बोले गढ़वाल : रुद्रप्रयाग के पुराने विकास भवन मोहल्ले में पार्किंग की परेशानी
रुद्रप्रयाग के पुराने विकास भवन क्षेत्र में पार्किंग की समस्या गंभीर हो गई है। स्थानीय लोग प्रशासन से पार्किंग की व्यवस्था करने की मांग कर रहे हैं, जिससे जाम और आवाजाही में दिक्कतें उत्पन्न हो रही...
रुद्रप्रयाग के पुराने विकास भवन वाले क्षेत्र में पार्किंग की सबसे बड़ी समस्या है। स्थानीय लोग कई बार प्रशासन से यहां पर पार्किंग बनाने की मांग कर चुके हैं लेकिन प्रशासन की उपेक्षा से स्थानीय लोग परेशान हैं। पार्किंग नहीं होने से कई बार यहां वाहनों का जाम लग जाता है जिससे आवाजाही में दिक्कतें उठानी पड़ती है। चारधाम यात्रा सीजन में तो यहां दबाव और भी ज्यादा बढ़ जाता है, जिससे अक्सर जाम की स्थिति बनती है। पुराने विकास भवन मोहल्ले में पार्किंग नहीं होने से पुलिस को हर वक्त सुलभ यातायात संचालित करने की चुनौती बनी रहती है, वहीं नगर की आम जनता, व्यापारी और राहगीरों को भी मुश्किलों का सामाना करना पड़ता है। रुद्रप्रयाग से बद्री नौटियाल की रिपोर्ट...
देश-विदेश में प्रसिद्ध रुद्रप्रयाग में नगरपालिका के साथ जिला प्रशासन की लापरवाही आम जनता की सेहत के साथ पर्यावरण के लिये भी गंभीर खतरा बन गई है। इसका उदाहरण देखने को मिलता है लगभग 1500 की आबादी वाले पुराने विकास भवन मोहल्ले में जहां उचित ट्रीटमेंट की व्यवस्था नहीं होने के कारण नालों के साथ बहता गंदा पानी व सीवर सीधे पवित्र अलकनन्दा नदी में समा रहा है। इस कारण नदी के प्रदूषित होने से जैव विविधता के लिए तो संकट पैदा हो ही रहा है लेकिन पेयजल के लिये इस्तेमाल होने वाले नदी के पानी के कारण लोगों की सेहत पर भी इसका असर पड़ रहा है। नागरिक क्षेत्र में जहां 1 भी सार्वजनिक शौचालय नहीं होने से आम जनता व तीर्थयात्रियों को परेशान होना पड़ता है तो दूसरी तरफ नदी किनारे नर्मिति शौचालय व पेयजल टंकी गंदे व क्षतग्रिस्त होने से वो इस्तेमाल करने के लायक ही नहीं हैं।
पूरे क्षेत्र में पार्किंग सुविधा बड़ी समस्याओं में से एक है जिस कारण हाईवे किनारे ही लोगों को मजबूरी में वाहन खड़े करने पड़ते हैं। इस कारण आए दिन ट्रैफिक जाम लगता रहता है जिसमें फंसकर लोगों को तो परेशान होना ही पड़ता है साथ ही व्यापारियों को भी इससे दिक्कतें हैं क्योंकि पार्किंग सुविधा नहीं होने के कारण लोग खरीदारी के लिये रुक ही नहीं पाते जिसका असर उनके कारोबार पर भी पड़ता है। क्षेत्र में सफाई व्यवस्था भी खस्ताहाल है। नालियों की सफाई नहीं होने के कारण वो कचरे से पटी रहती हैं तो कूड़ेदान नहीं होने से भी कचरा इधर उधर बिखरा रहता है। पर्याप्त स्ट्रीटलाइट की भी इलाके में कमी होने से लोगों को आवाजाही के दौरान दिक्कतें होती हैं तो जगह-जगह उगी झाड़ियों के कारण जंगली जानवरों का खतरा बना रहता है।
