बोले रुद्रपुर : रोजगार मिलने के बाद भी 'बेरोजगार' हैं पीआरडी जवान
प्रांतीय रक्षक दल (पीआरडी) जवानों को साल में केवल चार से छह महीने का रोजगार मिलता है, जिससे उन्हें आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। वे नियमित रोजगार, मानदेय में वृद्धि और धुलाई भत्ता की मांग कर...
प्रांतीय रक्षक दल (पीआरडी) जवानों को साल में चार-छह महीने का ही रोजगार मिल पाता है। बाकी महीने इन्हें घर में बेरोजगार बैठना पड़ता है। पीआरडी जवानों का कहना है कि नियमित रोजगार नहीं मिलने से घर खर्च चलाने में काफी परेशानियां होती हैं। वह साल में कम से कम दस महीने का रोजगार चाहते हैं। साथ ही उनकी मानदेय बढ़ाने की मांग है। उनका कहना है कि होमगार्ड और उनका कार्य एक समान है, लेकिन मानदेय में काफी असमानता है। बीते साल राज्य सरकार ने उन्हें धुलाई भत्ता देने की बात कही थी, जोकि उन्हें अब तक नहीं मिल पाया है। वह अपने मानदेय से अंशदान कटौती के पक्ष में भी नहीं हैं। उनका कहना है कि सरकार को उनका जीवन बीमा करना चाहिए। पीआरडी जवान जिला युवा कल्याण विभाग के तहत कार्य करते हैं। जिले में वर्तमान में करीब 1138 पीआरडी जवान कार्यरत हैं। पीआरडी जवानों को राज्य सरकार के विभागों, जिला योजना के तहत और अलग-अलग सरकारी संस्थानों के माध्यम से सुरक्षाकर्मी, माली, कंप्यूटर ऑपरेटर, प्लंबर, सफाई कर्मचारी आदि की नौकरी प्रदान की जाती है। उनका कहना है कि उन्हें सालभर में कुछ ही महीनों का काम मिल पाता है। जिस महीने काम नहीं मिलता हैं, उस महीने उन्हें घर पर बैठना पड़ता है। इस कारण उन्हें गुजर-बसर में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। राज्य सरकार ने उन्हें सालभर में 300 दिन काम देने का वादा किया था, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है। उनका कहना है कि उन्हें मानदेय समय पर नहीं मिलता है। साथ ही उनकी मानदेय बढ़ाने की मांग भी है। उनका कहना है कि होमगार्ड और पीआरडी जवानों का कार्य एक जैसा है, लेकिन दोनों के मानदेय में काफी असमानता है। राज्य सरकार ने एक साल पूर्व पीआरडी जवानों को प्रतिमाह धुलाई भत्ता देने की बात कही थी, लेकिन अब तक यह नहीं मिला है। पीआरडी जवानों को कई बार जान जोखिम में डालकर काम करना पड़ता है। ऐसे में उनका जीवन बीमा अवश्य होना चाहिए। सालभर में चंद महीने की नौकरी करने वाले पीआरडी जवानों को अपने प्रतिमाह के मानदेय में से एक दिन का मानदेय अंशदान के तौर पर जमा करना होता है। उन्हें 10 साल तक अंशदान नियमित जमा करना है। ऐसा नहीं करने पर उन्हें सेवानिवृत्ति पर मिलने वाले कई लाभों से वंचित होना पड़ेगा। यह नियम भी पीआरडी जवानों की समझ में नहीं आ रहा है। पीआरडी जवानों को वर्दी आदि का खर्चा भी खुद से वहन करना पड़ता है। पूर्व में पीआरडी जवानों का प्रति वर्ष पुन: प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया जाता था, लेकिन अब इसे भी बंद कर दिया गया है। हालांकि, पीआरडी जवानों के बच्चों के बोर्ड परीक्षा में प्रथम आने पर सरकार की ओर से छात्रवृत्ति प्रदान की जाती है। साथ ही नौकरी के दौरान पीआरडी जवान की मृत्यु होने पर उसके परिजनों को पीआरडी में नौकरी और अन्य लाभ मिलते हैं।
