-उद्यमियों की जुबां पर एक ठसक दिखती है- हम अपने बूते ही कुछ कर पा रहे हैं, विभागों की इसमें बहुत भूमिका नहीं है। उन्होंने रामनगर इंडस्ट्रियल एसोसिएशन और रामनगर औद्योगिक एसोसिएशन के अलग-अलग बैनर तले ‘हिन्दुस्तान से अपनी समस्याएं साझा कीं। इंडस्ट्रियल एसोसिएशन के संरक्षक आरके चौधरी और अध्यक्ष दयाशंकर मिश्र, रामनगर औद्योगिक एसोसिएशन के अध्यक्ष देव भट्टाचार्य, महामंत्री सतीश गुप्ता, वरिष्ठ उपाध्यक्ष चंद्रेश्वर जायसवाल आदि उद्यमियों ने जोर दिया कि ईज ऑफ डूइंग बिजनेस या इंडस्ट्री के लिए सिंगल विंडो सिस्टम होना बहुत जरूरी है ताकि विभिन्न विभागों की एनओसी समेत उनसे जुड़ी दूसरी औपचारिकताओं के लिए उद्यमियों को भागदौड़ से मुक्ति मिले। उनके मुताबिक, फायर, भूगर्भ जल, प्रदूषण नियंत्रण एवं बिजली आदि संबंधित विभागों की एनओसी लेने में लोहे के चने चबाने पड़ते हैं।

निवेश मित्र बना सिरदर्द

उद्यमियों ने कहा कि निवेश मित्र पोर्टल सभी के लिए गंभीर सिरदर्द बनता जा रहा है। औद्योगिक इकाई की स्थापना से लेकर उसके संचालन तक सब्सिडी, बिजली कनेक्शन आदि सभी औपचारिकताओं के साथ अब ऑनलाइन आवेदन अपरिहार्य कर दिया गया है। रामनगर औद्योगिक एसोसिएशन से जुड़े सुरेश खंडेलवाल, रामनगर इंडस्ट्रियल एसोसिएशन के कार्यकारी अध्यक्ष सुनील अग्रवाल ने कहा कि पोर्टल से जुड़ी तकनीकी जटिलताएं बहुत हैं जबकि किसी भी पोर्टल को यूजर्स फ्रेंडली होना चाहिए। मगर, उद्यमियों ने आगे कहा, हम ऑनलाइन आवेदन करें या कोई डाटा भरें तो उसे पोर्टल स्वीकार नहीं करता। वही डाटा यदि कर्मचारी फीड करें तो तुरंत स्वीकृत हो जाएगा। यूपीसीडा के कर्मचारियों को खुश रखना पड़ता है। यह एक दस्तूर बन चुका है।

लाइसेंस लेना आसान नहीं

उद्यमी सुप्रिया राय, अंजनी अग्रवाल, आदर्श सिंह, सुमित लड्ढा, उमंग कुमार शाह, संजय कुमार, विवेक ढींगरा, सुरेश कुमार खंडेलवाल ने इकाइयों के लाइसेंस लेने में आ रही दिक्कतों एवं विभाग के स्तर पर शोषण पर ध्यान दिलाया। उद्यमी सतीश गुप्ता ने कहा कि उद्यमी यदि दृढ़ संकल्पी न हो तो उसकी आधी ऊर्जा और शक्ति सिर्फ लाइसेंस बनवाने में खर्च हो जाएगी। विभिन्न विभाग औपचारिकताएं पूरी करने-कराने में इतना झेला देते हैं कि इकाई शुरू करने तक लागत कई गुना बढ़ जाती है। पीयूष अग्रवाल ने बताया कि मंडी शुल्क की अनिवार्यता और विभागीय अधिकारियों की कार्यप्रणाली के चलते यहां के कई उद्यमियों ने यूपी-बिहार बार्डर पर फ्लोर मिल खोले हैं क्योंकि बिहार में एक तो मंडी शुल्क नहीं, दूसरे वहां बात-बात पर टोकाटोकी नहीं है। उन्होंने उदाहरण दिया कि यहां मंडी समिति के अधिकारी किसानों से घोषित समर्थन मूल्य 2440 रुपये/कुंतल पर ही गेहूं खरीद का दबाव बना रहे हैं। बिहार में अधिक रेट पर खरीदारी को देखते हुए यहां के फ्लोर मील संचालकों ने भी 2600 रुपये के रेट पर गेहूं लेना शुरू कर दिया लेकिन यह बात अफसरों को पसंद नहीं आ रही है। इंडस्ट्रियल एसोसिएशन के सुरेन्द्र सोनी और अंजनी अग्रवाल ने कहा कि अफसरों पर किसी का अंकुश नहीं है।