पानी की टंकी और स्नानघाट की हालत बहुत खराब
पूरे क्षेत्र में यदि सार्वजनिक शौचालय की यदि बात करें तो आबादीक्षेत्र में एक भी शौचालय नहीं होने से स्थानीय व्यापारियों, आम जनता और यात्राकाल में तीर्थयात्रियों को भी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। जबकि नदी किनारे नमामि गंगे परियोजना के तहत वर्षों पूर्व बनाये गए स्नानघाट के साथ उस समय बनाये गए शौचालय और पेयजल टंकी की हालत तो बेहद खराब है। अराजक तत्वों द्वारा बुरी तरह क्षतिग्रस्त करने के बाद उनकी सुध कभी भी नगरपालिका द्वारा ली ही नहीं गई। यही कारण है कि बोलने के लिये तो महिला पुरूष के लिये दो शौचालय मौजूद हैं लेकिन न उनपर दरवाजे हैं और न वो प्रयोग किये जाने की स्थिति में हैं। इससे स्थानीय लोगों के साथ ही व्यापारी भी परेशान हैं।
सुझाव
1. क्षेत्र में सीवरलाइन की व्यवस्था हो जिससे खुले में न बहे सीवर।
2. चोक नालियों की सफाई हो और गंदे नालों को नदी में जाने से रोका जाए।
3. क्षेत्र में पार्किंग सुविधा दी जायें जिससे सड़कों के किनारों पर वाहन पार्क न हों और ट्रैफिक जाम न हो।
4. पर्याप्त कूड़ेदानों के साथ नियमित सफाई की व्यवस्था हो। पर्याप्त संख्या में स्ट्रीटलाइट का इंतजाम किया जाए।
5. पांडव स्नानघाट पर सुरक्षा इंतजाम हों और नशेड़ियों की आवाजाही बंद हो। लावारिस पशुओं की व्यवस्था हो।
शिकायतें
1. क्षेत्र में सीवरलाइन नहीं होने से कुछ स्थानों पर खुले में बहते सीवर की बदबू से परेशान हैं।
2. चोक नालियों से दिक्कतें हैं तो गंदे नाले सीधे नदी में गिर रहे हैं इससे नदी प्रदूषित हो रही है और धार्मिक भावनाएं आहत हो रही हैं।
3. पूरे क्षेत्र में पार्किंग की व्यवस्था नहीं होने से सड़क किनारे खड़े वाहनों से लगते जाम से दिक्कतें
4. न तो पर्याप्त कूड़ेदान हैं और ना ही नियमित सफाई की व्यवस्था। झाड़ियों की सफाई नहीं और स्ट्रीटलाइट का अभाव।
5. पांडव स्नानघाट पर सुरक्षा के इंतजाम नहीं हैं व नशेड़ियों के जमघट से परेशानियां।
यात्रा सीजन में जाम लगने से होती है परेशानी
बदरीनाथ हाईवे से सटे इस क्षेत्र में पार्किंग सबसे बड़ी समस्याओं में से एक है। सामान्य दिनों में भी रहने वाली ये समस्या यात्रा सीजन शुरू होते ही स्थानीय लोगों के लिये मुसीबत बन जाती है। जाम की समस्या से बचने के लिए स्थानीय प्रशासन इस रूट को वनवे कर देता है जिस कारण वाहनों को बाईपास से होकर गुजरना पड़ता है। इस कारण स्थानीय लोगों को भी बाईपास के रास्ते ही मजबूरी में पांच किलोमीटर की दूरी तय कर अपनी दुकान या घरों में पहुंचना पड़ता है तो बाजार में खरीददारी या अन्य कामों के लिए भी लोगों को बेवजह इस दूरी को तय करना पड़ता है जिस कारण उनका महत्वपूर्ण समय भी बर्बाद होता है। पार्किंग सुविधा बिल्कुल नहीं होने के कारण सामान से भरे वाहनों से सामान उतरने के दौरान भी जाम लगना आम बात है तो हाईवे के किनारे ही मजबूरी में थोड़ी देर भी वाहन खड़े करने से इस कदर ट्रैफिक जाम हो जाता है कि वाहनों की लम्बी कतारें लग जाती है।