राज्य सरकार ने पूरा नहीं किया वादा : वर्तमान में जिले के कुल सात ब्लॉकों में कार्यरत 1138 पीआरडी जवानों को सालभर में चार से छह महीने का ही रोजगार मिलता है। पीआरडी जवानों ने बताया कि नौकरी के अब तक के कार्यकाल में उन्होंने कभी नियमित तौर पर छह महीने की ड्यूटी नहीं की है। कई बार सिर्फ एक महीने का काम मिलता है, जिसके बाद अगले महीने वह फिर से बेरोजगार हो जाते हैं। उनका कहना है कि पूर्व में राज्य सरकार ने उन्हें सालभर में 300 दिन रोजगार मुहैया कराने का मौखिक वादा किया था, इसलिए उनके लिए सालभर रोजगार की समुचित व्यवस्था सुनिश्चित की जाए। कहा कि वर्तमान में पुलिस आदि विभागों में कर्मचारियों की काफी कमी है, इसलिए उन्हें काम मिल भी जाता है। यदि इन विभागों में रिक्त पदों पर भर्ती हो जाए तो उनके सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो जाएगा। इसके अलावा ज्यादातर जवानों की यह आम शिकायत है कि ब्लॉक स्तर का कोऑर्डिनेटर अपने करीबियों की ड्यूटी ज्यादा लगाता है, जबकि अन्य की ड्यूटी लगाने के एवज में सेवा शुल्क की मांग की जाती है। सितारगंज आदि ब्लॉकों में कार्यरत जवानों ने बताया कि रुद्रपुर में स्थानान्तरण के बाद ही उन्हें ड्यूटी मिल पा रही है।
होमगार्ड और पीआरडी जवानों के मानदेय में असमानता : पीआरडी जवानों का कहना है कि एक ओर उन्हें नियमित ड्यूटी नहीं मिल पाती है, दूसरी ओर उनका मानदेय भी नहीं बढ़ाया जाता है। कहा कि वर्तमान में उनका मानदेय 650 रुपये प्रतिदिन है, जिसे बढ़ाया जाना चाहिए। होमगार्ड और पीआरडी जवानों का कार्य एक समान है, लेकिन दोनों के वेतनमान में काफी असमानता है। वर्तमान में होमगार्ड को 850 रुपये प्रति दिन मानदेय प्राप्त होता है। बताया कि कुछ समय पूर्व तक होमगार्ड की तुलना में पीआरडी जवानों का मानदेय ज्यादा था। पीआरडी जवानों के मानदेय में वृद्धि होने के बाद ही होमगार्ड का मानदेय बढ़ाया जाता था, लेकिन अब उल्टा हो गया है। पीआरडी जवानों ने बताया कि महीने में मानदेय भी तय समय पर नहीं मिल पाता है, जिससे उन्हें काफी परेशानी होती है। मानदेय कम होने के बावजूद उनके मानदेय से प्रत्येक माह अंशदान काटा जा रहा है। दो साल पूर्व में आए इस नियम के अनुसार, प्रत्येक पीआरडी जवान के प्रतिमाह के मानदेय से एक दिन का मानदेय अंशदान के रूप में दस साल तक नियमित तौर पर काटा जाएगा। इसके बाद ही उन्हें सेवानिवृत्ति पर आर्थिक लाभ प्राप्त होगा। हालांकि, वर्तमान में कई पीआरडी जवानों की उम्र 52-55 साल हो गई है।
घोषणा के बावजूद नहीं मिलता धुलाई भत्ता : राज्य सरकार ने एक साल पहले पीआरडी जवानों को प्रतिमाह 200 रुपये धुलाई भत्ता देने का जीओ जारी किया था, लेकिन उन्हें अब तक इसकी एक किस्त तक नहीं मिल पाई है। पीआरडी जवानों ने कहा कि सरकार ने धुलाई भत्ता देने का जीओ तो जारी कर दिया, लेकिन उसमें कई नियमों में स्पष्टता नहीं है। कहा कि जीओ में यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि धुलाई भत्ता सभी पीआरडी जवानों को दिया जाएगा या फिर वर्दी व ड्यूटी वालों को ही मिलेगा। इस संबंध में युवा कल्याण विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि वर्तमान में बजट की कमी के कारण जवानों को धुलाई भत्ता नहीं दिया जा रहा है। फिलहाल बूट, वर्दी आदि का खर्च पीआरडी जवानों को स्वयं से उठाना पड़ता है। उनकी मांग है कि सालभर में एक बार उन्हें बूट, जैकेट, पैंट-शर्ट, बेंत का डंडा आदि विभाग की ओर से मुहैया कराया जाना चाहिए।
