Sharad Purnima 2018: सोलह कलाओं से परिपूर्ण चंद्रमा से आज बरसेगा अमृत
आज शरद पूर्णिमा पर चन्द्रमा सोलह कलाओं से परिपूर्ण होकर अमृत बरसाएगा। चंद्रमा इसी तिथि पर ही षोडश कलाओं को धारण करता है। महिलाएं व्रत रखकर महालक्ष्मी, गणेश जी का पूजा-अर्चना करेंगी। इसे महापूर्णिमा...

आज शरद पूर्णिमा पर चन्द्रमा सोलह कलाओं से परिपूर्ण होकर अमृत बरसाएगा। चंद्रमा इसी तिथि पर ही षोडश कलाओं को धारण करता है। महिलाएं व्रत रखकर महालक्ष्मी, गणेश जी का पूजा-अर्चना करेंगी। इसे महापूर्णिमा भी कहा जाता है।
बुधवार को शरद पूर्णिमा पर माता लक्ष्मी, चंद्रमा और देवराज इंद्र का पूजन रात्रि के समय किया जाएगा। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार पूर्णिमा तिथि मंगलवार को रात 10:36 से प्रारंभ हो जाएगी और बुधवार को रात 1:14 बजे तक रहेगी। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन चंद्रमा 16 कलाओं से युक्त रहता है। चंद्रमा धरती के निकट होकर गुजरता है। इसी दिन से शरद ऋतु की शुरुआत मानी जाती है। इस दिन खीर बनाकर चांद की रोशनी में रखी जाती है। इस खीर को अगले दिन ग्रहण करने से बीमारियों से छुटकारा मिलता है।
आंखों की रोशनी में वृद्धि की मान्यता:
प्राचीन मान्यताओं के आधार पर शरद पूर्णिमा की रात्रि में सुई में धागा पिरोने से आंखों की रोशनी में वृद्धि होती है। जिन लोगों की जन्म-पत्रिका में चंद्रमा से संबंधित कोई समस्या है या चंद्रमा क्षीण है। उन लोगों को भी शरद पूर्णिमा के दिन भगवान शिव व कार्तिकेय की पूजा कर रात्रि में चंद्रदेव को जल व कच्चे दूध से अर्घ्य देना चाहिए।
खीर में आ जाते हैं औषधीय गुण:
शरद पूर्णिमा पर रात 10 बजे से 12 बजे तक चंद्रमा की किरणों का तेज अधिक रहता है। इस बीच खीर के बर्तन को खुले आसमान में रखने से उसमें औषधीय गुण आ जाते हैं। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार शरद पूर्णिमा को रास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। सूर्य तुला राशि में नीचे होकर मेष राशि में स्थित चंद्रमा पर पूर्ण दृष्टि डालता है। इससे चंद्रमा को अधिक शक्ति मिलती है। चंद्र की शक्ति से मनुष्य को स्वास्थ्य लाभ होता है।
वर्जन:
शरद पूर्णिमा से शरद ऋतु का आगमन होता है। इस दिन चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं से परिपूर्ण होता है। साल भर की पूर्णिमा में शरद पूर्णिमा का विशेष महत्व है। इस दिन चांदनी में खीर रखकर खाना लाभदायी होता है।