एम्स ने अस्थमा के प्रति लोगों को जागरूक किया
विश्व अस्थमा दिवस के अवसर पर अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ऋषिकेश में बुधवार को जनजागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया।

विश्व अस्थमा दिवस के अवसर पर अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ऋषिकेश में बुधवार को जनजागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें जनसामान्य और तीमारदारों को अस्थमा के प्रति जागरूक किया गया। उन्हें बीमारी के प्रभावी प्रबंधन के लिए आवश्यक जानकारी भी दी गई। बुधवार को बाल रोग विभाग एवं आयुष विभाग के संयुक्त तत्वावधान में आधुनिक चिकित्सा पद्धति एवं पारंपरिक स्वास्थ्य उपायों के बीच समन्वय स्थापित करने के उद्देश्य से कार्यक्रम आयोजित किया गया। संस्थान की कार्यकारी निदेशक प्रोफेसर मीनू सिंह ने प्रतिभागियों को समग्र अस्थमा प्रबंधन में एकीकृत चिकित्सकीय पद्धति के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने अस्थमा नियंत्रण में पारिवारिक सहभागिता की महत्ता को भी दोहराया।
कार्यक्रम की शुरुआत वेलनेस वॉक से हुई, जिसमें अस्थमा से पीड़ित बच्चे, चिकित्सा विशेषज्ञ एवं संकाय सदस्य सम्मिलित हुए। प्रतिभागियों ने आयुष एकीकृत वेलनेस पार्क में सैर कर शारीरिक गतिविधियों को श्वसन स्वास्थ्य के लिए आवश्यक बताया। इसके पश्चात डॉ. प्रशांत कुमार वर्मा, प्रोफेसर लोकेश तिवारी, डॉ. मोनिका पठानिया एवं डॉ. व्यास कुमार राठौर द्वारा एक वैज्ञानिक सत्र का आयोजन किया गया, जिसमें अस्थमा के कारणों, लक्षणों, उपचार विधियों एवं रोकथाम आदि विषयों पर विस्तार से चर्चा की गई। आयुष विभाग द्वारा मनोरंजक गतिविधियां एवं योग सत्र आयोजित किए गए। जिनमें प्रतिभागियों को विशेषरूप से अस्थमा के लिए लाभकारी योगासनों का अभ्यास कराया गया, जो फेफड़ों की क्षमता बढ़ाने एवं तनाव कम करने में सहायक होते हैं। कार्यक्रम में एकीकृत चिकित्सा दृष्टिकोण के अंतर्गत आयुर्वेद एवं सिद्ध चिकित्सा के विशेषज्ञों डॉ. राहुल, डॉ. श्रीलॉय, डॉ. मृणालिनी, डॉ. श्वेता आदि ने घरेलू उपायों व हर्बल चिकित्सा विधियों की जानकारी साझा की, जो पारंपरिक उपचारों के साथ मिलकर अस्थमा प्रबंधन में सहायक हो सकते हैं। समापन सत्र में कार्यकारी निदेशक ने बच्चों कोस्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया।
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