बोले काशी : नशेड़ियों को रोड से खदेड़ा तो पार्क में जमावड़ा
Varanasi News - वाराणसी के बासदेव नगर के निवासी बाहरी नशेड़ियों से परेशान हैं। पार्क का रखरखाव न होने से यह अवांछित तत्वों का अड्डा बन गया है। कॉलोनी में सीवर, सड़क, और सफाई की समस्याएं भी हैं। नगर निगम की अनदेखी और...
वाराणसी। शहरीकरण का विस्तार सुनने और दिखने में अच्छा लगता है। कॉलोनी के आकर्षक मकान, प्राय: सभी दरवाजे पर चारपहिया वाहन। लेकिन यह मुखौटा होता है। उस मुखौटे पर कुछ स्थानीय, कुछ बाहरी लोग अपनी हरकतों से दाग लगा देते हैं तो कई बुनियादी समस्याएं चेहरे पर खरोंच लगाती हैं। पहड़िया चौराहे से सटे बासदेव नगर के बाशिंदे बाहरी नशेड़ियों से तंग हैं। उन्होंने कॉलोनी के पार्क को अड्डा बना लिया है। उनके ही एक ग्रुप ने कुछ दिन पहले कॉलोनी के पास इंस्पेक्टर का सिर फोड़ दिया था। पहड़िया चौराहा तीन थाना क्षेत्रों-जैतपुरा, सारनाथ और पांडेयपुर-लालपुर की सीमाओं पर स्थित है।
चौराहे से आशापुर, अशोक विहार, अकथा और पांडेयपुर जानेवाली सड़कें सीमा निर्धारण करती हैं। बासदेव नगर है जैतपुरा थाना क्षेत्र में मगर साबका बाकी थानों से भी पड़ता है। इस भौगोलिक स्थिति का बाशिंदों को लाभ कम मिलता है। परेशानियां अधिक झेलनी पड़ती हैं। ‘हिन्दुस्तान से बातचीत के दौरान बासुदेव नगर कालोनी नागरिक कल्याण समिति के अध्यक्ष जयप्रकाश पांडेय और हरिमोहन श्रीवास्तव ने कहा, लगभग हजार लोगों की आबादी की सबसे बड़ी समस्या यह है कि बाहर के अराजक तत्व यहां माहौल खराब करते हैं और आराम से गायब हो जाते हैं। बताया कि सन्-1990 में कॉलोनी बसने के साथ एक लंबा-चौड़ा पार्क भी बना। उसमें ओपेन जिम, पाथवे के साथ वीडीए ने स्ट्रीट लाइट और हरियाली की भी व्यवस्था की। नगर निगम को स्थानांतरित होने के बाद पार्क का रखररखाव बंद हो गया। एक-एक कर सभी व्यवस्था नष्ट होती गई। शाम के बाद अंधरे से घिर जाने वाला पार्क नशेड़ियों का सुरक्षित अड्डा बन जाता है। हर सुबह भारी मात्रा में शराब-बियर की बोतलें बिखरी मिलती हैं। राजकुमार जायसवाल ने कहा कि एक-दो बार टोकने पर मारपीट की नौबत आ गई। धमकियां मिलने लगीं। पुलिस ने शुरू में एक-दो बार खदेड़ा, फिर शांत हो गई। उन्होंने बताया कि कॉलोनी के लोग विवाद से बचने के लिए अब नहीं बोलते। बाशिंदों ने यह भी बताया कि कुछ दिन पहले कॉलोनी के पार्क में ही शराब-बियर पीने के बाद मनबढ़ युवकों ने पहड़िया-अशोक विहार कॉलोनी की रोड पर उपद्रव शुरू किया था। उन्हें नियंत्रित करने पहुंचे लालपुर थाना प्रभारी का उपद्रवियों के पथराव से सिर फट गया था। गोपाल सिंह ने कहा- ‘यहां भी मनबढ़ों ने थानों की सीमा का