फिर से शुरू किया जाए पुन: प्रशिक्षण कार्यक्रम : पीआरडी जवानों को शारीरिक रूप से दक्ष रखने के लिए प्रत्येक वर्ष पुन: प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित कराया जाता था। 15 व 22 दिवसीय यह कार्यक्रम जिला व राज्य स्तरीय होता था, लेकिन वर्ष 2018 के बाद से इसे बंद कर दिया गया। पीआरडी जवानों का कहना है कि पुन: प्रशिक्षण कार्यक्रम को फिर से शुरू किया जाना चाहिए। हालांकि, विभाग के अधिकारी पुन: प्रशिक्षण कार्यक्रम नहीं होने के पीछे भी बजट की कमी का रोना रोते हैं। उनका कहना है कि पुन: प्रशिक्षण के दौरान जवानों को वर्दी, भोजन, ट्रेनिंग, आवास आदि का खर्च विभाग को वहन करना होता है, लेकिन बजट के अभाव के कारण फिलहाल इसे रोका गया है।
स्वेच्छा से जीवन बीमा कराने के इच्छुक नहीं जवान : पुलिस, तहसील, वन आदि विभागों में कार्यरत होने के कारण पीआरडी जवानों को कई बार जोखिम भरे कार्य करने पड़ते हैं, लेकिन उनके साथ अप्रिय घटना होने पर उनके लिए जीवन बीमा जैसी कोई योजना नहीं है। बकायदा, पीआरडी जवानों को स्वेच्छा से जीवन बीमा कराने का विकल्प दिया जाता है, लेकिन नियमित ड्यूटी न होना और मानदेय कम होने के कारण ज्यादातर जवान इसे कराने के इच्छुक नहीं होते हैं। हालांकि, विभाग के अधिकारियों ने बताया कि कुछ समय पूर्व अल्मोड़ा में जंगल की आग बुझाते समय दो पीआरडी जवानों की मौत हो गई थी। ऐसे में आगामी अप्रैल माह से ड्यूटी करने वाले सभी पीआरडी जवानों का सामूहिक जीवन बीमा कराया जाएगा।
शिकायतें
1-सालभर में चार से छह महीनों का ही रोजगार मिल पाता है। बाकी महीने घर पर बेरोजगार बैठना पड़ता है। इससे परिवार चलाना मुश्किल हो जाता है।
2-पीआरडी जवानों का मानदेय काफी कम है। एक समान कार्य होने के बाद भी होमगार्ड का मानदेय ज्यादा है, जिससे उनका मनोबल गिरता है।
3- राज्य सरकार की ओर से धुलाई भत्ता देने की घोषणा के बावजूद पीआरडी जवानों को अब तक यह नहीं मिला है। इसे जल्द दिया जाना चाहिए।
4-वर्ष 2018 से 15 और 22 दिवसीय पुन: प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित नहीं किया गया है। इसे पीआरडी जवानों के लिए फिर से शुरू किया जाना चाहिए।
5- मानदेय कम होने के कारण पीआरडी जवान स्वैच्छिक जीवन बीमा कराने और मानदेय से अंशदान काटने के पक्षधर नहीं हैं। उनका जीवन बीमा हो।
सुझाव
1-राज्य सरकार को पीआरडी जवानों को साल में कम से कम दस महीने का रोजगार मुहैया करना चाहिए। इससे उनका परिवार ठीक ढंग से चल सकेगा।
2-पीआरडी जवानों का मानदेय बढ़ाकर होमगार्ड के बराबर किया जाना चाहिए। मानदेय समान होने पर पीआरडी जवान अपने काम को और अच्छे से करेंगे।
3-पीआरडी जवानों का मानदेय कम है, इसलिए उन्हें धुलाई भत्ता आदि दिया जाना चाहिए। राज्य सरकार को इस ओर जल्द ध्यान देने की जरूरत है।
4-पुन: प्रशिक्षण कार्यक्रम से पीआरडी जवानों की शारीरिक दक्षता बढ़ती है, इसलिए ऐसे कार्यक्रम पर लगाई गई रोक को जल्द हटाया जाना चाहिए।
5-सरकारी विभागों में कार्य करते समय पीआरडी जवानों को कई बार अपनी जान जोखिम में डालनी पड़ती है, इसलिए उनका जीवन बीमा कराना चाहिए।
साझा किया दर्द
साल में बहुत कम ड्यूटी मिलती है, जिससे अधिकतर समय बेरोजगारी में ही काटने पड़ते हैं। नियमित रोजगार नहीं होने पर आर्थिक परेशानियां आती हैं। ड्यूटी नियमित की जानी चाहिए।