90 प्रतिशत सब्सिडी का लाभ नहीं

ऋषभ जैन, राकेश जायसवाल, शोएब अहमद, आदर्श सिंह, शरद अग्रसेन, विनम्र अग्रवाल, रितेश बाधवानी ने बताया कि ज्यादातर उद्यमियों को शासन की नीति के अनुसार सब्सिडी समय से नहीं मिल रही है। यूनिट शुरू होने के काफी समय बाद तक सब्सिडी नहीं मिलती।

उद्यमियों को वर्षों से इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी नहीं

विद्युत सुरक्षा विभाग उद्यमियों का शोषण करता है। समय-समय पर बिना वजह नोटिस जारी होती है। उद्यमियों को 7.5 प्रतिशत इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी वर्षों से लंबित है। उद्यमियों के अधिकार का पैसा उनको नहीं दिया जाता है। बार-बार विभाग में इसकी शिकायत की गई लेकिन सुनवाई नहीं होती है।

रामनगर फेज एक में बिजली का सब स्टेशन स्वीकृत है। लेकिन तीन साल बाद भी निर्माण शुरू नहीं हुआ है। औद्योगिक क्षेत्र में कई जगह बिजली के तार जर्जर हो गए हैं, उनको बदलने की जरूरत है।

सुझाव

1. उद्योगों को फ्री होल्ड किया जाए। विभागीय जकड़न के कारण उद्योग संचालन में कठिनाई हो रही है। 30-35 साल पुरानी फैक्ट्रियों का फिर नक्शा पास कराने का दबाव न बनाया जाए।

2. रामनगर फेज एक व दो में बदहाल सड़क सड़कों की मरम्मत कराई जाए। फेज-2 के प्रवेश मार्ग पर सड़क का चौड़ीकरण शीघ्र हो। फेज एक में पटनवां-सिंधीताल मार्ग का निर्माण हो।

3. मंडलीय व जिला उद्योग बंधु की बैठकों में जो निर्णय हों। उनका पालन संबंधित विभागों में सुनिश्चित किया जाए। तभी इन बैठकों की सार्थकता होगी।

4. पूर्वांचल में रोजगार बढ़ाने के लिए सरकार को उद्योगों में कुशल कामगार, तकनीशियन उपलब्ध कराना चाहिए। नये उद्योगों को प्रोत्साहन की नीति लागू हो।

5. 1000 दिन तक उद्योगों के संचालन में किसी तरह की समस्या नहीं होने की नीति का पालन हो। बैंकों समेत अन्य विभागों को इस नियम के पालन की सख्त हिदायत दी जाए।

शिकायतें

1. यूपीसीडा 30-35 साल पुरानी फैक्ट्रियों का फिर से नक्शा पास कराने का दबाव बनाता है। जो एग्रीमेंट का उल्लंघन है।

2. रामनगर फेज दो में प्रवेश मार्ग पर सड़क खराब है, यहां चौड़ीकरण भी होना है लेकिन अब तक काम शुरू नहीं हुआ है। फेज एक में पटनवां-सिंधीताल मार्ग बहुत बदहाल है।

3. मंडलीय व जिला उद्योग बंधु की बैठकों में जो निर्णय होते हैं, विभाग उनका पालन नहीं करते हैं। इसका खामियाजा उद्यमी भुगतते हैं।

4. उद्योगों में कुशल कामगारों की कमी है। जिससे उत्पादन पर प्रभाव पड़ता है। नये उद्योग को शुरू करने में विभागों के चक्कर काटने पड़ते हैं।

5. 1000 दिन उद्योग संचालन में किसी तरह की एनओसी की नीति है। लेकिन इसका कोई विभाग पालन नहीं करते हैं। बैंक बिना एनओसी के ऋण नहीं देता।