लाभ उठाया। वे जानते हैं कि बासदेव नगर में लालपुर या सारनाथ की पुलिस नहीं आ सकती। इसलिए उनकी गतिविधियां बेरोकटोक जारी हैं। उस घटना के बाद से कॉलोनी की महिलाओं, छात्राओं के बीच तनाव का माहौल है। उपेक्षा का चिंताजनक नमूना कॉलोनी कल्याण समिति के अध्यक्ष जयप्रकाश पांडेय, रामचंद्र अग्रवाल ने कहा कि हमारा पार्क नगर निगम की उपेक्षा का बेहतरीन नमूना है। रखरखाव के लिए कई बार आग्रह अनसुना हो गया तो हम सभी ने खुद ही पार्क का पॉथवे बनवाया। हफ्ते में एक दिन सभी नागरिक पार्क की सफाई के लिए श्रमदान करते हैं ताकि कम से कम सुबह टहलने में सुविधा रहे। दिखाया कि ओपेन जिम खराब हुए साल भर से अधिक हो गए। पार्क में लगीं स्ट्रीट लाइटें भी तभी से खराब पड़ी हैं। अशोक कुमार गुप्ता ने कहा कि इलाके के पार्षद इधर नहीं आते। बहुत से लोगों ने उनका चेहरा भी नहीं देखा होगा। इसलिए उनसे पार्क या दूसरी समस्याओं के समाधान की कितनी उम्मीद की जाए? सड़कों तक ही सफाई अरुण पांडेय, डॉ. राजुल विवेक, एमएस साहू ने घूमकर दिखाया कि कॉलोनी के चौतरफा सड़कों पर ही झाड़ू लगती है। सारनाथ के नाते एक तरह से यह वीआईपी रोड भी है। इसलिए नगर निगम का मेन रोड की सफाई और कूड़ा उठान पर अधिक जोर रहता है। कॉलोनी के अंदर सफाईकर्मी भूले-भटके आ जाते हैं। इस अव्यवस्था का असर दिखता भी है। मेन गेट से कुछ दूर अंदर जाने के बाद ही कूड़ा-कचरा बिखरा रहता है। डस्टबिन के अभाव में कूड़ा रखने का नियत स्थान नहीं है। कमलेश तिवारी ने बताया कि कूड़ा उठाने वाली गाड़ी रोज नहीं आती। इसलिए भी गंदगी अधिक दिखती है। मुद्दत से सड़क क्षतिग्रस्त आलोक यादव, संतोष जायसवाल ने ध्यान दिलाया कि पड़ोस की अशोक विहार फेज-वन और द्वितीय, चौराहा के दूसरी ओर गौतम नगर आदि कॉलोनियों की सड़कों का साल भर के अंदर कायाकल्प हो गया मगर बासदेव नगर में लगभग 500 मीटर सड़क मरम्मत का हम दो साल से इंतजार कर रहे हैं। पिछले लोकसभा चुनाव में यहां सत्तारूढ़ दल की सभा के दौरान सड़क बनवाने का आश्वासन मिला था, वह भी पूरा नहीं हुआ है। कम्युनिटी हाल की जगह कूड़ा डंपिंग कालोनी के अध्यक्ष जयप्रकाश पांडेय, राजकुमार जायसवाल प्रिंस ने बताया कि निर्माण के समय ही कालोनी में 3200 स्क्वायर फीट जगह कम्युनिटी हाल और मंदिर के लिए छोड़ी गई थी। नागरिकों के परस्पर सहयोग से मंदिर तो बन गया मगर सामुदायिक भवन न तो वीडीए ने बनाया और न ही बाद में नगर निगम ने इस ओर ध्यान दिया। अब वह जगह कूड़ा का डंपिंग ग्राउंड बन गई है। गंदगी से मच्छरों का प्रकोप बना रहता है। लोगों को समय-समय पर अपने खर्च से फॉगिंग करानी पड़ती है। सामुदायिक भवन के लिए कालोनी के लोग तब से गुहार