पांडव स्नानघाट में सुरक्षा के इंतजाम नहीं
क्षेत्र में अलकनन्दा नदी किनारे बने पांडव स्नानघाट में सुरक्षा इंतजाम नहीं होने से हर समय दुर्घटनाओं का खतरा बना रहता है। ऐसा नहीं है कि पहले यहां घटनाएं न घटी हों लेकिन बावजूद इसके आवश्यक सुरक्षा इंतजामों को किये जाने के प्रति बरती जा रही लापरवाही भविष्य में भी दुर्घटनाओं को आमंत्रण देना जैसा है। बीने दिनों यहां नदी के तेज बहाव में बहते 3 लोगों को बमुश्किल किसी तरह पुलिस द्वारा बचाया जा सका था। घाट पर आधी अधूरी और क्षतग्रिस्त रेलिंग तो हैं लेकिन न वहां सुरक्षा चेनों का कोई इंतजाम हैं और दुर्घटनाओं से बचने के लिए न अन्य कोई इंतजाम ही हैं। बरसात में तो नदी के उफान पर होने के दौरान स्नानघाट के पूरी तरह पानी में डूबने से सबसे ज्यादा खतरा रहता है। दूसरी तरफ पांडव स्नानघाट पर नशेड़ियों की मौजूदगी की तरफ भी ध्यान नहीं दिया जा रहा है जिससे श्रद्धालु तो परेशान रहते हैं।
मोहल्ले में सफाई नहीं होने से लोग परेशान
बदरीनाथ हाईवे से सटे इस क्षेत्र में सफाई व्यवस्था भी बेहद लचर हालत में है। नालियों में पड़े मलबे व कचरे के ढेरों के कारण वो चोक होती रहती है जिस कारण कई बार पानी ओवरफ्लो होकर सड़क पर बहने लगता है जिससे आम जनता को आवाजाही के दौरान परेशानियों का सामना करना पड़ता है। नियमित सफाई के अभाव में गदंगी से बजबजाती नालियां हों या फिर जगह जगह बिखरे कचरे के ढेर, ये सब आम बात है। एसबीआई से स्नानघाट तक और पुल से घाट तक सफाई नहीं होने से रास्तों पर भी और किनारे मौजूद नालियों में कूड़ा बिखरा रहता है। नदी किनारे क्षेत्र में झाड़ियों की सफाई नहीं होने से भी जंगली जानवरों का खतरा बना रहता है। इलाके में पर्याप्त स्ट्रीटलाइट्स की कमी से भी लोगों को मुश्किलें उठानी पड़ रही हैं। कटखने बंदरों के साथ लावारिस पशुओं की मौजूदगी से भी लोग परेशान हैं।
बोले जिम्मेदार
पार्किंग की समस्या को जिला प्रशासन के सहयोग से हल करने की कोशिशें की जा रही हैं। जल्द इसका समाधान होगा। अन्य समस्याओं के समाधान को लेकर भी हम गंभीरता से कार्य कर रहे हैं। पालिका बोर्ड अभी नया है इसलिये थोड़ा समय लगेगा लेकिन हम जनता की विकासकार्यों और मौजूद मुश्किलों को लेकर हमसे अपेक्षाओं को समझते हैं इसलिये उपलब्ध संसाधनों में चरणबद्ध और समयबद्ध तरीके से मौजूदा समस्याओं के समाधान की कोशिश है। -संतोष रावत, अध्यक्ष, नगरपालिका, रुद्रप्रयाग
