Subhash Nagar s Roads 12 Years of Neglect and Growing Anger Among Locals बोले हरिद्वार : सुभाषनगर में सड़क की 12 साल से मरम्मत तक नहीं हुई, Haridwar Hindi News - Hindustan
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बोले हरिद्वार : सुभाषनगर में सड़क की 12 साल से मरम्मत तक नहीं हुई

सुभाष नगर में सड़कों की स्थिति बेहद खराब है। पीएससी रोड पर 12 वर्षों से मरम्मत नहीं हुई है, जिससे स्थानीय लोगों में आक्रोश है। जनप्रतिनिधियों ने चुनावी मुद्दा बनाया था, लेकिन आज भी सड़क की स्थिति जर्जर...

Newswrap हिन्दुस्तान, हरिद्वारTue, 15 April 2025 10:02 AM
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बोले हरिद्वार : सुभाषनगर में सड़क की 12 साल से मरम्मत तक नहीं हुई

सुभाष नगर में शायद की कोई ऐसी सड़क होगी जिसमें गड्ढे न हों। यहां की सर्वाधिक दबाव वाली सड़क पीएससी और डीपीएस रानीपुर सड़क पर इतने गड्ढे हैं कि पता ही नहीं चलता कि सड़क कहां है। सुभाष नगर की पीएससी रोड पर 12 वर्षों से मरम्मत नहीं हुई है। वर्ष 2013-14 में जिला योजना से बनी 300 मीटर सड़क के हिस्से को सभासद से लेकर सांसद तक ने चुनावी मुद्दा बनाया। चुनाव में जनप्रतिनिधि तो जीतते गए लेकिन सड़क आज भी बदहाल है। स्थानीय लोगों का कहना है कि जनप्रतिनिधियों ने सड़क बनवाना तो दूर इसकी मरम्मत तक कराना मुनासिब नहीं समझा। इससे स्थानीय लोगों में आक्रोश है और जनप्रतिनिधियों के प्रति कड़ी नाराजगी भी है। हरिद्वार से प्रवीण कुमार पेगवाल की रिपोर्ट...

भेल और पीएसी एवं डीपीएस रानीपुर कॉलेज को जोड़ने वाली सबसे महत्वपूर्ण और दबाव वाली सुभाष नगर की 300 मीटर लंबी सड़क बदहाल है। सड़क में हुए गड्ढों के कारण यहां 12-13 हजार की आबादी के साथ ही प्रतिदिन आवागमन करने वाले राहगीर भी परेशान हैं। आए दिन गड्डों में आकर ऑटो रिक्शा पलटना तो आम बात हो गई है। इसके बावजूद लोक निर्माण विभाग और जनप्रतिनिधि ध्यान नहीं दे रहे हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि भेल से सुभाष नगर की यह मुख्य सड़क है। इस सड़क पर भेल, पीएसी, औद्योगिक क्षेत्र सिडकुल और स्कूल के साथ-साथ ज्वालापुर समेत कई कॉलोनियों के लोगों का आवागमन होता है। स्थानीय लोगों का कहना है कि वर्ष 2013-14 में यह सड़क पूर्व कांग्रेस संसदीय कार्य मंत्री केंद्र सरकार के हरीश रावत ने जिला योजना से इस सड़क का निर्माण 39.37 लाख रुपये की लागत से कराया था। उस समय भेल परिसर सेक्टर-तीन से न्यू सुभाष नगर कॉलोनी तक बनाई गई थी। आज यहां की आबादी बढ़कर 12 हजार से ज्यादा पहुंच गई है। तब से अब तक यह सड़क न बनने से टूटकर गड्ढों में तब्दील हो चुकी है।