रामनगर औद्योगिक एसोसिएशन

मन की बात

विभागों को उद्योग संचालन में आ रही कठिनाइयों का समाधान कराना चाहिए, संवाद स्थापित करना चाहिए।

देव भट्टाचार्य

विद्युत सुरक्षा विभाग से उद्यमियों को लंबे समय से इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी का राशि नहीं मिली है।

सतीश गुप्ता

लंबे समय से उद्यमियों को विभिन्न विभागों की सब्सिडी नहीं मिली है, जो जल्द मिलनी चाहिए।

अजय राय

यूपीसीडा का कार्यालय करखियांव जाने से समस्या बढ़ी है। इसे शहर में होना चाहिए।

जयप्रकाश पाण्डेय

मंडी समिति से लाइसेंस के लिए कई माह से परेशान हूं। उद्यमियों को सहूलियत मिलनी चाहिए तो दिक्कतें खड़ी की जाती हैं।

सारिका राय

पहले निर्यात पर क्रेडिट मिलता था

अशोक सुल्तानिया

फूड का लाइसेंस बनवाने में उद्यमियों को चक्कर काटना पड़ता है।

पंकज बिजलानी

निवेश मित्र पोर्टल का नाम निवेश शत्रु होना चाहिए। सिंगल विंडो सिस्टम की व्यवस्था करे तो राहत मिलेगी।

चंद्रेश्वर जायसवाल

रामनगर इंडस्ट्रियल एसोसिएशन

हमारी बात

औद्योगिक क्षेत्रों को फ्री होल्ड करना चाहिए। तभी उद्योगों का लाभ पहुंचेगा।

आरके चौधरी

औद्योगिक नीति 2022 अच्छी है, सरकार की मंशा अच्छी है लेकिन विभागीय स्तर पर बाधाएं बहुत हैं।

दयाशंकर मिश्र

चंदौली के किसान बिहार में जाकर गेहूं बेचना पसंद करते हैं लेकिन कुछ किलोमीटर दूर पड़ाव नहीं आते।

पीयूष अग्रवाल

विभागों को फैसिलिटेटर की भूमिका निभानी चाहिए न कि बाधाएं खड़ी करनी चाहिए।

ऋत्विक जैन

विद्युत सुरक्षा से एनओसी, बिजली कनेक्शन, भवन का नक्शा, भू-उपयोग बदलवाना उद्यमी के लिए सिरदर्द है।

रतन कुमार सिंह

पटनवां-सिंधीताल में सड़क बदहाल है। बारिश में फैक्ट्रियों में पानी चला जाता है, उद्योग चलाना कठिन है।

शैलेंद्र अग्रवाल

एमएसएमई सेक्टर में कॉरपोरेट कंपनियों के नियम लगाए जा रहे हैं, रोजगार बढ़ाने को सरकार को संरक्षण देना चाहिए।

सुनील अग्रवाल

विभागों की मनमानी के चलते ट्रांसपोर्टर औद्योगिक क्षेत्र में आना नहीं चाहते। विभागीय टीम किसी न किसी बात पर वाहन पकड़ते हैं।

अनिल कुमार तिवारी

--कोट--

यदि पुरानी फैक्ट्रियों के नक्शे, एनओसी दिखा दें तो नए की जरूरत नहीं है। हर साल एक जनवरी और एक जुलाई को लीज रेंट और रखरखाव शुल्क बकाया हो जाता है। डाक से भेजने में देरी संभव है। उद्यमियों की सभी शिकायतों का समाधान कराया जाएगा, जल्द उद्यमियों के साथ संवाद करेंगे।

आशीषनाथ, क्षेत्रीय प्रबंधक, यूपीसीडा

उद्योग संचालन में उद्यमियों को किसी प्रकार की समस्या को लेकर उनके साथ जल्द ही एक बैठक करेंगे। उनकी समस्याओं की एक रिपोर्ट तैयार करके उच्च अधिकारियों व संबंधित विभाग को भेजा जाएगा तथा समाधान कराने का पूरा प्रयास होगा।

उमेश कुमार सिंह, संयुक्त आयुक्त उद्योग

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