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Ganga Saptami : मई में गंगा सप्तमी कब है? नोट कर लें पूजा- विधि, शुभ मुहूर्त और महत्व

  • Ganga Saptami: हिंदू धर्म में गंगा सप्तमी का बहुत अधिक महत्व होता है। धार्मिक कथाओं के अनुसार इसी दिन मां गंगा स्वर्ग लोक से भगवान शिव की जटाओं में पहुंची थीं। इस पावन दिन विधि-विधान से मां गंगा की पूजा-अर्चना की जाती है।

Yogesh Joshi लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीThu, 17 April 2025 07:30 PM
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Ganga Saptami : मई में गंगा सप्तमी कब है? नोट कर लें पूजा- विधि, शुभ मुहूर्त और महत्व

Ganga Saptami: हिंदू धर्म में गंगा सप्तमी का बहुत अधिक महत्व होता है। धार्मिक कथाओं के अनुसार इसी दिन मां गंगा स्वर्ग लोक से भगवान शिव की जटाओं में पहुंची थीं। इस पावन दिन विधि-विधान से मां गंगा की पूजा-अर्चना की जाती है। इस दिन को गंगा जयंती के रूप में भी मनाया जाता है। हर साल वैशाख शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को गंगा सप्तमी का पावन पर्व मनाया जाता है। आइए जानते हैं गंगा सप्तमी की डेट, पूजा-विधि, शुभ मुहूर्त और महत्व-

गंगा सप्तमी डेट- इस साल 3मई को गंगा सप्तमी का पावन पर्व मनाया जाएगा।

मुहूर्त-

सप्तमी तिथि प्रारम्भ - मई 03, 2025 को 07:51 ए एम बजे

सप्तमी तिथि समाप्त - मई 04, 2025 को 07:18 ए एम बजे

गंगा सप्तमी मध्याह्न मुहूर्त - 10:58 ए एम से 01:38 पी एम

अवधि - 02 घण्टे 40 मिनट्स

गंगा सप्तमी पूजा-विधि

गंगा सप्तमी के पावन दिन गंगा नदी में स्नान करना चाहिए। आप घर में रहकरनहाने के पानी में गंगा जल मिलाकर भी स्नान कर सकते हैं। स्नान करते समय मां गंगा का ध्यान करें। स्नान करने के बाद घर के मंदिर में दीप प्रज्वलि करें। इसके बाद सभी देवी- देवताओं का गंगा जल से अभिषेक करें। फिर मां गंगा का अधिक से अधिक ध्यान करें। मां का ध्यान करते हुए पुष्प अर्पित करें।

करें ये काम-

इस पावन दिन मां गंगा को भोग लगाएं। इस बात का ध्यान रखें कि भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है।

मां गंगा की आरती करें।

गंगा सप्तमी की पूजा करने से होते हैं ये लाभ-

मां गंगा को मोक्षधायनी भी कहा जाता है। इस दिन मां गंगा की पूजा- अर्चना करने से मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है। मां गंगा की पूजा- अर्चना करने से सभी तरह के पापों से मुक्ति मिल जाती है। मां गंगा की कृपा से कुंडली में अशुभ ग्रहों का प्रभाव भी कम हो जाता है।

मां को इस मंत्र से करें प्रसन्न-

इस पावन दिन ॐ नमो गंगायै विश्वरूपिण्यै नारायण्यै नमो नमः' मंत्र का जप करें।

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