स्थानीय लोगों का कहना है कि कई बार लोक निर्माण विभाग और नपा के अधिकारियों को पत्र देकर सड़क निर्माण की मांग की है, लेकिन लोगों की सुनवाई नहीं हुई। कहा कि काफी समय से सड़क क्षतिग्रस्त है। सड़क पर आए दिन दोपहिया वाहन चालक दुर्घटना का शिकार हो रहे हैं। यह सड़क जनहित में जल्द बननी चाहिए। स्थानीय लोगों का कहना है कि निकाय चुनाव से लेकर विधायक और लोकसभा तक लोगों को विश्वास में लेकर सड़क बनाने का आश्वासन देते हैं। प्रत्येक दलों के प्रत्याशियों और नेताओं का चुनावी मुद्दा भी केवल सड़क बनाना ही होता है। लेकिन चुनाव जीतने के बाद न तो नेता दिखाई देते हैं और न ही प्रत्याशी ही उनके बीच आते हैं। उन लोगों को केवल वोट लेने की मशीन बनाकर रख दिया गया है। स्थानीय लोगों का कहना है कि ऐसा कोई दिन नहीं होता जब सड़क में बने गड्ढों में आकर राहगीर चोटिल नहीं होते हैं। कहा कि पहले नपा और फिर पीडब्ल्यूडी कार्यालय के चक्कर काटकर लोग थक चुके हैं। लेकिन एक भी शिकायत पर अधिकारियों ने संज्ञान नहीं लिया है।

स्थानीय लोग श्रमदान कर कराते हैं सड़क की मरम्मत

नगर पालिका और लोनिवि के अधिकारियों को शिकायत देने के बाद भी सड़क की न तो मरम्मत हुई और न ही निर्माण की गई। स्थानीय लोगों का कहना है कि लोग आपस में चंदा इकट्ठा कर सड़क के गड्ढों की मरम्मत कराते हैं। उनका कहना है कि यह अधिकारियों ने लिए एक प्रकार से आईना दिखाना भी है। उसके बाद भी न तो नपा और न ही लोनिवि के अधिकारी इसमें संज्ञान लेते हैं। स्थानीय लोगों की माने तो नपा के बड़े पदाधिकारी ने तो सड़क बनाने से इंकार कर दिया। इससे लोग भी खासे खफा हैं।

स्कूली बच्चों को ई-रिक्शा में खतरा

स्थानीय लोगों का कहना है कि स्कूल के काफी बच्चे इस रोड से होकर आते जाते हैं। कुछ के लिए स्कूल वाहन लगाया है तो कई अपने संसाधनों से आवागमन करते हैं। दोनों ही स्थिति में यात्रा काफी कष्टकारी हैं। वाहनों का मेंटिनेंस मुश्किल हो रही है। ई-रिक्शा में बच्चों को खतरा बना रहता है।

एक सप्ताह पहले दिया पालिका को प्रस्ताव

स्थानीय लोगों का कहना है कि हाल ही में नपा अध्यक्ष और अधिकारियों के साथ एक समन्वय बैठक सुभाष नगर में आयोजित की थी। इसमें पालिकाध्यक्ष और अधिकारी भी मौजूद थे। यहां पर भी उनके सामने सड़क की स्थिति को रखा गया। साथ ही सड़क का प्रस्ताव भी बनाकर सौंपा गया। लेकिन नपा ने सड़क अपनी होने से ही इंकार कर दिया। जबकि यहां के लोग नपा का हिस्सा है। लोगों के इस प्रस्ताव पर सड़क बनाने की न तो सहमति बनी और न ही इसे बोर्ड बैठक में रखने का आश्वासन तक दिया गया। स्थानीय लोगों का कहना है कि सभी बातें टाल दी गई। अब लोगों को समझ नहीं आ रहा है कि इस सड़क का निर्माण कराने के लिए वह किसके पास जाएं।

