भालचन्द्र संकष्टी चतुर्थी पर सुबह व शाम को इस मुहूर्त में करें पूजा, जानें उपाय व व्रत पारण विधि
- Bhalachandra Sankashti Chaturthi 2025: चैत्र कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन संकष्टी चतुर्थी पड़ रही है। मार्च महीने की संकष्टी चतुर्थी को भालचन्द्र संकष्टी चतुर्थी के नाम से जाना जाएगा।

Bhalachandra Sankashti Chaturthi 2025: चैत्र मास की संकष्टी चौथ का व्रत 17 मार्च, 2025 को रखा जाएगा। चैत्र कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन संकष्टी चतुर्थी पड़ रही है। मार्च महीने की संकष्टी चतुर्थी को भालचन्द्र संकष्टी चतुर्थी के नाम से जाना जाएगा। इस दिन भगवान श्री गणेश और चंद्रमा की पूजा अर्चना की जाती है। माताएं इस व्रत को संतान की प्राप्ति और संतान की लंबी उम्र के लिए रखती हैं। इसलिए आइए जानते हैं भालचन्द्र संकष्टी चतुर्थी पूजा की विधि, शुभ मुहूर्त, चंद्रोदय समय और व्रत पारण की सही विधि-
चतुर्थी तिथि प्रारम्भ - मार्च 17, 2025 को 07:33 पी एम
चतुर्थी तिथि समाप्त - मार्च 18, 2025 को 10:09 पी एम
संकष्टी के दिन चन्द्रोदय - 09:18 पी एम
भालचन्द्र संकष्टी चतुर्थी पर सुबह व शाम को इस मुहूर्त में करें पूजा
- ब्रह्म मुहूर्त 04:53 से 05:41
- प्रातः सन्ध्या 05:17 से 06:28
- अभिजित मुहूर्त 12:05 से 12:54
- विजय मुहूर्त 14:30 से 15:18
- गोधूलि मुहूर्त 18:28 से 18:52
- सायाह्न सन्ध्या 18:31 से 19:42
- अमृत काल 07:34 से 09:23
- निशिता मुहूर्त 00:05, मार्च 18 से 00:53, मार्च 18
शुभ चौघड़िया मुहूर्त
- अमृत - सर्वोत्तम 06:28 से 07:59
- शुभ - उत्तम 09:29 से 10:59
- चर - सामान्य 14:00 से 15:30
- लाभ - उन्नति 15:30 से 17:00वार वेला
- अमृत - सर्वोत्तम 17:00 से 18:31
- चर - सामान्य 18:31 से 20:00
- लाभ - उन्नति 22:59 से 00:29, मार्च 18 कालरात्रि
- शुभ - उत्तम 01:59 से 03:28, मार्च 18
- अमृत - सर्वोत्तम 03:28 से 04:58, मार्च 18
- चर - सामान्य 04:58 से 06:27, मार्च 18
पूजा-विधि
1- भगवान गणेश जी का जलाभिषेक करें
2- गणेश भगवान को पुष्प, फल चढ़ाएं और पीला चंदन लगाएं
3- तिल के लड्डू या मोदक का भोग लगाएं
4- भालचन्द्र संकष्टी चतुर्थी की कथा का पाठ करें
5- ॐ गं गणपतये नमः मंत्र का जाप करें
6- पूरी श्रद्धा के साथ गणेश जी की आरती करें
7- चंद्रमा के दर्शन करें और अर्घ्य दें
8- व्रत का पारण करें
9- क्षमा प्रार्थना करें
व्रत पारण कैसे करें: भालचन्द्र संकष्टी चतुर्थी के व्रत का पारण करने के अगले दिन भी केवल सात्विक भोजन या फलाहार ही ग्रहण करें और तामसिक भोजन से परहेज करें। भालचन्द्र संकष्टी चतुर्थी में व्रत खोलने के लिए चंद्रमा दर्शन और पूजन को जरूरी माना गया है। इस व्रत को चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद पूर्ण माना जाता है। चंद्रोदय के बाद अपनी सुविधा के अनुसार, अर्घ्य देकर व्रत का पारण करें और अपनी मनोकामना के लिए पूजा अर्चना करें।
उपाय: भगवान श्री गणेश की असीम कृपा पाने के लिए भगवान को 11 दूर्वा घास चढ़ाएं।
डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। विस्तृत और अधिक जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।