FASTag न रहने पर कैश में लगेगा दोगुना टोल? आया हाईकोर्ट का ये बड़ा फैसला, कार मालिक जरूर जान लें
क्या FASTag न रहने पर कैश में टोल देने पर दोगुना टोल लग सकता है? या फिर यह कानून का उल्लंघन है? ऐसी ही एक याचिका पर बॉम्बे हाईकोर्ट का बड़ा फैसला आया है, जो कार मालिकों को जरूर जान लेना चाहिए।

हाल ही में बॉम्बे हाईकोर्ट में FASTag की अनिवार्यता और गैर-FASTag वाहनों से दोगुना टोल वसूलने के खिलाफ याचिका दायर की गई थी। हालांकि, अब कोर्ट ने सरकार और NHAI (नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया) के पक्ष में फैसला सुनाया है। यह फैसला राष्ट्रीय राजमार्ग शुल्क (निर्धारण और संग्रह) नियम, 2008 के आधार पर दिया गया है। आइए, इस फैसले के बारे में विस्तार से जानते हैं।
FASTag और डबल टोल वसूली को कानूनी मान्यता
महाराष्ट्र के एक व्यक्ति द्वारा दायर जनहित याचिका (PIL) में दावा किया गया था कि गैर-FASTag वाहनों से दोगुना टोल लेना अवैध है। इसके अलावा, याचिकाकर्ता ने कहा था कि कैश लेन को पूरी तरह से FASTag लेन में बदलना कानून का उल्लंघन है।
हालांकि, बॉम्बे हाईकोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर दिया और कहा कि 2008 के नियमों के तहत टोल वसूली की यह नीति पूरी तरह से वैध है। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि गैर-FASTag वाहनों को बाईं ओर की एक अलग लेन में भेजा जाता है, जहां वे कैश में टोल का भुगतान कर सकते हैं, लेकिन दोगुनी दर पर। यह कोई पेनाल्टी नहीं है, बल्कि एक आधिकारिक टोल शुल्क है।
FASTag बना रहेगा अनिवार्य: हाईकोर्ट
बॉम्बे हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि FASTag सिस्टम अचानक लागू नहीं किया गया था। इसे धीरे-धीरे पूरे देश में लागू किया गया ताकि लोगों को इसके लिए पर्याप्त समय मिल सके। FASTag की शुरुआत 2014 में हुई थी और इसे पूरे देश में चरणबद्ध तरीके से लागू किया गया। इसके बाद 2017 में सरकार ने मोटर वाहन नियम 1989 में संशोधन किया, जिससे यह M और N कैटेगिरी के वाहनों के लिए अनिवार्य हो गया। आज सभी नई कारों में FASTag अनिवार्य रूप से दिया जाता है।
GPS-बेस्ड टोलिंग सिस्टम की तैयारी
हाल के सालों में FASTag ने हाईवे पर सफर को बहुत आसान बना दिया है। अब गाड़ियां बिना रुके टोल प्लाजा पार कर सकती हैं और टोल अमाउंट ऑटोमैटिक कट जाती है। लेकिन, अब सरकार FASTag से भी एडवांस सिस्टम लाने की तैयारी कर रही है। जी हां, जल्द ही GPS-बेस्ड टोलिंग सिस्टम (GNSS) लागू किया जाएगा।
GNSS क्या है और यह कैसे काम करेगा?
GNSS (Global Navigation Satellite System), एक सैटेलाइट आधारित टोल कलेक्शन सिस्टम है। ये FASTag से काफी अलग होगा। GNSS में कोई फिक्स्ड टोल प्लाजा नहीं होगा। यह वाहन की लोकेशन ट्रैक कर यह तय करेगा कि गाड़ी ने हाईवे पर कितना सफर तय किया। टोल उसी दूरी के हिसाब से काटा जाएगा, न कि फिक्स्ड अमाउंट के हिसाब से लिया जाएगा। GNSS का सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि लोगों को सिर्फ उतनी ही दूरी के लिए भुगतान करना होगा, जितनी उन्होंने हाईवे पर चलाई है।
GNSS कब लागू होगा?
सरकार ने घोषणा की है कि GNSS सिस्टम को धीरे-धीरे लागू किया जाएगा। शुरुआत में FASTag और GNSS का एक हाइब्रिड मॉडल अपनाया जाएगा। फिर, धीरे-धीरे FASTag को पूरी तरह से हटाकर GNSS को लागू किया जाएगा। यह सिस्टम अगले कुछ महीनों में लॉन्च हो सकता है।
हाईवे सफर होगा और भी स्मार्ट
बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले के बाद यह साफ हो गया है कि FASTag अभी बना रहेगा और गैर-FASTag वाहनों से दोगुना टोल लेना पूरी तरह से कानूनी है। इसके अलावा GPS-बेस्ड टोलिंग सिस्टम (GNSS) के आने से भविष्य में हाईवे यात्रा और भी आसान और ट्रांसपेरेंट हो जाएगी।
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