सुबह और शाम अधिक दबाव के चलते होती है परेशानी

स्थानीय लोगों का कहना है कि सुबह और औद्योगिक क्षेत्र एवं भेल के कर्मचारियों की ड्यूटी छूटती है। उस समय इस तंग सड़क पर सुभाष नगर और भेल से आने जाने वाले लोगों की गड्डों के कारण भीड़ लग जाती है। क्योंकि तंग सड़क और ऊपर से रास्ते पर वाहनों का भारी दबाव बन जाता है। सड़क की मरम्मत या निर्माण कार्य होता है तो कहीं न कहीं लोगों को जाम की समस्या के साथ टूटी सड़क से भी छुटकारा मिल सकता है। स्थानीय लोगों का कहना है कि टूटी सड़क दुर्घटना का कारण बनी हुई है। अधिकारी संज्ञान लेने को तैयार नहीं है और नपा के वास इतना बजट नहीं है कि वह इस 300 मीटर के बड़े हिस्से को निर्माण कर सकें।

बोले जिम्मेदार

नगर पालिका शिवालिक नगर के अधिसाशी अधिकारी सुभाष कुमार का कहना है कि सुभाष नगर की टूटी सड़क का मामला जानकारी में दो दिन पहले ही आया है। इस संबंध में लोगों ने शिकायत दी है। अधिनिस्थ कर्मचारियों को मौके पर भेजकर रिपोर्ट मंगाई जाएगी। सड़क की रिपोर्ट आने के बाद ही सही जानकारी का पता चल पाएगा कि सड़क पालिका की है या किसी ओर संस्थान की।

सुझाव

1. पालिका या लोनिवि के अधिकारी इस सड़क का सर्वे करें जहां लोग टूटी सड़क के गड्डों में आकर चोटिल हो रहे हैं। उनको भरवाया जाए। या फिर सड़क का निर्माण कार्य हो।

2. सड़क का सर्वे कर बाद में सड़क का स्टिमेट बनाकर प्रस्ताव बोर्ड बैठक में लाया जाएं। ताकि बजट आने पर इन सड़कों को बनाया जा सके।

3. अधिकारी मौके पर आएंगे तो लोगों में अधिकारी के प्रति विश्वास बनेगा, आपसी तालमेल बिठा सड़क की पैमाइश कर उनको बनाने में आसानी होगी।

4. लोगों की मूलभूत सुविधाओं में शामिल टूटी सड़क को स्थानीय जनप्रतिनिधि अपनी निधि खर्च कर सड़क का कायाकल्प कर सकते हैं।

5. सड़क बनने के बाद लोगों को राहत मिलेगी और घरों में कैद छोटे-छोटे बच्चे भी घरों से बाहर निकलकर खेल सकेंगे।

शिकायतें

1. सड़क के दोनों तरफ लोगों के मकान बने हुए हैं। लोग लंबे समय से सड़क बनवाने की मांग कर रहे हैं। लेकिन कोई उनकी मांग सुनने वाला नहीं है।

2. कितनी बार अधिकारी और जनप्रतिनिधियों को सड़क बनाने की गुहार लगा चुके हैं। एक के बाद एक शिकायत पालिका, लोनिवि, जिला पंचायत और जनप्रतिनिधियों को कर चुके हैं।

3. सड़क की मरम्मत तक न होने के कारण लोगों को टूटी फूटी सड़क से परेशानी उठानी पड़ रही है।

4. जनप्रतिनिधि इसलिए चुने जाते हैं कि बिजली सड़क और पानी की समस्या वार्ड में न हो। लेकिन यहां सड़क तक नहीं बनाई जा रही है।

5. इस तंग सड़क की समस्या एक व्यक्ति की नहीं है। पालिका की तरफ से उनको मूलभूत सुविधाओं से वंचित रखा जा रहा है। शिकायत कर कोई सुनवाई नहीं होती है।

चुनाव के बाद मुद्दे भूल जाते हैं जनप्रतिनिधि

पिछले 12 साल से यह सड़क इसी स्थिति में है। स्थानीय लोग कई बार इस सड़क को बनवाने के लिए संबंधित विभागों का दरवाजा खटखटा चुके हैं। लेकिन सड़क की तरफ किसी का ध्यान नहीं है। -अनुज शर्मा

