विकास महाराज के सरोद में मुखर हुई गंगा की पीड़ा
Varanasi News - वाराणसी में संकटमोचन संगीत समारोह की पहली निशा में पं. विकास महाराज ने सरोद वादन से मां गंगा की व्यथा को प्रस्तुत किया। उन्होंने राग चारुकेशी से शुरुआत की और राग भैरवी में समाप्त किया। डॉ. येल्ला...

वाराणसी, मुख्य संवाददाता। संकटमोचन संगीत समारोह की पहली निशा के उत्तरार्द्ध में तीन दिग्गज कलाकारों की प्रस्तुतियां हुईं। इनमें सबसे यादगार प्रस्तुति काशी के पं. विकास महाराज के सरोद वादन की रही। उन्होंने सरोद के सुर से मां गंगा की व्यथा जनमानस तक पहुंचाई। उन्होंने सरोद वादन से श्रोताओं के मन मस्तिष्क को झंकृत किया।
पं. विकास महाराज ने अपनी संगीत रचना ‘गंगा के वादन के माध्यम से काशी में गंगा के पूर्व के स्वरूप को प्रस्तुत किया। सरोद के तारों से निकली ध्वनि ने ऐसा प्रभाव उत्पन्न किया कि श्रोताओं ने मां गंगा को प्रदूषण से कराहते हुए महसूस किया। इस रचना के अंतिम चरण में एक बार पुन: गंगा के पुरातन स्वरूप में आने की प्रार्थना मुखर हुई। इससे पूर्व पं. विकास महाराज ने वादन की शुरुआत राग चारुकेशी में आलाप से की। जोड़ और झाला से वादन को विस्तार देने के बाद उन्होंने समयानुसार राग भैरवी की ओर संगीत यात्रा बढ़ाई। अंत में उन्होंने अपनी एक और संगीत रचना ‘हृदय से वादन को विराम दिया। उनके साथ सितार पर अभिषेक महाराज एवं तबला पर प्रभाष महाराज ने यादगार संगत की।
इससे पूर्व हैदराबाद के डॉ. येल्ला वेंकटेश्वर राव ने पखावज पर अपनी जादूगरी दिखाई। पहली निशा की पांचवीं प्रस्तुति लेकर मंचासीन हुए पद्मभूषण डॉ. येल्ला वेंकटेश्वर राव ने अपनी ख्याति के अनुरूप वादन किया। पखावज पर उनकी अंगुलियों का जादू श्रोताओं के सिर चढ़कर बोला। उन्होंने आदि ताल में पखावज वादन के विविध रंग प्रस्तुत किए। उनके साथ बोल पढ़ंत और सितार की संगति ने पखावज वादन को और भी प्रभावी बना दिया। इसके बाद बेंगलुरु के प्रवीण गोड़खिंडी ने बांसुरी की स्वर लहरियों से रात्रि के तीसरे प्रहर में माधुर्य घोला। उन्होंने अपने पिता वेंकटेश्वर गोड़खिंडी की स्मृति में बनाए गए राग वेंकटेश कौंस का वादन किया। राग चंद्रकौंस के समकक्ष इस राग के वादन के दौरान उन्होंने लयकारी का जबरदस्त काम दिखाया। अंत में नौ मात्रा का अंतरा बजाया। जिस बांसुरी पर यह अंतरा बजाया गया उसका निर्माण खासतौर से प्रवीण गोड़खिंडी ने कराया है जो पंचम तक जा सकती है। उनके साथ तबला पर संगत कोलकाता के युवा कलाकार ईशान घोष ने की।
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