नगर में पार्किंग निर्माण की प्रकियाएं जारी है। नए बस अड्डे में जिलाधिकारी के निर्देश पर पार्किंग का कार्य चल रहा है जबकि नगर में कई जगहों पर पार्किंग बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं। बड़ी पार्किंग निर्माण के लिए शासन से स्वीकृति और धनराशि भी जारी कर दी है जिस पर जल्द ही नर्मिाण शुरू किया जाएगा। प्रयास है कि नगर में पार्किंग की ज्यादा से ज्यादा सुविधाएं दी जाएं। -श्याम सिंह राणा, अपर जिलाधिकारी रुद्रप्रयाग
बोले लोग
नदी किनारे सुरक्षा के इंतजाम नहीं है। नदी जाने वाला मार्ग भी गंदगी से पटा रहता है। अधिकांशत: यहां नशेड़ियों का जमघट लगा रहता है। इससे सबको परेशानी होती है। -मनमोहन शुक्ला।
पुराने विकास भवन वाले क्षेत्र में पार्किंग सबसे बड़ी समस्या है। दोपहिया वाहनों के सड़क पर ही पार्क होने से जाम लगता है । इस कारण स्थानीय लोगों के साथ यात्री परेशान रहते हैं। -हीरा नेगी।
सफाई के अभाव में नालियां चोक हो जाती हैं जबकि मुख्य नाली की नियमित सफाई के लिए व्यवस्था की जानी चाहिए। जाम न लगे इसके लिए पार्किंग का भी निर्माण किया जाए। -शिशुपाल सिंह।
लावारिस पशु भी समस्या बनी हुई है। दुकानों के आगे गदंगी तो करते ही हैं साथ ही आवाजाही के दौरान लोगों को उनसे हमले की आशंका भी बनी रहती है। इनका इंतजाम करना चाहिए। -मनीष सेमवाल।
पुराने विकास भवन के पास मौजूद शौचालयों की स्थिति बेहद खराब है। क्षतिग्रस्त शौचालयों को ठीक किया जाना चाहिए जिससे आम जनता को परेशानी न उठानी पड़े। -विनोद भंडारी।
नमामि गंगे योजना के तहत पुराने विकास भवन के पास बनी पानी की टंकी भी क्षतिग्रस्त है। टोंटियों के चोरी हो जाने के बाद उन्हें नहीं लगाया गया है। इस कारण लोगों को परेशानी होती है। -राकेश वर्मा।
रुद्रप्रयाग नगर में सड़क के दोनों ओर जगह की कमी है ऐसे में शहर से हटकर ऐसे स्थान चिन्हित किए जाएं जहां 100 या 50 वाहनों की पार्किंग बन सके। -अरविंद चौधरी।
अलकनन्दा नदी किनारे बने घाट बेहद असुरक्षित बने हुए हैं। घाटों पर सुरक्षा के इंतजाम किये जाने चाहिए जिससे दुर्घटनाओं से बचा जा सके। -प्यार सिंह राणा।
नगर पालिका को साफ सफाई पर ध्यान देना चाहिए जिससे क्षेत्र में गदंगी न हो और आम जनता के साथ तीर्थयात्रियों को मुश्किलें न उठानी पड़ें। -दान सिंह पंवार।
पूर्व में बेलनी पुल के पास आपदा में बहे दीनदयाल पार्क के पास पार्किंग निर्माण की संभावना तलाशी जानी चाहिए ताकि लोगों को परेशानी न हो। -श्याम मोहन शुक्ला।
नालों का गंदा पानी सीधे नदी में मिल रहा है जिससे आम जनता के साथ तीर्थयात्रियों की भावनाएं भी होती हैं, इसलिए इसका समाधान करना चाहिए। -हरीश खंडूरी।
सीवरलाइन की व्यवस्था की जानी बेहद जरूरी है। पुराने विकासभवन से पांडवघाट जाने वाले मार्ग किनारे बनी नालियों की सफाई होनी चाहिए। -कैलाश चमोली।
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