-राम अवध
हमारी मुख्य मांग यही है कि हमारी ड्यूटी बढ़ाई जानी चाहिए। साल के आधे से ज्यादा महीने हमें घर पर बैठना पड़ता है। रोजगार नहीं होने पर घर का खर्च चलाना काफी मुश्किल हो जाता है।
-धर्मेंद्र
मानदेय काफी कम है। इसे बढ़ाया जाना चाहिए। साल में कम से कम दस महीने की ड्यूटी का प्रावधान किया जाना चाहिए। जवानों को साल में एक बार वर्दी आदि मिलनी चाहिए।
-जगत सिंह
पुन: प्रशिक्षण कार्यक्रम को फिर से शुरू किया जाना चाहिए। 22 दिन के इस कार्यक्रम में जवान स्वयं को फिट रखना सीखते हैं, लेकिन लंबे समय से इसे रोका गया है।
-उमेश सिंह
अलग-अलग विभागों में कार्य करने के दौरान पीआरडी जवानों को कई बार अपनी जान जोखिम में डालनी पड़ती है। ऐसे में पीआरडी जवानों का जीवन बीमा कराने की जिम्मेदारी इन विभागों को उठानी चाहिए।
-जगत सिंह
डयूटी बढ़ाई जानी चाहिए। जिले के सितारगंज आदि कई स्थानों में ब्लॉक स्तर के कोऑर्डिनेटर की तानाशाही चलती है। वह अपने लोगों की ही ड्यूटी लगाते हैं। जिले में आने के बाद मेरी ड्यूटी लग रही है।
-बसंत सिंह
हमारा मानदेय बहुत कम है। बड़ी मुश्किल से गुजर-बसर होती है। प्रत्येक माह के मानदेय से एक दिन के वेतन की कटौती नहीं की जानी चाहिए। हमें भी अन्य कर्मचारियों की तरह सेवानिवृत्ति के बाद सुविधाएं दी जानी चाहिए।
-लाल बहादुर सिंह
ड्यूटी और मानदेय में बढ़ोतरी की जानी चाहिए। हमारा मानदेय भी होमगार्ड के बराबर किया जाना चाहिए। साल में 300 दिन ड्यूटी देने का वादा राज्य सरकार ने किया था, उसे अपना वादा निभाना चाहिए।
-बलवीर सिंह
पीआरडी जवानों को खुद के खर्चे से वर्दी आदि सिलवानी पड़ती है, जिससे हम पर अतरिक्त आर्थिक भार पड़ता है। हमारी मांग है कि प्रति वर्ष हमें वर्दी आदि दी जानी चाहिए।
-सुभाष सिंह
सरकार को हमारे लिए साल में 10 महीने का रोजगार सृजन करना चाहिए। कम ड्यूटी से घर खर्च चलाने में दिक्कतें आती हैं। घोषणा के बाद भी हमें अब तक धुलाई भत्ता नहीं मिला है। पुन: प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किया जाना चाहिए।
-चेतराम
पूर्व में पीआरडी जवानों की सैलरी बढ़ने के बाद ही होमगार्ड की सैलरी बढ़ती थी, लेकिन अब उनकी सैलरी हमसे ज्यादा हो गई है। हमारी मांग है कि हमारी सैलरी भी उनके बराबर की जाए।
-मनोज सिंह रावत
प्रतिमाह धुलाई भत्ता दिए जाने का जीओ जारी होने के बावजूद हमें इसका लाभ नहीं दिया गया है। ड्यूटी की संख्या बढ़ाई जानी चाहिए। हमारा मानदेय भी काफी कम है, इसमें भी बढ़ोतरी की जानी चाहिए।
-सुभाष सिंह
बोले युवा कल्याण अधिकारी
विभाग द्वारा लगातार यह प्रयास किया जा रहा है कि पीआरडी जवानों को नियमित रोजगार मिल सके। बजट आने पर धुलाई भत्ता जवानों को दिया जाएगा। प्रतिमाह मानदेय से एक दिन के अंशदान के संबंध में बीते दिनों निदेशालय स्तर पर बैठक की गई है। इस संबंध में नई गाइड लाइन प्राप्त होने पर फैसला लिया जाएगा।
- बीएस रावत, जिला युवा कल्याण अधिकारी
बोले विधायक
पीआरडी जवानों को सालभर में ज्यादा समय रोजगार मिले, इसके लिए हर संभव कोशिश की जाएगी। राज्य सरकार के समक्ष पीआरडी जवानों के रोजगार का मुद्दा उठाया जाएगा। अन्य विभागों में भी उनके लिए रोजगार की व्यवस्था की जाएगी।
- शिव अरोड़ा, विधायक
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