लगाते पर आ रहे हैं परन्तु अब तक आश्वासन ही मिला है। सीवर लाइन छोड़ दी अधूरी वरुणापार में सीवर लाइन बिछाने के नाम पर हुए खेल के शिकार बासदेव नगर कॉलोनी के लोग भी हुए हैं। जयप्रकाश पाण्डेय, दयाशंकर त्रिपाठी, शशिकेश सिंह ने बताया कि आधी कॉलोनी तक ही सीवर लाइन बिछी है और उसका कनेक्शन भी अब तक घरों से नहीं हुआ है। इसलिए उसका बिछना, न बिछना बराबर है। उन्होंने बताया कि इस समस्या की जानकारी सभी जनप्रतिनिधियों को है। दूसरी कॉलोनियों में उनके प्रयासों से सीवर समस्या लगभग दूर हो चुकी है लेकिन हम लगभग 15 वर्षों से झेल रहे हैं। चौराहा की रोशनी से रोशन अभिषेक श्रीवास्तव, कमलेश तिवारी ने तंज किया कि हम पहड़िया चौराह पर लगी लाइटों की रोशनी से रात के वक्त जगमग रहते हैं। नगर निगम ने भी मान लिया है कि काम चल ही जा रहा है तो कॉलोनी के अंदर स्ट्रीट लाइटें लगवाने की जरूरत क्या है? एक दर्जन पोल पर स्ट्रीट लाइट नहीं हैं। मकानों में जलने वाले बल्ब की रोशनी रात में आवागमन के दौरान मदद करती है। जयप्रकाश पांडेय ने कहा कि हर साल सात दिवसीय मानस सम्मेलन के समय कॉलोनी के लोग ही लाइट का इंतजाम करते हैं। उस समय भी नगर निगम ध्यान नहीं देता। मूर्ति विसर्जन के बाद नहीं ली खोजखबर पहड़िया चौराहा से अशोक विहार कॉलोनी की रोड पर 100 कदम बढ़ने पर दाहिन हाथ एक प्राचीन और विशाल तालाब है। निर्माणकर्ता ने लगभग 8 दशक पहले तीन तरफ से पक्की सीढ़ियां बनवाई थीं। कभी इसके इर्दगिर्द पीपल-पाकड़, बरगद और नीम के विशाल पेड़ हुआ करते थे। समय बदलने के साथ 90 प्रतिशत पेड़ कट चुके हैं। तालाब में में हमेशा हाथी की डुबान भर पानी रहता है। देखरेख के अभाव में तालाब का पानी गंदा हो गया है। उसके चारो ओर सफाई की दरकार है। राजकुमार जायसवाल ने बताया कि बीते कुछ वर्षों से तालाब में मूर्ति विसर्जन भी हो रहा है। बीते शारदीय नवरात्र के बाद भी मूर्तियों का विसर्जन हुआ मगर नगर निगम ने उसके बाद खोज-खबर नहीं ली। कई दिनों तक इंतजार के बाद स्थानीय लोगों ने जितना हो सका, सफाई करवाई। स्वच्छता का ध्यान रखते हुए यहां अब शाम को आरती भी होती है। सुझाव 1. बासदेव नगर के पार्क में अराजक तत्वों की आवाजाही कठोरता से रोकी जाए ताकि महिलाएं और छात्राएं खुद को सुरक्षित महसूस करें। 2. नगर निगम कॉलोनी के पार्क का यथाशीघ्र जीर्णोद्धार करवाए। ओपेन जिम की मरम्मत के साथ यहां के लिए एक माली और सफाई कर्मी की नियुक्ति की जाए। 3. पार्क समेत सभी सड़कों की स्ट्रीट लाइटें बदली जाएं। पार्क में एक हाईमास्ट लगने से अधिक सहूलियत होगी। 4. कॉलोनी में सीवर लाइन का अधूरा काम पूरा कराया जाए। उससे सभी घरों के कनेक्शन जोड़े जाएं ताकि लोगों को बरसात में परेशानी न हो। 