संस्कृत जगत में अहम है संविवि का योगदान : डॉ. गणेश दत्त
Varanasi News - वाराणसी के संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में संस्कृत की प्राचीनता और महत्व पर चर्चा की गई। राष्ट्रपति पुरस्कृत डॉ. गणेश दत्त शास्त्री ने बताया कि यह विश्वविद्यालय भारतीय परंपरा और ज्ञान का प्रतीक...

वाराणसी। संस्कृत विश्व की भाषाओं में सबसे प्राचीन और परिपूर्ण है। यह भाषा विशिष्ट भारतीय परंपरा, ज्ञान भंडार और विचार का प्रतीक है। संस्कृत जगत के अभ्युदय में संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय का अहम योगदान है। संस्कृत विश्वविद्यालय के स्थापना दिवस पर सोमवार को दशाश्वमेध स्थित शास्त्रार्थ महाविद्यालय में आयोजित गोष्ठी में राष्ट्रपति पुरस्कृत पूर्व प्राचार्य डॉ. गणेश दत्त शास्त्री ने यह बातें कही। बताया कि आपसी सहिष्णुता और प्राच्य भाषाई ज्ञान का यह विश्वविद्यालय प्रमुख केंद्र रहा है। यहां विदेशी भी संस्कृत ज्ञान सीखने आते रहे हैं। विशिष्ट वक्ता काशी पण्डित सभा के मंत्री डॉ. विनोद राव पाठक ने कहा कि विश्वविद्यालय पूरे विश्व में अपनी एक अलग पहचान रखता है। कार्यक्रम संयोजक शास्त्रार्थ महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. पवन कुमार शुक्ल ने कहा कि यह संस्था बनारस का गौरवशाली अतीत दर्शाती है। यहां वेद, वेदांत, पुराण, आयुर्वेद, साहित्य,ज्योतिष, धर्मशास्त्र, मीमांसा, न्याय आदि प्राच्य विषयों के अध्यापन की व्यवस्था है। इस अवसर पर कई संस्कृत महाविद्यालयों के शिक्षक और सेवानिवृत्त अध्यापकों ने भी विचार रखे। अध्यक्षता पूर्व चिकत्साधिकारी डॉ. सारनाथ पाण्डेय ने किया। धन्यवाद ज्ञापन टीकमाणी डिग्री कॉलेज के प्रवक्ता डॉ. आमोद दत्त शास्त्री ने दिया।
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