जनता को चुनाव के समय बहला फुसलाकर जनप्रतिनिधि अपना वोट ले लेते हैं। जीतने के बाद इस सड़क पर कोई पहल नहीं की जाती है। यह कई बार से हो रहा है। अब स्थानीय लोग किसके सामने इस समस्या को रखें। -रोबिन सिंह

सुभाष नगर की यह मुख्य सड़क है। इस खराब सड़क की वजह से भेल, पीएसी और सिडकुल एंव सुभाष नगर में जाने के लिए पैदल चलना तो मुश्किल है। विभाग और जनप्रतिनिधियों को ध्यान देना चाहिए। -अमनदीप सिंह

मुख्य सड़क शहर के साथ ही कई कॉलोनी को जोड़ती है। इससे होकर औद्योगिक क्षेत्र, डीपीएस स्कूल और भेल समेत जिलाधिकारी कार्यालय तक आते जाते हैं।करीब 12 साल से इसके सूरत में बदलाव नहीं हुआ है। -सुरेश मोहन

बरसात के दिनों में स्थिति बदतर हो जाती है। उस समय पैदल चलना भी मुश्किल होता है। इस सड़क को बनवाने के लिए कई बार विधायक, सांसद एवं पालिका तक को पत्राचार कर थक चुके हैं। -रोहतास मलिक

एक दौर था जब जनप्रतिनिधि चुनाव में वोट मांगने से पहले लोगों की समस्याओं को जिले से लेकर मुख्यमंत्री तक हल कराने की कोशिश करते थे लेकिन आज जनसमस्याओं के लिए वोट लेकर दिखाई न देना दस्तूर बन गया है। -बबली सिंह

वर्ष 2013-14 में बनी यह सड़क कुछ समय बाद टूट गई थी। जिसको बनवाने की मांग लंबे अरसे से हो रही है। जनप्रतिनिधि चुनाव से पहले बड़ी बड़ी बाते करते हैं। जीत जाते हैं तो क्षेत्र में दिखाई नहीं देते हैं। -बीके सिन्हा

करीब एक किलोमीटर सड़क का यह टुकड़ा लोगों के लिए 12 वर्षों से नासूर बना हुआ है। सड़क में अनगिनत गड्ढ़े हो चुके हैं। एक दूसरे को बचाने के फेर में दुर्घटनाग्रस्त हो जाते हैं। जिला प्रशासन को गंभीर होना चाहिए। -मनोज शर्मा

जब भी चुनाव आता है तो, इस सड़क को देखने के लिए विधायक और सांसद आते हैं। आश्वासन भी देते हैं। चुनाव जीत जाते हैं पर उसके बाद कुछ नहीं होता। यह सिलसिला कई सालों से चल रहा है। -शुभम धीमान

सुभाष नगर और आसपास की कॉलोनियों में सड़कों का जाल जगह-जगह बिछाया जा रहा है। पर, एक अदद सड़क को आज तक नहीं बनाया गया। जिससे ग्रामीणों में आक्रोश है। -राहुल धीमान

टूटी सड़क के कारण लोग चोटिल तो ही रहे हैं। लेकर लोगों के घरों में धूल मिट्टी भर रही है। घर मे रखा सामान और कपड़े तक धूल मिट्टी में खराब हो रहे हैं। अधिकारियों को गंभीरता से संज्ञान लेना चाहिए। -सोनू सैनी

सड़क पर लोगों के आवागमन का बड़ा दबाव है। प्रतिदिन 4-5 हजार लोग सड़क से होकर भेल, सिडकुल और ज्वालापुर एवं हरिद्वार तक आते जाते हैं। लेकिन सड़क इस लायक नहीं है। -अर्जुन

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