5. पहड़िया तालाब की विधिवत सफाई हो। उसके चारो ओर लाइटिंग की व्यवस्था की जाए। उसमें गंदा पानी गिरने से रोका जाए। शिकायतें 1. कॉलोनी के पार्क में आए दिन शराबियों और अवांछनीय तत्वों का जमावड़ा लगता है। इससे कॉलोनी का माहौल खराब होता है। महिलाएं शाम को घरों से बाहर नहीं निकलतीं। 2. देखरेख के अभाव में कॉलोनी के पार्क की लगभग सभी सुविधाएं नष्ट हो चुकी हैं। कूड़ा-कचरा हर ओर बिखरा रहता है। डस्टबिन भी नहीं रखा गया है। 3. कॉलोनी के पार्क और सड़कों पर लगी स्ट्रीट लाइटें मुद्दत से खराब पड़ी हैं। कॉलोनी की सड़क भी ज्यादातर क्षतिग्रस्त है। 4. कॉलोनी में लगभग 15 वर्ष पहले आधी-अधूरी सीवर लाइन बिछी। उससे घरों का कनेक्शन भी नहीं हुआ है। 5. बीते शारदीय नवरात्र के बाद से पहड़िया के प्राचीन तालाब की सफाई नहीं हुई है। उसके चारो ओर झाड़ियां जम गई हैं। लाइट की कमी अखरती है। सुनें हमारी बात कॉलोनी के पार्क को शराबियों का अड्डा बनने से रोका जाए। उनसे माहौल खराब होता है। महिलाएं घरों से बाहर नहीं निकलतीं। -जयप्रकाश पांडेय सामुदायिक भवन के लिए छोड़ी गई जमीन पर निर्माण तो नहीं हुआ, वहां कूड़ा डंपिंग ग्राउंड जरूर बना दिया गया है। -राजकुमार जायसवाल ‘प्रिंस नगर निगम ने भी मान लिया है कि काम चल ही जा रहा है तो कॉलोनी में स्ट्रीट लाइटें लगवाने की जरूरत क्या है? -कमलेश तिवारी डेढ़ दशक पहले आधी कॉलोनी तक सीवर लाइन बिछी है। उसका कनेक्शन भी अब तक घरों से नहीं हुआ है। -शशिकेश सिंह नगर निगम का मेन रोड की सफाई और कूड़ा उठान पर अधिक जोर रहता है। कॉलोनी में सफाईकर्मी भूले-भटके आते हैं। -डॉ. राजुल विवेक ओपेन जिम खराब हुए साल भर से अधिक हो गए। पार्क में लगीं स्ट्रीट लाइटें भी तभी से खराब हैं। यहां हाईमास्ट लगना चाहिए -रामचंद्र अग्रवाल वीडीए ने नगर निगम को व्यवस्थित पार्क सौंपा था मगर देखरेख न होने से सब व्यवस्था नष्ट हो गई। यहां माली तैनात होना चाहिए। -हरिमोहन श्रीवास्तव आसपास की कॉलोनियों की सड़कों का कायाकल्प हो गया मगर हम दो साल से अपनी सड़क बनने का इंतजार कर रहे हैं। -आलोक कुमार यादव कॉलोनी के लिए एक सफाईकर्मी की तैनाती हो। नियमित कूड़ा उठान की भी व्यवस्था सुनिश्चित हो। पार्षद इसकी मॉनिटरिंग करें। -अशोक कुमार गुप्ता बासदेव नगर के बाशिंदे 15 वर्षों से सीवर समस्या झेल रहे हैं। यह समस्या अधूरी सीवर लाइन बिछने के चलते है। -दयाशंकर त्रिपाठी गंदगी से मच्छरों का प्रकोप बना रहता है। लोगों को समय-समय पर अपने खर्च से फॉगिंग करानी पड़ती है। -अरुणप्रकाश पांडेय
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